Dengue: जानें, कैसे होता है हड्डीतोड़ बुखार और क्या है इसके लक्षण

मेडिकल साइंस के हिसाब से डेंगू को तीन भागों में बांटा जाता है। क्लासिकल (साधारण) डेंगू फीवर डेंगू हेमरेजिक फीवर (DHF)और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Sat, 27 Jul 2019 11:52 AM (IST) Updated:Sun, 13 Sep 2020 10:06 AM (IST)
Dengue: जानें, कैसे होता है हड्डीतोड़ बुखार और क्या है इसके लक्षण
Dengue: जानें, कैसे होता है हड्डीतोड़ बुखार और क्या है इसके लक्षण

नई दिल्ली, जेएनएन। डेंगू रक्तस्रावी (Hemorrhagic) बुख़ार है, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) में रक्तस्राव (bloodletting) या रिसाव होता है और रक्त प्लेटलेट्स (जिनके कारण रक्त जमता है) का स्तर कम हो जाता है। डेंगू शॉक सिंड्रोम भी है, जिससे खतरनाक रूप से रक्तचाप ( blood pressure) होता है।

डेंगू बुख़ार एक इन्फेक्शन है जो डेंगू वायरस की वजह से होता है। यह वायरस मच्छर के जरिए फैलता है। डेंगू का इलाज समय पर करना बहुत जरूरी होता है। इसे हड्डीतोड़ बुखार भी कहा जाता है क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को इतना ज्यादा दर्द होता है कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों। 

डेंगू बुख़ार के कुछ लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते और मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। कुछ लोगों में, डेंगू बुख़ार एक या दो दिन में ऐसा रूप ले लेता है जो जीवन के लिए खतरा बन जाता है। 

आइए जानें इस बीमारी के इलाज के बारे में- 

साधारण डेंगू का घर में ही हो सकता है इलाज 

मेडिकल साइंस के हिसाब से डेंगू को तीन भागों में बांटा जाता है। क्लासिकल (साधारण) डेंगू फीवर, डेंगू हेमरेजिक फीवर (DHF)और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)। साधारण डेंगू अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन डीएचएफ का इलाज शुरू नहीं किया जाए तो मरीज की जान पर भी बन सकती है। 

साधारण डेंगू फीवर 

ठंड लगने के बाद तेज़ बुखार चढ़ना, सिर, मसल्स, जोड़ों और आंखों के पिछले हिस्से में दर्द। बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होना, भूख न लगना, जी मिचलाना और मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का दर्द, चेहरे, गर्दन व छाती पर लाल रैशेज होना। 

शॉक सिंड्रोम 

इसमें मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद स्किन ठंडी महसूस होती है। मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है। मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है। ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाता है। 

हेमरेजिक फीवर 

डेंगू हेमरेजिक फीवर थोड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। इसमें प्लेटलेट और वाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम होने लगती है। इसमें नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उलटी में खून आना, स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चकत्ते पड़ जाते हैं। 

जरूरी बात

डेंगू से कई बार मरीज मल्टीपल ऑर्गन फेलियर में चला जाता है। सेल्स के अंदर मौजूद फ्लूड बाहर निकल जाते हैं। पेट के अंदर पानी जमा हो जाता है। लंग्स और लीवर पर बुरा असर पड़ता है और ये काम करना बंद कर देते हैं। मच्छर के काटे जाने के 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। कुछ मामलों में शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है। 

तुरंत डॉक्टर को दिखाएं 

मरीज में डीएसएस या डीएचएफ का एक भी लक्षण दिखाई दे तो उसे तत्काल डॉक्टर के पास ले जाएं। इसमें प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जिससे शरीर के अंग प्रभावित हो सकते हैं। डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ डेंगू हैमरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं। 

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