Fathers Day 2020: आज है फादर्स डे, पापा ने कहा बेटे ने सुना

Fathers Day 2020 आदर-प्यार और देखभाल में कभी कोई कमी नहीं रही लेकिन इतनी बातचीत पहले कभी नहीं हुई जितनी लॉकडाउन टाइम में हुई।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Sun, 21 Jun 2020 04:44 PM (IST) Updated:Sun, 21 Jun 2020 04:44 PM (IST)
Fathers Day 2020: आज है फादर्स डे, पापा ने कहा बेटे ने सुना
Fathers Day 2020: आज है फादर्स डे, पापा ने कहा बेटे ने सुना

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Fathers Day 2020: कॅरियर की आपाधापी में बेटों के पास वक्त नहीं था कि वे पापा के पास बैठें, सलाह लें। यशा माथुर के मुताबिक वक्त यूं बदला कि अब पापा कह रहे हैं और बेटे सुन भी रहे हैं...

आमतौर पर ऐसा ही होता था कि बेटे ने ग्रेजुएशन की और खाने-कमाने के लिए बाहर चला गया। घर से बाहर रहकर हर जोखिम उठाया, हर मुश्किल खुद से सुलझाई। उस दौरान पापा खूब याद आए लेकिन उसने पापा को बताया नहीं। खुद उसने बड़ा बनने, दुनिया देखने और समझदार बनने की जो ठानी थी।

फिर लॉकडाउन में जब वह वर्क फ्रॉम होम लेकर घर आया तो इस ‘समझदार’ बेटे की बातें पापा से हुईं। पापा की जो सलाह कभी गुस्सा दिलाती थी, आज बड़े काम की लगी। अब वह पापा से हर बात डिस्कस करना चाहता है । इस बड़े बनते बच्चे की पापा से बॉन्डिंग कुछ परिपक्व सी हो चुकी है।

हर चीज का सही मैनेजमेंट

लॉकडाउन में बंगलुरू से अपने घर दिल्ली आए ऋषभ ने बीते दिनों पापा की बातों को बहुत गहराई से समझा। वे कहते हैं, ‘काफी चीजों में पहले 20 साल के लड़के की तरह देखता था पहले हर बात ब्लैक एंड व्हाइट लगती थी लेकिन अब लगता है कि ग्रे भी है। हां, कुछ चीजें अभी भी ऐसी हैं जिन पर पापा से सहमति नहीं बनती है लेकिन अब मुझे इस असहमति को मैनेज करना आ गया है। उन्होंने मुझसे अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग शेयर की। अब तो मैं भी पापा के साथ बैठकर समझ रहा हूं कि अपना पैसा कैसे मैनेज करूं।

’हुईं कई गहरी बातें

आदर-प्यार और देखभाल में कभी कोई कमी नहीं रही लेकिन इतनी बातचीत पहले कभी नहीं हुई जितनी लॉकडाउन टाइम में हुई। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर विनीत जायसवाल कहते हैं, ‘पहले कभी पिता अपने बेटों को पास बिठा लेते थे तो वह वक्त भारी लगता था। हर बात उपदेश लगती थी लेकिन जब लॉकडाउन में बच्चे कहीं बाहर जा नहीं सकते थे तो पिता की बातें ध्यान से सुनीं।

उन्हें लगा कि पापा की सीख को ध्यान से सुनना उनके फायदे में है। लॉकडाउन इतना खिंच गया कि अब उन्होंने यूं ही जीना सीख लिया है। अब पिता और बेटे का संबंध दोस्ताना हो गया है। दो वयस्कों के बीच की बात गहरी छाप छोड़ रही है। एक-दूसरे के लिए एक नया एहसास जागा है।

’साथ खाना बनाते हैं हम

बीते दिनों से मेरा सारा वक्त पापा के साथ गुजरता है। लॉकडाउन में हमारी बॉडिंग ज्यादा मजबूत हुई। कई बार हम एक साथ खाना बनाते हैं। मैं उन्हें सेट के किस्से बताता हूं। हम साथ-साथ व्यायाम भी करते हैं। बड़े होने के बाद उनके साथ इतना समय कभी नहीं मिला।

अक्षित सुखीजा, एक्टर जाना उनका बचपन

मैं पापा से हमेशा क्लोज रहा हूं। मैं अपना काम करता हूं और मेरे टैक्स-फाइनेंस जैसे कई काम वो ही करते हैं। लॉकडाउन में पापा को जानने का अधिक मौका मिला। मैंने उनसे उनके बचपन की बातें की। बीच में इतना बिजी हो गया था कि घर आकर बस उनका हालचाल ही पूछ पाता था। लॉकडाउन ने हमें घरवालों की वैल्यू बताई । अब हर छोटी चीज पापा के साथ डिस्कस करता हूं।

शिविन नारंग, एक्टर रिवर्स रोल हो गया मेरा

मुझमें मेहनत का जज्बा पापा से आया। इस उम्र में उनके लिए पैसे मैटर नहीं करते, वो बस मुझे खुश देखना चाहते हैं। एक समय ऐसा आता है जब रिवर्स रोल प्ले करना पड़ता है। बचपन में वे चॉकलेट नहीं खाने देते थे। बाहर नहीं जाने देते थे।

आज मैं उनसे कहता हूं कि आप ज्यादा शुगर न लें। बेवजह बाहर नहीं जाना है। कई बार वे ऐसा टॉपिक निकाल देते हैं जिस पर मैं सहमत नहीं होता हूं। फिर किसी बात पर बीस-पच्चीस मिनट डिस्कशन चलता रहता है। वो बस मुझसे बात करना चाहते हैं। 

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