सिर्फ एक धोती वाले 'बापू'

देश की आजादी के नायक महात्मा गांधी बच्चों के लिए प्यारे बापू थे। उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था। बच्चों के खिले चेहरे और उनकी भोली बातों के बीच बापू को बहुत आनंद आता था। एक बार की बात है, एक बच्चे ने देखा कि बापू ठंड के मौसम में भी केवल एक धोती पहने हुए हैं। वह उनके पास

By Edited By: Publish:Fri, 26 Sep 2014 11:51 AM (IST) Updated:Fri, 26 Sep 2014 11:51 AM (IST)
सिर्फ एक धोती वाले 'बापू'

देश की आजादी के नायक महात्मा गांधी बच्चों के लिए प्यारे बापू थे। उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था। बच्चों के खिले चेहरे और उनकी भोली बातों के बीच बापू को बहुत आनंद आता था। एक बार की बात है, एक बच्चे ने देखा कि बापू ठंड के मौसम में भी केवल एक धोती पहने हुए हैं। वह उनके पास गया और बोला, बापू! आप कुर्ता क्यों नहीं पहनते? आपको ठंड लग जाएगी। बापू ने भी उसी भोलेपन से जवाब दिया, बेटा! न तो मेरे पास कुर्ता है और न ही मैं नया सिलवा सकता हूं। बालक बोला, लगता है, आपके पास कुर्ता सिलवाने के लिए पैसे नहीं हैं, आप चिंता मत करिए। मेरी मां बहुत अच्छी हैं, वे आपके लिए कुर्ता सिल देंगी। उनके पास कपड़ा भी है।

बापू मुस्कुराते हुए बोले, बेटा! पर मेरा काम एक कुर्ते से नहीं चलेगा। मेरे बहुत से भाई-बंधु हैं, जब तक उन्हें कुर्ता नहीं मिल जाता, मैं कुर्ता नहीं पहन सकता। बालक ने कहा, मेरी मां बहुत दयालु हैं। वह सबके लिये कुर्ते सिल देंगी। जितना आप कहेंगे, उतने कुर्ते सिल देंगी। बालक का यह भोलापन बापू के दिल को छू गया। वे बोले, बेटा तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है, लेकिन मेरे गरीब भाइयों की गिनती बहुत ज्यादा है। क्या तुम्हारी मां मेरे चालीस करोड़ देशवासियों के लिए कुर्ते सिल सकेंगी? यह जवाब सुनकर वह नन्हा बालक दंग रह गया। पूरे देशवासियों के बारे में बापू की यह सोच जानकर वह सोच में पड़ गया।

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