अनुष्‍का शर्मा: मां ने बनाया फाइटर

अभिनेत्री अनुष्का शर्मा कहती हैं, स्क्रीन पर भले मैं नाजुक सी व छुई-मुई की तरह दिखूं, पर असल जीवन में मैं इसके उलट हूं। मां ने मुझे इस काबिल बनाया है कि मैं जिंदगी की हर परिस्थिति का सामना कर सकूं...

By abhishek.tiwariEdited By: Publish:Fri, 12 May 2017 07:12 PM (IST) Updated:Fri, 16 Jun 2017 06:19 PM (IST)
अनुष्‍का शर्मा: मां ने बनाया फाइटर
अनुष्‍का शर्मा: मां ने बनाया फाइटर

मां ने बनाया मुझे फाइटर

मां ने मुझे फाइटर बनाया है। अपनी शर्तों पर जीने वाली शख्सियत। अन्याय का मुंह तोड़ जवाब देने के माद्दे से लैस। एक बार की बात है। एक बंदे ने मुझे छेडऩे की कोशिश की थी। संकरी गली में। कोने में बोतल पड़ी थी। उसे उठा दे मारी उसके सिर पर। मैं डरी नहीं। तब मैं बमुश्किल 14 साल की थी। दरअसल स्क्रीन पर भले मैं नाजुक सी व छुई-मुई की तरह दिखूं, पर असल जीवन में मैं टॉमबॉय सी हूं। चौकड़ी मार कर बैठती हूं। टिपिकल लड़कियों की तरह सजना-संवरना मुझे अजीब लगता है। मां से ढेर सारी चीजें मैंने आत्मसात की हैं। बस एक चीज को छोड़। 


कुकिंग में बेस्‍ट हैं मेरी मम्‍मी

मुझसे कुकिंग नहीं होती, जबकि मेरी मम्मी बहुत अच्छी कुकिंग करती हैं। वह मोमोज बहुत अच्छा बनाती हैं। मैं जब भी घर में होती हूं तो मम्मी से कहती हूं कि मेरे लिए मोमोज बनाएं। उनके हाथ के बने मोमोज देखकर ही मेरे मुंह में पानी आ जाता है। मैं देश-विदेश में घूमती रहती हूं, लेकिन मुझे मम्मी के हाथ जैसा मोमोज कहीं नहीं मिला। मेरी मम्मी बेस्ट मोमोज बनाती हैं। साथ ही मुझे मम्मी के हाथ का दम आलू बहुत पसंद है। मेरी मम्मी पंजाबी खाना बहुत अच्छा बनाती हैं। वैसे मुझे अपनी मम्मी के हाथ की बनी हर डिश पसंद है। मम्मी जब घर से बाहर होती हैं तो मैं उनकी कुकिंग को मिस करती हूं। इस मामले में मैं उनसे उलट हूं बस। दरअसल मुझे खाना पकाने का शौक नहीं है। कभी-कभार कुकीज सेक लेती हूं बस। 

मेरी गलत आदतों को मां ने कुचला

मां ने मेरे व्यक्तित्व के चौतरफा विकास के लिए अनुशासित जीवन जीने पर जोर दिया। किसी भी गलत आदत को उन्होंने पनपते ही कुचला। मिसाल के तौर पर मुझे बचपन में चॉकलेट के रैपर इक_ा करने की अजीबोगरीब आदत लग गई थी। स्कूल से लौटते समय, जब जहां रैपर दिखता, उसे उठा लेती। इसके लिए मेरी मां मेरी बहुत कुटाई करती थीं। भंगारवाली कहने लगे मेरे दोस्त मुझे। उन रैपर को मैं जूतों के बक्से और कपबोर्ड में इक_ा कर लेती थी। एक बार तो अति हो गई। कपबोर्ड उन रैपरों से ठस हो गया। उनसे चीटिंया भी निकलने लगीं। यह देख मेरे 'कलेक्शन' पर जो मां भड़कीं, वह पूछिए मत, पर मैंने भी पूरी गंभीरता से उन्हें जवाब दिया कि ये मेरी कीमती कलेक्शन हैं। इन्हें यूं हल्के में न लिया जाए। इस पर वह हंस पड़ीं। उन्होंने रैपर छोड़ बाकी चीजें कलेक्ट करने को कहा, मसलन, स्टैम्प, सिक्के आदि। आगे चलकर वे मेरी हॉबी बन गईं। 

अब ले सकती हैं कोई भी डिसीजन

मां ने मुझे स्टैंड व बड़े डिसीजन लेने सिखाए। मैं टॉकिटिव बनी। बहुत फ्रैंक भी, जो मन में होता है बोल देती हूं। उन्होंने यह भी सिखाया कि सामने से अगर कोई बड़ा मौका सौंप रहा हो तो दिए काम को सफल बनाने के लिए एफर्ट उससे और बड़ा होना चाहिए। उनकी वह सीख मैंने गांठ बांध ली। जब मुझे 'रब ने बना दी जोड़ी' ऑफर हुई तो मैं बहुत रिस्पांसिबिल फील कर रही थी, क्योंकि मुझे पता था कि यह बहुत बड़ा मौका है, मेरे लिए। आदि, शाह रुख सब लोग अपनी फील्ड में बहुत कामयाब हैं, इसलिए इनके साथ काम कर रही हूं तो मुझे अपना बेस्ट देना है। वह उनके लिए सफीशिएंट हो या न हो, पर मुझे मेरा बेस्ट देना है। 

मां ने हर कदम पर दिया साथ

मां ने मेरे हर फैसले में पूरा साथ दिया। तभी रैंप से फिल्म इंडस्ट्री तक का सफर मैंने काफी जल्दी तय कर लिया। सब कुछ काफी जल्दी-जल्दी हो गया। जब मुझे बताया गया कि मैं रब ने बना दी जोड़ी में हूं उसके एक महीने पहले ही मैंने दिल्ली फैशन वीक में पार्टिसिपेट किया था। इस तरह दिल्ली फैशन वीक के एक महीने में बाद ही मुझे फिल्म में साइन कर लिया गया। मैंने ज्यादातर रैंप मॉडलिंग ही की है, इसलिए कैमरा एंगल से मैं ज्यादा वाकिफ नहीं थी। मुझे खुद को तैयार करना पड़ा। मैंने डांस ट्रेनिंग ली श्यामक डावर से। पापा ने जब फिल्म रब ने बना दी जोड़ी में मेरा नाम स्क्रीन पर देखा तो उनकी आंखों में आंसू छलक गए थे। वह जल्दी रोते नहीं, पर तब उनकी आंखों में आंसू देखना मेरे लिए अजीब अनुभव था। मैं बहुत प्राउड फील कर रही थी कि मेरे पैरेंट्स मेरे लिए इतना अच्छा महसूस कर रहे थे और स्क्रीन पर खुद को देखकर तो बहुत खुशी हुई। 

प्रस्‍तुति : स्मिता श्रीवास्तव  

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