चिमटा से पकड़ने पर डर जाता है सांप, कुछ ही दिन में हो जाती है मौत

चाईबासा स्थित वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय में वन्य प्राणी सप्ताह के अंतर्गत सारंडा वन प्रमंडल व टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट के सौजन्य से सांपों को बचाने व पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 07 Oct 2020 08:46 PM (IST) Updated:Thu, 08 Oct 2020 05:14 AM (IST)
चिमटा से पकड़ने पर डर जाता है सांप, कुछ ही दिन में हो जाती है मौत
चिमटा से पकड़ने पर डर जाता है सांप, कुछ ही दिन में हो जाती है मौत

जागरण संवाददाता, चाईबासा : चाईबासा स्थित वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय में वन्य प्राणी सप्ताह के अंतर्गत सारंडा वन प्रमंडल व टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट के सौजन्य से सांपों को बचाने व पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में सारंडा वन प्रमंडल, चाईबासा वन प्रमंडल, पोड़ाहाट वन प्रमंडल एवं वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय के कुल 50 लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। सांपों को बचाने व सुरक्षित स्थान पर छोड़ने का प्रशिक्षण प्रसिद्ध सांप विशेषज्ञ जमशेदपुर के एनके सिंह ने दिया। उन्होंने कोबरा और पिट वाइपर सांप के साथ प्रशिक्षण दिया। सिंह ने सांपों को नुकसान नहीं पहुंचाने व पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए बहुत सारी तकनीक बताई। सांपों को किसी भी चिमटा जैसी वस्तु से नहीं पकड़ने के लिए बताया क्योंकि चिमटा जैसी वस्तुओं से सांप के शरीर में चोट लग सकती है। अगर चिमटा से सांप को पकड़ा जाए तो सांप काफी डर जाता है और डरने के बाद सब खाना पीना छोड़ देता है। उसके उपरांत वह कुछ दिन के बाद मर जाता है। ज्यादातर लोग सांप पकड़ने के बाद उसे छोड़ देते हैं। उसके बाद की स्थिति का पता किसी को नहीं चल पाता है। उन्होंने बताया कि सांप डरपोक प्रजाति का जानवर है। सांपों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करें। सांपों क् ज्यादा होने से पर्यावरण संतुलित रहता है। दूध नहीं पीता सांप

उन्होंने बताया कि कुछ लोगों में यह धारणा रहती है कि सांप दूध पीते हैं परंतु सांप का जीभ काफी पतली होती है वह दूध नहीं पी पाता है इसलिए सांप को कभी दूध नहीं पिलाना चाहिए। सांपों के साथ सेल्फी ना ले। सांप का फोटो ले जिससे भविष्य में उन्हें पहचानने में मदद मिलेगी।

सांप के काटने पर अगर चीरा हुआ निशान दिखाई दे तो घबराने की जरूरत नहीं

एनके सिंह ने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम क्षेत्र में चिति सांप बहुत हैं। वे हेमोटॉक्सिन होते हैं। उसके काटने पर दो छोटा बिदु के समान काला निशान पड़ जाता है। इसके काटने पर व्यक्ति की मृत्यु जल्दी हो सकती है। वहीं, कोबरा जो न्यूरोटोक्सीन होते हैं उसके काटने पर नीला निशान पड़ जाता है। अगर सांप के काटने पर चीरा हुआ निशान दिखाई देता है तो सांप ने उसे खाने वाले दांत से काटा है जिससे सांप का विष मनुष्य में प्रवेश नहीं किया है और व्यक्ति सुरक्षित है।

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एनके सिंह की पत्नी की सांप के काटने से हो चुकी है मौत

बता दें कि एनके सिंह 1971 से सांप पकड़ रहे हैं। उनकी पत्नी की मृत्यु सांप काटने से हुई थी। उसके उपरांत उन्होंने प्रण लिया की सांपों को बचाना है सांपों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होना चाहिए। जबतक सांप के शरीर पर पैर ना पड़े, सांप कभी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाता है। तब से लेकर अबतक वह एक लाख से भी ज्यादा सांप को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ चुके हैं। खरसावां के कुचाई में उन्होंने सांप पार्क की भी स्थापना की है। सिंह 85 वर्ष की उम्र में भी काफी सक्रिय है। सांप को मारने पर भी हो सकती है सजा : डीएफओ रजनीश

सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने बताया कि लोग वन और वन्य जीवों के प्रति संवेदनशील बनें। सांपों को देखने के बाद डरे नहीं उन्हें जाने का रास्ता दें। सांप को मारे नहीं। सांप को नुकसान पहुंचाना भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें सजा का भी प्रावधान है। जबतक पता ना हो कि सांप को किस तरह से पकड़ा जाए उन्हें ना पकडे़।

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