जानें, कैसे कोरोना के होम क्वारंटाइन मरीजों के लिए जरूरी है ऑक्सीमीटर

पल्स ऑक्सीमीटर एक छोटी सी डिवाइस मशीन है जो कोरोना के मरीज की उंगली में फंसाई जाती है। इसकी मदद से मरीज की नब्ज और खून में ऑक्सीजन की मात्रा का पता चलता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 24 Jun 2020 05:57 PM (IST) Updated:Wed, 24 Jun 2020 11:36 PM (IST)
जानें, कैसे कोरोना के होम क्वारंटाइन मरीजों के लिए जरूरी है ऑक्सीमीटर
जानें, कैसे कोरोना के होम क्वारंटाइन मरीजों के लिए जरूरी है ऑक्सीमीटर

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस इतनी तेजी से फैल रहा है कि अब मरीजों की तादाद को देखते हुए कम लक्षण वाले कोरोना के मरीजों को कुछ शर्तों के साथ घर में ही इलाज कराने की मंजूरी दे दी गई है। कोरोना के मरीजों के लिए खतरा तब बढ़ता है, जब उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। सरकार होम क्वारंटाइन वाले मरीजों को ऑक्सीमीटर देने की सुविधा उपलब्ध कर रही है, ताकि जिन मरीजों को सांस लेने में दिक्कत आए, उन्हें तुरंत ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा सके। सवाल ये है कि ये ऑक्सीमीटर है क्या और किस तरह कोरोना के मरीजों की मदद करता है, आइए जानते हैं ऑक्सीमीटर के बारे में-

पल्स ऑक्सीमीटर एक छोटी सी डिवाइस मशीन होती है, जो मरीज की उंगली में फंसाई जाती है। इसकी मदद से उसकी नब्ज और खून में ऑक्सीजन की मात्रा का पता चलता है। इसके जरिए मरीज का ऑक्सीजन लेवल चेक किया जाता है। मरीज में ऑक्सीजन का स्तर कम होते ही ये मशीन आपको खतरे के बारे में सूचित कर देगी। इसका इस्तेमाल सर्जरी के बाद मरीजों की मॉनिटरिंग करने में किया जाता है। सांस की बीमारी से जूझ रहे मरीजों की पल्स ऑक्सीमीटर का डेटा यह बताता है कि मरीज को कहीं अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत तो नहीं।

यह मशीन काम कैसे करती है-

पल्स ऑक्सीमीटर मशीन आपकी त्वचा पर एक लाइट छोड़ती है। फिर ब्लड सेल्स के रंग और उनके मूवमेंट को डिटेक्ट करती है। जिन ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन ठीक मात्रा में होती है, वे चमकदार लाल दिखाई देते हैं, जबकि बाकी गहरे लाल दिखते हैं। ठीक ऑक्सीजन मात्रा वाले ब्लड सेल्स और अन्य ब्लड सेल्स यानी चमकदार लाल और गहरे लाल ब्लड सेल्स के अनुपात के आधार पर मशीन ऑक्सीजन सैचुरेशन को फीसदी में कैलकुलेट करती है।

सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के ब्लड में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच रहता है। 95 फीसदी से कम ऑक्सीजन लेवल का मतलब है कि व्यक्ति के फेफड़ों में किसी तरह की परेशानी है। 92 फीसदी से नीचे ऑक्सीजन लेवल का मतलब है कि व्यक्ति की स्थिति गंभीर है और उसे अस्पताल ले जाने की जरूरत है। कारण कि उसे ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत भी पड़ सकती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, पल्स ऑक्सीमीटर से मरीजों में 'कोविड निमोनिया' का भी पता चलता है, जो कि कोरोना के गंभीर मरीजों में कॉमन है। कोरोना वायरस स्क्रीनिंग और टेस्टिंग प्रक्रिया में पल्स ऑक्सीमीटर की भूमिका को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा था कि इसकी मदद से कोरोना मरीजों का अर्ली डायग्नोसिस हो सकता है, जिससे मृत्यु-दर कम करने में मदद मिलेगी। 

                  Written By Shahina Noor

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