कुपोषित बच्चे होते हैं दिमागी बुखार के सबसे ज्यादा शिकार, जानें इसके लक्षण, बचाव और उपचार

ब्रेन फीवर वैसे तो सभी के लिए नुकसानदेह होता है लेकिन कुपोषित बच्चे इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। क्यों होती यह समस्या क्या हैं इसके लक्षण और कैसे करें बचाव जानेंगे यहां।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Fri, 12 Jul 2019 09:06 AM (IST) Updated:Fri, 12 Jul 2019 09:06 AM (IST)
कुपोषित बच्चे होते हैं दिमागी बुखार के सबसे ज्यादा शिकार, जानें इसके लक्षण, बचाव और उपचार
कुपोषित बच्चे होते हैं दिमागी बुखार के सबसे ज्यादा शिकार, जानें इसके लक्षण, बचाव और उपचार

हाल ही में ब्रेन फीवर के कारण बिहार में लगभग 200 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए और कई बच्चों की जान भी चली गई। जब किसी भी बुखार का असर मस्तिष्क तक पहुंच जाता है तो उसे ब्रेन फीवर कहा जाता है।

क्या है मर्ज

दरअसल ब्रेन फीवर के  कई कारण होते हैं। जहां तक बिहार के बच्चों का सवाल है तो इसकी कई वजहें हो सकती हैं। जैसे-वायरस से होने वाला इन्फेक्शन, खून में ग्लूकोज़ की कमी या बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण। यह बुखार क्यूलिक्स नामक मच्छर के काटने से भी होता है, जो जैपनीज़ इनसेफलाइटिस नामक वायरस को फैलाता है। यही वायरस ब्रेन फीवर के लिए जि़म्मेदार होता है। चूंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है, इसलिए अधिकतर वे ही इसके शिकार होते हैं। 

 

अन्य कारण

तेज़ धूप में बाहर घूमने से बच्चों का शुगर लेवल अचानक बहुत नीचे चला जाता है, इस अवस्था को हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है,  जिससे बच्चों में अचानक बेहोशी आ जाती है। सफाई की कमी, आसपास गंदे पानी का जमाव, मच्छर नाशक दवाओं या मच्छरदानी का इस्तेमाल न करना आदि इसकी प्रमुख वजहें हैं। गांव में जहां धान के खेतों में पानी भरा होता है और वहां कुछ लोग सुअर भी पालते हैं, जब पशुओं को मच्छर काटता है तो यह बीमारी मनुष्यों तक भी फैल जाती है।  

पहचानें इसके लक्षण

1. तेज़ या हलका बुखार, सिरदर्द, नॉजि़या, वोमिटिंग,  लूज़ मोशन,  मांसपेशियों में दर्द

2. और बेहोशी आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।

कैसे करें बचाव     

1. अपने आसपास पानी न जमा होने दें।

2. तेज़ धूप में बच्चों को बाहर न भेजें, उनके खानपान और सफाई का विशेष ध्यान रखें।

3. कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।

4.  इस बीमारी से बचाव के लिए छ्वश्व वैक्स नामक टीका भी उपलब्ध है।

जांच एवं उपचार

दरअसल ब्रेन के भीतर पाया जाने वाला फ्लूइड रीढ़ की हड्डी में भी मौज़ूद होता है, जिसकी जांच से यह मालूम हो जाता है कि बच्चे के शरीर में इसका वायरस है या नहीं? अगर ब्रेन में बीमारी के वायरस पाए जाते हैं तो लक्षणों के आधार पर इसका उपचार शुरू किया जाता है। उपचार के बाद भी यह बुखार शरीर या दिमाग पर कुछ ऐसे निशान छोड़ जाता है, जो ताउम्र बने रहते हैं। मसलन, हाथों-पैरों या दृष्टि में कमज़ोरी जैसे प्रभाव भी नज़र आ सकते हैं। बेहतरी इसी में है कि जैसे ही कोई लक्षण नज़र आए, बिना देर किए डॉक्टर से सलाह ली जाए। 

यह भी जानें

आजकल बच्चों में फैले ब्रेन फीवर के कारणों को लेकर कई तरह की आशंकाएं सामने आ रही हैं। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि अधिकतर बच्चों की मौत या बेहोशी का प्रमुख कारण यही था कि अचानक उनके रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर बहुत कम हो गया। जहां तक लीची का सवाल है तो इससे जुड़ा एक विरोधाभासी तथ्य यह भी है। स्वाद में मीठा होने के बावज़ूद उसमें हाइपोग्लाइसिन नामक तत्व मौज़ूद होता है, जिसके कारण खाली पेट लीची खाने से अचानक शुगर लेवल नीचे चला जाता है। हालांकि केवल लीची खाने से ही ऐसा नहीं होता, बच्चों में कुपोषण इसकी मुख्य वजह है। 

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