पड़ोस का खराब माहौल बढ़ा सकता है डिमेंशिया-सिजोफ्रेनिया का खतरा, रिसर्च का दावा

अच्छे पड़ोसी मिलना भी किस्मत की बात होती है। अगर आपके पड़ोसी अच्छे हैं तो न सिर्फ किसी इमरजेंसी में आप उनकी मदद ले सकते हैं बल्कि इसका असर आपकी मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है। आप खुश और टेंशन फ्री रहते हैं लेकिन अगर आपका पड़ोसी सही नहीं तो इसका आपके दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। आप डिमेंशिया का शिकार हो सकते हैं।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Publish:Sun, 17 Mar 2024 10:46 AM (IST) Updated:Sun, 17 Mar 2024 10:46 AM (IST)
पड़ोस का खराब माहौल बढ़ा सकता है डिमेंशिया-सिजोफ्रेनिया का खतरा, रिसर्च का दावा
खराब पड़ोसी बढ़ा सकते हैं डिमेंशिया का खतरा

HighLights

  • पड़ोस का खराब माहौल बढ़ा सकता है सिजोफ्रेनिया- डिमेंशिया का खतरा।
  • टॉक्सिक माहौल से दिमाग हो सकता है 3 साल पहले बूढ़ा।
  • डिमेंशिया के खतरे से ऐसे करें बचाव।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के लिए खुश और स्ट्रेस फ्री रहना बेहद जरूरी है। इसके लिए अच्छा खाएं, अच्छा सोचें, अच्छी लाइफस्टाइल फॉलो करें, लेकिन क्या सिर्फ इतना करना काफी है? तो इसका जवाब है नहीं, आपके आसपास का माहौल भी इसमें एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। अगर आपके घर या पड़ोस में आए-दिन लड़ाई-झगड़े, गाली-गलौज होते रहते है, तो ऐसे में खुद को शांत और टेंशन फ्री रखना एक चैलेंज हो सकता है। इतना ही नहीं, इससे आपकी याददाश्त पर भी असर पड़ता है।

अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी में एक सर्वे हुआ, जिसमें यह सामने आया कि अगर आपके पड़ोसी अच्छे नहीं हैं, तो आपका दिमाग 3 साल पहले बूढ़ा हो जाएगा। इस सर्वे को करने वाले क्लिनिकल न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट डॉक्टर आरोन रियूबन कहते हैं- अगर पड़ोस का माहौल खराब है, तो सिजोफ्रेनिया- डिमेंशिया जैसी बीमारियों के होने की संभावना 43% तक बढ़ जाती है। ऐसा टॉक्सिक एन्वॉयरमेंट 45 साल की उम्र से ही आपके दिमाग को प्रभावित करने लगता है। 

खराब पड़ोसियों के चलते व्यक्ति हर वक्त परेशान और स्ट्रेस में रहता है, जो आपके दिमाग को गहराई से प्रभावित करता है। फोकस और याद्दाश्त करने की तो क्षमता कम होती ही है साथ ही इसका असर आपकी हेल्थ पर भी पड़ता है। 

डिमेंशिया के बचाव के जरूरी टिप्स

क्लीनिकल न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट डॉ. आरोन का कहना है कि- डिमेंशिया से बचने की तैयारी डायग्नोज होने से 20 साल पहले करने की जरूरत है। ये इसलिए क्योंकि डिमेंशिया की शुरुआत तभी हो चुकी होती है। पिछले इलाकों में सबसे ज्यादा मरीज होते हैं।  

लाइफस्टाइल में करें ये जरूरी बदलाव

वजन कंट्रोल में रखें 

लगातार बढ़ता वजन और मोटापा ब्लड प्रेशर से लेकर टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है। ये दोनों ही डिमेंशिया से कनेक्टेड हैं, तो इससे बचे रहने के लिए बैलेंस डाइट लेना जरूरी है। डाइट में ताजे फल, सब्जियों, मेवों, बीज, दालें और साबुत अनाज को खासतौर से शामिल करें। इसके साथ ही जंक, प्रोसेस्ड और डिब्बाबंद फूड आइटम्स अवॉयड करें। 

रोज़ाना एक्सरसाइज करें 

रोजाना कुछ देर की एक्सरसाइज से आप बॉडी के साथ माइंड को भी फिट एंड फाइन रख सकते हैं। एक्सरसाइज से ब्रेन में हैप्पी हॉर्मोन्स रिलीज होते हैं, जो आपको स्ट्रेस फ्री रखने में मदद करते हैं। इससे अल्जाइमर, डिमेंशिया का खतरा काफी हद तक कम होता है।

एल्कोहॉल अवॉयड करें

ये इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे मोटापा, हार्ट प्रॉब्लम्स और कैंसर की खतरा बढ़ जाता है और ये दिमाग और तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करते हैं। जिससे बढ़ती उम्र के साथ डिमेंशिया हो सकता है। 

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Pic credit- freepik

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