कोरोना के संकट से लोगों को बाहर निकालने के लिए लॉन्च की गई 'लीडरशिप इन अनप्रेसिडेंटेड टाइम्स'

हम बात कर रहे हैं रितेश विग की जिन्होंने एक बेहतरीन किताब लिखी है। इस किताब को जन-जन तक पहुंचाने और लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा मिले इसके लिए विज़नरी इंडस्ट्री लीडर मिस्टर मनोज कोहली आगे आए।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Thu, 19 Nov 2020 06:02 PM (IST) Updated:Thu, 19 Nov 2020 06:02 PM (IST)
कोरोना के संकट से लोगों को बाहर निकालने के लिए लॉन्च की गई 'लीडरशिप इन अनप्रेसिडेंटेड टाइम्स'
कोरोना के संकट से लोगों को बाहर निकालने के लिए लॉन्च की गई 'लीडरशिप इन अनप्रेसिडेंटेड टाइम्स'

जब दुनिया में कोई विपत्ति आती है, तो हमारे बीच में ही उपस्थित लोग ही धैर्य और बुद्धिमता के साथ लोगों को उस बुरे वक्त से बाहर निकालने की जुगत में जुट जाते हैं। भारत देश की धरती पर सदैव लोग अपने विवेक से लोगों को सही राह दिखाते हैं और आज जब दुनिया कोरोना के संकट से जूझ रही है, तो वहीं एक लेखक, लोगों के गिरते मनोबल और आत्मविश्वास को फिर जगाने की पूरी कोशिश में जुटे गए। 

हम बात कर रहे हैं रितेश विग की, जिन्होंने एक बेहतरीन किताब लिखी है। इस किताब को जन-जन तक पहुंचाने और लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा मिले इसके लिए विज़नरी इंडस्ट्री लीडर मिस्टर मनोज कोहली आगे आए। आपको बता दें कि मनोज कोहली ने 17 नवंबर 2020 को रितेश विज़ की किताब “लीडरशिप इन अनप्रेसिडेंटेड टाइम्स” को ऑनलाइन लॉन्च किया।

इस किताब के लॉन्च के लिए एक शानदार तरीके से ऑनलाइन वेबिनार रखा गया, जिसमें कॉरपोरेट की दुनिया की तमाम बड़ी हस्तियों से लेकर कई बड़े लेखक शामिल रहे। मनोज कोहली ने इस किताब का विमोचन करते हुए कहा कि हमें इस "लीडरशिप इन अनप्रेसिडेंटेड टाइम्स" किताब के लॉन्च की घोषणा करते हुए बहुत खुशी महसूस हो रही है। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी किताब है, जो हमें बताती है कि अप्रत्याशित चुनौतियां ही हमें दुनिया में बेहतर बनने का आश्चर्यजनक अवसर प्रदान करती है। 

दिल्ली में पले बढ़े रितेश विग कॉर्पोरेट की दुनिया में एक जाना पहचाना नाम हैं, जिन्होंने अपने सालों के अनुभव को निचोड़ ये किताब लिखी, जिससे लोगों को इस मुश्किल घड़ी से बाहर निकलने के लिए एक राह मिलेगी। सकारात्मकता से भरपूर इस किताब में 18वीं सदी के जानलेवा स्पेनिश फ्लू, विश्व युद्ध और हिरोशिमा-नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के अलावा द ग्रेट डिप्रेशन यानी वैश्विक महामंदी तक का ज़िक्र है। साथ ही, इन घटनाओं के अर्थव्यवस्था और आम इंसान की ज़िन्दगी पर पड़ने वाले असर को भी बारीकी से समझाया गया है। लेकिन, जब हम इन पन्नों को उलटते हुए देखते हैं तो पता चलता है कि कैसे हर बार हमारी सभ्यता, हमारी अर्थव्यवस्था दोबारा उठ खड़ी होती है। 

मगर इस बार चुनौती दूसरी है, मुश्किलें कहीं ज़्यादा बड़ी हैं, लिहाज़ा उनके हल भी चुनौतीपूर्ण हैं और यह चीज़ ही इस किताब को ख़ास बनाती हैं। इस किताब में रितेश विग ने आने वाले वक़्त को देखने की कोशिश की है, जिसमें युवा कारोबारियों, नौकरीपेशा युवाओं, स्थापित कारोबारियों के साथ घरेलू महिलाओं तक के लिए भी कुछ न कुछ ऐसा है, जो उन्हें इस कठिन समय से बाहर निकालने और आगे ले जाने का माध्यम बन सकता है।

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