जानिए फलाहार का क्‍या है महत्व

व्रत में पथ्य का अनुसरण और अपथ्य का निषेध किया गया है। जीवन में हम उसी पथ को चुनते हैं, जो सुगम हो और कांटों से मुक्त हो।

By Pratibha Kumari Edited By: Publish:Tue, 04 Apr 2017 12:38 PM (IST) Updated:Tue, 04 Apr 2017 12:47 PM (IST)
जानिए फलाहार का क्‍या है महत्व
जानिए फलाहार का क्‍या है महत्व

व्रत की अवधि में फलाहार के निहितार्थ को समझें, तो पता चलता है कि साधना-उपासना-यज्ञ-अनुष्ठान-दान-तप से हम मानसिक और शारीरिक स्तर पर प्राकृतिक ऊर्जा का संग्रह कर पाते हैं। जिस प्रकार हम हर दिन जीवन के लिए आहार के रूप में भोजन लेते हैं, उसी प्रकार शरीर में विद्यमान विद्युत-शक्ति यानी अपने मेटाबॉलिज्म को भी रिचार्ज करने की जरूरत पड़ती है। जब हम अनाज के रूप में भोजन लेते हैं, तो शरीर के रसायनों को उसे सुपाच्य बनाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। समय-समय पर इस प्रक्रिया को विश्राम देने की भी आवश्यकता पड़ती है। लिहाजा इस अवधि में कुछ लोग तो दूध, दही, या फलाहार का सेवन करते हैं, तो कुछ सिर्फ जल और वायु पीकर आंतरिक तंत्र को सशक्त करते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, हमारा शरीर वायु से संचालित होता है। शरीर वायु का समुचित प्रयोग मूलाधार से सहस्रार को सक्रिय करने में होता है। व्रत में पथ्य का अनुसरण और अपथ्य का निषेध किया गया है। जीवन में हम उसी पथ को चुनते हैं, जो सुगम हो और कांटों से मुक्त हो। ऐसा पथ, जिस पर गंदगी, दुर्गंध और रास्ता-जाम हो, तो उससे हर कोई बचना चाहता है। प्राय: रास्तों में सड़क के किनारों पर गंदगी, अतिक्रमण होते रहते हैं, तो उसे सक्षम संस्थान हटा देते हैं। शरीर की भोजन-नलियों तथा अन्यान्य हिस्सों में अवरोध को हटाने के लिए व्रत तथा फलाहार शरीर को हर हाल में जीने के लिए तैयार करने का उपक्रम भी है।

फल देने वाले पेड़ गर्मी और ठंड से लगातार लड़ते रहते हैं, जिसके कारण उनमें बहुत अधिक शक्ति होती है। इसलिए फलाहार कर इस शक्ति को संचित किया जाता है। लगातार एक ही पद्धति से काम करता है हमारा शरीर, जिसमें बदलाव लाता है फलाहार।बदलाव नयापन लाता है। हम 6 घंटे सोते हैं यानी इस अवधि में आंखों से देखने का काम नहीं होता है। इस दौरान आंखें विश्राम करती रहती हैं। इसी का फल है कि वे दूसरे दिन देखने में सक्षम हो पाती हैं। मौन-शक्ति का भी यही लाभ है। शरीर के आंतरिक तंत्र का मौन ही है व्रत, उपवास और हल्के फलाहार की प्रक्रिया।

सलिल पांडेय

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