होलियाना हनकती हरकतें और चंद हेल्दी हिदायत
होली की सुनामी होती ही ऐसी है। बड़े-बड़े बह जाया करते हैं। तन का ताप और हृदय का आंतरिक दाब बर्दाश्त कर पाना कठिन होता है।
आज होली है। चतुर्दिक मौज है। रंगों की अलमस्ती है।हवा में गुलाल है। फाग का धमाल है। इधर नए बछड़ों के
चेहरों पर हुड़दंगी शरारतें हैं। उधर बड़े-बूढ़ों तक के गाल नए वाले गुलाबी नोट हुए जा रहे हैं। मैं भी चुनावी हुड़दंगों
से निपट-निपटाकर, चुनाव परिणामों के पापड़ तोड़ता हुआ नए नवेले निर्वाचित विधायकों के जैसा फे्रश-फे्रश मूड में हूं। मिजाज अंदर से चुलबुल पांडे हो रहा है।
होली की सुनामी होती ही ऐसी है। बड़े-बड़े बह जाया करते हैं। तन का ताप और हृदय का आंतरिक दाब बर्दाश्त
कर पाना कठिन होता है। जब चौतरफा रंग की लहरें उठ रही हों, ऐसे में अणु-अणु चरमरा उठते हैं। इश्क के इलेक्ट्रॉन और प्यार के प्रोटॉन भी संयम के न्यूक्लियस की आकर्षण सीमा के बंधन को तोड़कर ऊध्र्वगामी होने लग पड़ते हैं।
नयनों का रेडियोधर्मी विकिरण सौ गुना ज्यादा बढ़ जाता है। तन के संयंत्र में भांति-भांति के रासायनिक रिसाव होने लग जाते हैं। हर गोरी चंद्रमुखी और हर छोरा सुपरमून हो जाता है। मोहब्बत की नावें परस्पर टकराने लग जाती हैं। बहरहाल, आज मैं भी मस्ती की भांग छान-छूनकर और महंगाई का तेल अपने नंगे बदन पर मलकर तैयार खड़ा हूं।
सरकारी-गैर सरकारी जिस भी महकमे की तबीयत हो, जिधर से चाहे, रंग पोत कर निकल जाए। आम आदमी
बना ही इसके लिए होता है। गरीब की भैंस पूरे गांव की होती है। खैर, ऐसे दिलफरेब मौसम में मेरी एक अदद गुजारिश है कि हे, मेरी प्राचीन परंपरा के प्रवर्तन निदेशालय वालों, सामाजिक संबंधों को अपनी निगाहों में संभालकर रखने वालों गांव-गली-मोहल्ले के सतर्कता आयोग वालों, एंसिएंट काल के लव-कर विभाग के कारिंदों, मेरी आज आपसे एक व्यक्तिगत रिक्वेस्ट है।
वह क्या है कि आज मौसम व्यापक रूप से रसिक मिजाज हो रहा है। सो, इस होली पर तुम बस मेरी एक
बात मान लीजो। तुम सब सामूहिक कैजुअल लीव ले लो। घरेलू पिच पर अपनी निजी वाइफ और सकल घरेलू उत्पादों के साथ चौके-छक्के लगाओ। फगुआ मनाओ। भूलकर भी आज होली के रंगों की उमंग और मदमस्ती की
तरंग में किसी नवयौवना के घर पर छापा डालने मत चले जइयो! प्यारों, इस होली पर तुम अपने सारे प्लान पोस्टपोन कर देना। वैसे भी इस रंगीले फेस्टिवल की चालबाजियों से नहीं निपट पाओगे तुम। तुमको कहीं पर भी कोई अघोषित संपत्ति नहीं मिलने वाली है। इस समय जो कुछ भी है खुल्लमखुल्ला है।
अब देवर-भौजाइयों और जीजा-सालियों की छेड़खानियां कहानियां हो गईं। गोरियां अब शर्माती नहीं हैं।
आगे बढ़कर छोरों को होली खेलने के लिए ओपन चैलेंज करने लग गई हैं। दिलों के लॉकर्स खुले पड़े हैं। संयम
के ताले टूट चुके हैं। शरम-ओ-हया की चाबी गायब है। प्यार की करेंसी बाजार में वितरित हो चुकी है। अब यूं भी
सारा लेन-देन कैशलेस होता जा रहा है। तुम्हारे हाथ क्या आएगा? एक गुझिया बराबर का माल भी न पा सकोगे।
तुम यह मत भूलो कि आज का वक्त होली वाले मालपुओं का नहीं, मॉल के फूड कॉर्नर में बैठकर मोमोज
खाने का दौर है। होली में बीते जमाने की गुझिया-पापड़ों के खाने का नहीं, चिप्स से लिप्स के मिलन का संधिकाल है।
यह समय इंटरनेटी टिप्स का काल है। टुल्लमटल्ल मस्ती के मौसम का दौर है। हुस्न की चैटिंग और इश्क की बैटिंग का समय है। नलों से पानी भरकर बाल्टियों में रंग घोलने से अधिक आनंद चैनलों पर हर दिन सतरंगी पिचकारियों से खेली जाने वाली रूप-रस रंगी गोप-गोपिकाओं की रासलीलाओं में मिलता है। समाचार चैनलों की बहसों की लट्ठमार होली के तो क्या ही कहने!
मेरे भाइयो, इसीलिए कहता हूं, बेवजह लंबी साइज वाली एक्सरसाइज का कोई फायदा नहीं होने वाला। गोरी
का गोरा तन तुम्हारे किसी काम का नहीं और उसका काला धन विदेशी बैंकों में जमा है। जो थोड़ा बहुत था भी, तो
वह नोटबंदी के मौसम में सफेद हो लिया है। तुम पूछताछ करोगे। वह बेचारी लाज के बोझ से दबी होगी। वह विशिष्ट गोरी जो ठहरी। वह तुम्हारी हसरत पूरी नहीं कर पाएगी। वह चाहकर भी उस प्रियतमी काले धन का नाम-पता अपनी जुबान पर नहीं ला पाएगी। मैं नहीं चाहता कि तुम्हारी छापेमारी में उसके लाज का पल्लू उसके सीने से सरक जाए। सो लिहाज रखना। इस होली पर किसी महत्वपूर्ण गोरी के घर पर छापा न मारने लग जाना। हालांकि मुझे पता है, तुम मेरा कहा नहीं मानोगे। अपनी ड्यूटी की ब्यूटी से बंधे हुए हो तुम। तुम कह सकते हो, जींस,
टॉप्स, कैप्रीज के जमाने में कैसा पल्लू और कैसा उसका सरकना? जब दामन ही नहीं बचे, तो दाग कहां लगेंगे?
तो ठीक है, कर लेना थोड़ी-बहुत जामातलाशी। उतनी ही जितनी होली के नाम पर परमिसिबिल है। तुम अपनी
झोली में रोमांस के अबीर-गुलाल लेते जाना, पर उसके साथ ब्राइट शेड्स के लिपस्टिक भी रखना। आईलाइनर
पेंसिल और मस्कारा भी रखना। फूशिया और पिंक कलर के रूज भी रखना। अधरों से अलकों तक और
अलकों से पलकों तक की केयर ही तुमको इस होली में एंज्वॉयमेंट दे सकेगी। माना कि तुम्हारा टिंकू जिया
हरकत किए बिना नहीं मान रहा, तो हुस्न का अंजन और इश्क का मंजन मलने का इंतजाम भी कर लेना। तुम सब पुराने खिलाड़ी हो, तुम्हें तो पता ही होगा, इसके बिना प्यार का इंजन चालू नहीं होने का।
तनिक देखो भी, फगुनई बयार की ठंडी हवा से गोरी की त्वचा की बाहरी परत डल और ड्राई हो चुकी है।
इसलिए मेरी सलाह मानना। अगर लगाना ही है, तो गालों पर हर्बल पिंक कलर के रूज लगा देना। अगर रिस्क जोन में छापेमारी का इतना ही मन है, तो डार्लिंग से पहले आंखों से आंखें चार करना। फिर अपने दिल का सिम निकालकर उसकी बॉडी के हैंडसेट के हवाले कर देना। वारंटी तो नहीं, हां गारंटी ले सकता हूं, मोबाइल पोर्टेबिलिटी की सुविधा के बावजूद वह छापेमारी के नेटवर्क से बाहर नहीं जाएगी। उम्मीद करता हूं, होली पर मेरी ये चंद हेल्दी हिदायतें फायदेमंद साबित होंगी!
सूर्यकुमार पांडेय
538क /514 त्रिवेणी नगर
द्वितीय, लखनऊ-226