Jharkhand Assembly Election 2019 : अस्पताल में डाक्टर न गांव में पीने का पानी, माइंस भी हो गई बंद

वोटरों का आरोप- मुद्दों के प्रति तनिक भी संजीदा नहीं दिखे जनप्रतिनिधि क्षेत्र में समूचे निजाम को मुंह चिढ़ा रही हैं बुनियादी समस्याएं

By Vikas SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 15 Nov 2019 06:56 PM (IST) Updated:Fri, 15 Nov 2019 06:56 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 :  अस्पताल में डाक्टर न गांव में पीने का पानी, माइंस भी हो गई बंद
Jharkhand Assembly Election 2019 : अस्पताल में डाक्टर न गांव में पीने का पानी, माइंस भी हो गई बंद

जगन्नाथपुर (बिशाल गोप)। एक निर्दलीय विधायक भी झारखंड का मुख्यमंत्री बन सकता है, लोकतंत्र में इस सच को साबित करने वाला जगन्नाथपुर विधानसभा खनिज संपदा से संपन्न है। मधु कोड़ा और गीता कोड़ा के नेतृत्व में यहां पर विकास के कई काम हुए हैं, लेकिन सुदूर गांवों में अब भी बुनियादी सुविधाएं लोगों को मयस्सर नहीं हैं। बदहाल सरकारी शिक्षा, बेरोजगारी के कारण पलायन, गरीब आदिवासी युवतियों और बच्चों की तस्करी, बिना डाक्टर वाले स्वास्थ्य केंद्र व चुआं का गंदा पानी समूचे निजाम को मुंह चिढ़ा रहा है। 

पश्चिम सिंहभूम जिले के इस विधानसभा में नोवामुंडी, जगन्नाथपुर प्रखंड के अलावा मनोहरपुर, गोईलकेरा और टोन्टो प्रखंड के कुछ हिस्से शामिल हैं। बीस साल से इस सीट पर कोड़ा दंपती का शासन है। गीता कोड़ा के सांसद चुन लिए जाने के बाद से यह सीट खाली है। इसबार यह क्षेत्र अपना विधायक चुनेगा। बतौर विधायक गीता कोड़ा क्षेत्र में सक्रिय दिखीं। गांवों में सड़क बनी, चापाकल लगे, डीप बोरिंग का काम हुआ, बिजली भी आई। लेकिन कई गांव और टोले इस मामले मं बदनसीब भी रहे। 

सात की जगह सिर्फ एक डाक्टर के सहारे चल रहा अस्पताल 

पांच वर्ष पूर्व जगन्नाथपुर में 30 बेड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नया भवन तो बनकर तैयार हो गया, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ीं। डाक्टर व मेडिकल उपकरण नहीं हैं। सात की जगह एक डाक्टर से काम चल रहा है। तबादला होता गया और नए डाक्टर नहीं आए। इस एक नमूने से आप गांवों में स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली और सरकारी संजीदगी का अंदाजा लगा सकते हैं। 

बढ़ गई लागत राशि, नहीं पूरी हुई जलापूर्ति योजना 

देवनदी किनारे मधुबासा में वर्ष 2015 में छह करोड़ की लागत से मोंगरा जलापूर्ति योजना का शुभारंभ पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा व विधायक गीता कोड़ा ने किया। यह अब भी अधूरी है। 2017 में योजना पूर्ण होने का लक्ष्य तय था। अब योजना का बजट बढ़कर 9.34 करोड़ हो गया है। अगर योजना पूरी हो जाती तो चार गांवों के करीब 12 हजार आबादी को पीने के लिए पानी मिलने लगता। 

तीस साल से लिफ्ट एरिगेशन दुरुस्त होने की बाट जोह रहे किसान 

वैतरणी नदी किनारे बसे दर्जनों गांवों के किसान तीस साल से सिंचाई सुविधा की बाट जोट रहे हैं। मरम्मत के अभाव में बंद पड़ा लिफ्ट एरिगेशन शुरू नहीं हुआ। यहां के किसान इसकी वजह से बेरोजगार हो गए। सांसद-विधायक से कई बार किसानों ने गुहार लगाई, लेकिन किसी ने ठोस पहल नहीं की। खेतों तक पानी पहुंचने लगता तो किसानों की आर्थिक दशा सुधर जाती। ब्रह्मपुर, देवगांव, बनाईकेला, सियालजोड़ा, कादोकोड़ा, धरूवाडीह आदि गांवों के खेत आबाद हो जाते। 

माइंस बंद, मनरेगा में समय पर भुगतान नहीं होने से पलायन 

नोवामुंडी प्रखंड क्षेत्र की कई माइंस बंद हो चुकी है। रोजगार का कोई दूसरा साधन यहां नहीं है। लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं। बारिश के समय लोग गांव में खेती करने आते हैं। यहां मनरेगा योजना के तहत काम मिल भी जाए तो समय पर पैसे नहीं मिलते। सरकार अगर बंद माइंस खोल देती तो गरीबों को काम मिल जाता। गीता कोड़ा ने इसके लिए झारखंड सरकार के खिलाफ कभी मजबूत आंदोलन तक नहीं किया। 

बेलपोसी से मनिकपुर तक की सड़क खोल रही सबकी पोल 

गांव की सड़कों को देखकर आप दंग रह जाएंगे। विकास की पोल-पट्टी खुलती नजर आएगी। जगन्नाथपुर प्रखंड के बेलपोसी से मनिकपुर करीब तीन किलो मीटर ग्रामीण सड़क मुंह चिढ़ा रही है। मनिकपुर से रामतीर्थ को जोडऩे वाली यह सड़क 17 साल से नहीं बनी है। इस सड़क पर सफर जानलेवा है। ग्रामीण वर्षों से इस सड़क को बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई इस दिशा में पहल करने को तैयार नहीं है। 

कहते हैं वोटर 

बेलपोसी सड़क पर चलना खतरे से खाली नहीं। बरसात में पांच किलोमीटर घूम कर कादोकोड़ा आती जाती हैं छोटी गाडिय़ां। कोई सुध लेने वाला नहीं है।

विनोद प्रधान, किसान, बेलपोसी गांव 

ऐसा लगता है कि जिंदगी किसी टापू पर कट रही है। बुनियादी सुविधाएं तक लोगों को नसीब नहीं हैं। विकास क्यों नहीं हुआ, इसकी पड़ताल होनी चाहिए।

महावीर दिग्गी, ग्रामीण, मनिकपुर गांव 

कृषि प्रधान देश में खेत के लिए पानी नहीं है। यह शर्म की बात है। रोजगार तो दे नहीं पाए, खेत को भी बांझ कर दिया। किसान बदहाल हैं। 

कमल बोबोंगा, खमनिया-पदमपुर गांव

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