क्या सूरज भी लॉकडाउन में है? जानें, लोगों पर कितना खराब हो सकता है इसका असर

वैज्ञानिकों के मुताबिक सूरज के लॉकडाउन में होने की वजह से बहुत सी जगहों पर काफी सर्दी पड़ सकती है। कई जगह भूकंप आ सकते हैं और फसलों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 22 May 2020 12:53 PM (IST) Updated:Fri, 22 May 2020 12:53 PM (IST)
क्या सूरज भी लॉकडाउन में है? जानें, लोगों पर कितना खराब हो सकता है इसका असर
क्या सूरज भी लॉकडाउन में है? जानें, लोगों पर कितना खराब हो सकता है इसका असर

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना वायरस की वजह से किए गए लॉकडाउन का मकसद देश और दुनिया के लोगों की जान की हिफाजत करना है। इस लॉकडाउन का पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ लॉकडाउन लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि सूरज भी लॉकडाउन में आ गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक सूरज ने 2020 में लॉकडाउन में प्रवेश किया था, जहां इसकी सौर गतिविधियों में कमी आई।

वैज्ञानिकों का कहना है कि सूरज के लॉकडाउन में होने की वजह से बहुत सी जगहों पर काफी सर्दी पड़ सकती है। कई जगह भूकंप आ सकते हैं और फसलों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

द सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूरज अभी सन मिनिमम की स्थिति में है। ''सन मिनिमम'' से हमारा तात्पर्य है कि सूर्य के धूप में कमी के सबसे बड़े काल की ओर हम प्रवेश करने के काफी करीब हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि हम सूरज के सबसे रिसेशन के दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां सूरज की सतह पर सन स्पॉट घटते जा रहे हैं।

एस्टट्रोनॉमर डॉ. टोनी फिलिप्स ने कहा ''सोलर मिनिमम शुरू हो गया है और यह काफी गहरा है। सूरज की सतह पर सन स्पॉट बनने बंद हो गए हैं और सूरज का मैग्नेटिक फील्ड कमजोर हो गया है, जिस वजह से अतिरिक्त कॉस्मिक किरणें सोलर सिस्टम में आ रही हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार, साल 1790-1830 में सूरज के लॉकडॉउन में चले जाने के कारण बहुत ही आफत भरा समय था। उस समय के काल को "डॉल्टन मिनिमम" नाम दिया गया था। इस समय में जबरदस्त अक़ाल, जबरदस्त ठंड, और शक्तिशाली से शक्तिशाली ज्वालामुखी फटने की घटना सामने आई थी। इसीलिए आशंका जताई जा रही है कि कहीं इस बार भी उसी तरह की परिस्थितियां न बन जाएं। 

               Written By Shahina Noor

chat bot
आपका साथी