RURAL MANAGER चलो गावों की ओर

फ्यूचर की इकोनॉमी रूरल डेवलपमेंट पर फोकस होगी। इस फील्ड में फ्यूचर है, चैलेंज है, पैशन है और क्रिएटिविटी भी..

By Edited By: Publish:Wed, 24 Jul 2013 12:25 AM (IST) Updated:Wed, 24 Jul 2013 12:00 AM (IST)
RURAL MANAGER चलो गावों की ओर

अगर आप अमूल ब्रांड के फाउंडर वर्गीज कुरियन और बांग्लादेशी नोबेल प्राइज विनर मोहम्मद युनूस की तरह नेम और फेम चाहते हैं, तो रूरल एरिया को समझना होगा। क्योंकि इन दिनों रूरल एरिया गवर्नमेंट के साथ-साथ कॉरपोरेट जगत के लिए भी हॉट डेस्टिनेशन है। आज इंडिया ही नहीं, अन्य कंट्रीज का भी फोकस रूरल डेवलपमेंट पर है। इंडियन इकोनॉमी एग्रीकल्चर बेस्ड है और इकोनॉमी एक्सप‌र्ट्स का मानना है कि आने वाले सालों में रूरल डेवलपमेंट से ही देश की इकोनॉमी आगे बढेगी। कॉरपोरेट व‌र्ल्ड, व‌र्ल्ड बैंक, इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन आदि रूरल डेवलपमेंट के लिए कदम बढा चुके हैं। इंडियन गवर्नमेंट भी कई प्रोग्राम्स चला रही है। बैंक्स भी रूरल एरियाज में एक्सपेंशन प्रोग्राम चला रहे हैं। सरकार ने भी मेडिकल के पीजी स्टूडेंट्स के लिए 3 सालों तक गांवों में प्रैक्टिस कंपल्सरी कर दिया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रोफेशनल्स रूरल इलाकों में जाकर डेवलपमेंट में रोल अदा कर सकें।

कैसे करें एंट्री

स्पेशलाइज्ड कोर्स करने के अलावा इसमें एंट्री के दूसरे रास्ते भी हैं। आप सिंपल कोर्स करके भी ड्रीम जॉब पा सकते हैं। अगर रूरल मैनेजमेंट से रिलेटेड कोर्स करके एंट्री करते हैं, तो बिग प्लेटफॉर्म मिल सकता है। इससे रिलेटेड डिप्लोमा, डिग्री या पीजी कोर्स कई इंस्टीट्यूट्स करा रहे हैं। अगर आप ग्रेजुएट हैं, तो इस कोर्स के लिए एलिजिबिल हैं। अधिकतर इंस्टीट्यूट्स एंट्रेंस टेस्ट के बेस पर ही एडमिशन देते हैं।

चैलेंजिंग जॉब

कोर्स करने के बाद भी रूरल एरिया में जॉब करना आसान नहीं है, क्योंकि वहां की लाइफस्टाइल और वर्क कल्चर मेट्रो सिटीज से अलग होता है। इस एरिया में एंट्री करने से पहले रूरल एरिया की नॉलेज, वर्क कल्चर, लाइफस्टाइल और कल्चर आदि की समझ जरूरी है। इसके साथ ही पेशेंस, हंगरी फॉर वर्क और डिवोशन कंपल्सरी है।

जॉब प्रोफाइल

रूरल मैनेजर का वर्क रूरल एरिया में रहने वाले लोगों के डेवलपमेंट में हेल्प करना है, ताकि कंट्री की इकोनॉमी ग्रोथ और तेजी से हो सके। रूरल मैनेजमेंट से जुडेे प्रोफेशनल्स का काम रूरल एरिया में कंपनी की ग्रोथ और प्रॉफिट के ग्राफ को इंक्रीज करने का भी होता है। साथ ही, फर्म के मैनेजमेंट, मेंटिनेंस आदि की रिस्पॉन्सिबिलिटी भी इसी की होती है। यदि आपका प्लेसमेंट किसी रूरल कंसल्टेंसी कंपनी में हुआ है, तो प्लॉनिंग, बजट, मार्केट, इंस्पेक्शन यहां तक कि एम्प्लॉइज को रिक्रूट करने का वर्क करना पडता है।

जॉब ऑप्‌र्च्युनिटीज

-एनजीओ

-गवर्नमेंट डेवलपमेंट एजेंसी

-को-ऑपरेटिव बैंक (नाबार्ड, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी)

) -इंश्योरेंस सेक्टर

-रिटेल सेक्टर

-मल्टीनेशनल कंपनी या रूरल कंसल्टेंसी

-रिसर्च एजेंसी

फ्यूचर का जॉब

रूरल एरियाज के डेवलपमेंट के लिए मिनिस्ट्री ऑफ रूरल डेवलपमेंट ने कई स्कीम्स शुरूकी हैं, इसके अलावा सभी कंपनियां अब रूरल एरिया की तरफ एक्सपेंड कर रही हैं। देश के टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स के स्टूडेंट्स की सैलरी उनके बैकग्राउंड पर फोकस रहती है। रूरल मैनेजमेंट स्टूडेंट्स को शुरुआती दौर में चार से पांच लाख रुपये का एनुअल सैलरी पैकेज मिल जाता है। आने वाले टाइम में इस फील्ड में नए ऑप्शंस खुलने की उम्मीद है।

एक्सपर्ट बाइट

आज का यूथ ऐसा चैलेंजिंग जॉब करना चाहता है, जिसमें डिफरेंट वर्क करने के लिए बिग प्लेटफॉर्म हो। अगर आप भी इस तरह के वर्क चाहते हैं, तो रूरल मैनेजमेंट आपके लिए बेस्ट है। वैसे तो इसके लिए स्पेशलाइज्ड कोर्स कई इंस्टीट्यूट्स करा रहे हैं, लेकिन इसमें एंट्री तभी करें, जब आप वाकई में रूरल एरिया में रहकर वर्क करने के लिए तैयार हों। यहां की संस्कृति, वर्क कल्चर और लाइफ स्टाइल डिफरेंट होता है और इन कंडीशन में रूरल मैनेजर को बेस्ट रिजल्ट देना होता है। अगर जुनून और पेशेंस है, तो आप इसमें बेहतर रिजल्ट पा सकते हैं।

एस.एन. शरन

डायरेक्टर जनरल, जीएनआईटी, ग्रेटर नोएडा

इंटरैक्शन : विजय झा

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