रंग गुलाल से क्लेश होते हैं दूर

होली त्योहार को लेकर मनोरंजन जगत की शख्सियतों के अपने अपने खट्टे मीठे अनुभव हैं।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Sat, 11 Mar 2017 11:14 AM (IST) Updated:Sat, 11 Mar 2017 03:06 PM (IST)
रंग गुलाल से क्लेश होते हैं दूर
रंग गुलाल से क्लेश होते हैं दूर

क्लेश दूर करते हैं रंग-गुलाल- सुकीर्ति कांडपाल, अभिनेत्री
बाकी भारतीय त्योहारों की तरह होली की छटा भी अद्भुत व निराली है। एक-दूसरे के चेहरे पर रंग-गुलाल लगाकर हम भीतर का विकार, क्लेश दूर करते हैं। लिहाजा मैं इस त्योहार का जश्न बचपन से लेकर अब तक जमकर मनाती आ रही हूं। कंपाउंड में दोस्तों की जमघट और लाउड म्यूजिक रहता है। बचपन में तो इस पर्व पर पकवान खाने और गुलाल खेलने की प्रतियोगिता आयोजित होती थी बच्चा पार्टी की। मुंबई में कफ परेड में खेली होली मुझे ताउम्र याद रहेगी। उस होली में हमने पूरे दिन मस्ती की थी। इस बार मैं शायद होली न खेल पाऊं। वजह यह कि इसके अगले ही दिन शूट है। नतीजतन, चेहरा रंग से पुता हुआ अफोर्ड नहीं कर सकती। मैं अपने चाहने वालों को यही सलाह देना चाहूंगी कि सिर पर साफा या बांधना जरूर बांधे रखें।

सुर-संगीत से सजेगी होली- हर्षदीप कौर, गायिका


इस बार होली अपने घर पर मनेगी, खास और जिगरी दोस्तों के संग। सुर-संगीत से सजी दोपहर व शाम होगी और मां के हाथों की गुझिया रहेंगी। होली पर मेरी सबसे पसंदीदा डिश है यह बचपन से ही। उन दिनों हम दिल्ली में रहते थे। होली की सुबह की शुरुआत पकवानों से होती थी। सारे दोस्तों और चचेरे भाई- बहनों के साथ। फिर लंच में भी मां के हाथों का लजीज खाना मिलता था। आज भी हम उन्हीं बीते हुए दिनों में जाने व उन्हें जीने की कोशिश करते हैं।

- संगिनी

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