Heart Health: दिल की बीमारी और डायबिटीज का जोखिम होगा कम, ताजा स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में डायबिटीज के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते खराब खानपान और कम फिजिकल एक्टिविटी से कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में एक ताजा स्टडी सामने आई है जो बताती है कि प्रकृति से साथ समय बिताने से दिल से जुड़ी बीमारियों और डायबिटीज में राहत पाई जा सकती है।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Publish:Tue, 23 Apr 2024 10:00 PM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2024 10:00 PM (IST)
Heart Health: दिल की बीमारी और डायबिटीज का जोखिम होगा कम, ताजा स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
कैसे कम होगा दिल से जुड़ी बीमारी और डायबिटीज का जोखिम?

HighLights

  • डायबिटीज की बीमारी में सिर्फ डाइट ही नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल में भी कुछ जरूरी बदलाव करने होते हैं।
  • ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्युनिटी जर्नल में प्रकाशित हुई ताजा स्टडी में प्रकृति के साथ समय गुजारने के बारे में बताया गया है।
  • स्टडी बताती है कि ऐसा करने से इन्फ्लेमेशन यानी सूजन से भी राहत पाई जा सकती है।

आइएएनएस, नई दिल्ली। Heart Health: डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसे कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करना जरूरी हो जाता है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि अगर आप भी अपना कुछ समय प्रकृति के साथ बिताते हैं तो ये आपकी सेहत के लिए वरदान साबित हो सकता है। जी हां, खासतौर से यह दिल और डायबिटीज की बीमारी के जोखिम को कम करता है। वहीं, इन्फ्लेमेशन यानी सूजन से भी राहत दिलाता है। एक अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी जरूरी बातें।

डायबिटीज का जोखिम होता है कम

हाल ही में, ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्युनिटी जर्नल में प्रकाशित हुई यह स्टडी बताती है कि प्रकृति के साथ क्वालिटी टाइम बिताने से सूजन का स्तर घटता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारी और डायबिटीज का जोखिम कम होता है। बता दें, कि इससे पहले भी कई स्टडीज में पर्यावरण को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर बताया जा चुका है।

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सूजन से मिलती है राहत

ताजा स्टडी में बताया गया है कि प्रकृति के साथ वक्त बिताने से सूजन के तीन अलग-अलग बायोमार्करों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ये तीन मार्कर हैं, इंटरल्यूकिन-6 (आईएल-6), जो एक साइटोकिन है और प्रणालीगत सूजन प्रक्रिया के प्रबंधन से निकट से जुड़ा हुआ है। दूसरा है सी-रिएक्टिव प्रोटीन, जो आईएल-6 और अन्य साइटोकिन की उत्तेजना प्रतिक्रिया को संश्लेषित करता है। तीसरा है फाइब्रिनोजेन, जो प्लाज्मा में घुलनशील प्रोटीन है।

बता दें, तीनों बायोमार्करों पर प्रकृति के असर का पता लगाया गया है और उसकी व्याख्या भी की गई है। अमेरिका के कॉरनेल यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग में प्रोफेसर व शोध दल का नेतृत्व करने वाले एंथनी ओंग कहते हैं, कि यह शोध बताता है कि प्रकृति का आनंद लेते हुए हम कैसे सूजन से जुड़ी दिल और डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचाव या उसके जोखिम को कम कर सकते हैं।

कितने लोगों पर हुआ अध्ययन?

स्टडी करने वाले ग्रुप ने इसके लिए 1,244 प्रतिभागियों को शामिल किया। ऐसे में उनके यूरिन और खाली पेट रक्त के नमूने की जांच भी की गई। एंथनी ओंग ने कहते हैं कि ये जरूरी नहीं है कि हमने प्रकृति की गोद में कितना समय बिताया बल्कि ज्यादा जरूरी यह है कि हमने कितना क्वालिटी टाइम बिताया।

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Picture Courtesy: Freepik

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