चुनावी शोर के बीच बंद हो गया स्पंज प्लांट, किसी को नहीं सुध

पश्चिमी सिंहभूम के झींकपानी में चल रहा स्पंज आयरन प्लांट बंद हो गया है। चुनावी शोर के बीच कारखाना का भोंपू कब शांत हो गया कि किसी को पता ही नहीं चला।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 Nov 2019 11:26 PM (IST) Updated:Sun, 01 Dec 2019 06:18 AM (IST)
चुनावी शोर के बीच बंद हो गया स्पंज प्लांट, किसी को नहीं सुध
चुनावी शोर के बीच बंद हो गया स्पंज प्लांट, किसी को नहीं सुध

सुधीर पांडेय, चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम के झींकपानी में चल रहा स्पंज आयरन प्लांट बंद हो गया है। चुनावी शोर के बीच कारखाना का भोंपू कब शांत हो गया कि किसी को पता ही नहीं चला। नवागांव स्थित साईं स्पंज प्लांट के अचानक बंद हो जाने से 250 से ज्यादा स्थायी और अस्थायी मजदूरों व कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। वहीं, 500 से ज्यादा परिवार प्रभावित हो गये हैं। बताया जा रहा है कि स्थानीय ठेकेदारों और कंपनी प्रबंधन के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने के कारण संचालक ने प्लांट को ही बंद कर दिया है। 10 अक्टूबर से ही प्लांट में सभी तरह का उत्पादन ठप है। संचालक ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि जब तक विवाद का पटाक्षेप नहीं होता तब तक कारखाना चालू नहीं किया जायेगा।

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जिले में हैं स्पंज आयरन के दो कारखाने

लौह अयस्क खदानों वाले पश्चिमी जिला में स्पंज आयरन के दो कारखाना हैं। एक बड़ाजामदा में श्री बालाजी स्पंज प्लांट है। दूसरा झींकपानी के नवागांव में साईं स्पंज प्लांट है।साईं स्पंज प्लांट में 200 टन उत्पादन क्षमता का क्लिन है। इसमें हर दिन 150 टन स्पंज आयरन तैयार हो रहा था। 51 दिन से कारखाना में काम बंद है। इस वजह से उत्पादन भी ठप है।

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150 मजदूरों के साथ 26 दिन काम मांग रहे ठेकेदार, प्रबंधन तैयार नहीं

स्पंज आयरन के उत्पादन के लिए कारखाना में 50 स्थानीय और 50 बाहरी मजदूर रखे गये हैं।नवागांव के मुखिया प्रदीप तामसोय, भगवान गोप, सुमिति देवी और शिबू नायक कंपनी में ठेका पर मजदूर सप्लाई करते हैं। इनके अंडर में करीब 150 ठेका मजदूर हैं। ठेकेदारों का कहना है कि सभी मजदूरों को माह में 26 दिन काम दिया जाये। साथ ही 286 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय का भुगतान किया जाये। वहीं कंपनी प्रबंधन का कहना है कि प्लांट की उत्पादन क्षमता ज्यादा नहीं है। सभी 150 मजदूरों को लगातार 26 दिन काम देना संभव नहीं है। क्षमता के अनुसार यहां मात्र 50 मजदूरों की ही जरूरत है। अगर मजदूर बढ़ायेंगे तो कंपनी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ जायेगा। इसी को लेकर प्रबंधन व ठेकेदारों के बीच विवाद चल रहा है। ठेकेदारों का कहना है कि अगर नुकसान हो रहा है तो प्लांट बंद कर दें। समस्या नहीं सुलझते देख प्रबंधन ने प्लांट बंद कर दिया है।

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यह स्पंज प्लांट पूरी तरह आटोमेटेड है। इसमें न्यूनतम मजदूरों की जरूरत पड़ती है। इसके बावजूद स्थानीय लोगों को कारखाना में नौकरी दी गयी है। जब कारखाना चल रहा था तो प्रत्यक्ष रूप से 100 से ज्यादा मजदूर इसमें काम कर रहे थे जबकि जरूरत मात्र 50 मजदूरों की ही थी। ठेकेदार 150 मजदूरों को माह में 26 दिन काम देने का दबाव बना रहे हैं। यह मांग अवैध है। ठेकेदारों ने मजदूरों को काम करने से मना कर दिया है। इस वजह से हम लोगों ने प्लांट को बंद कर रखा है। मामला सुलझने के बाद ही प्लांट को चालू करने के बारे में सोचेंगे।

-नीरज संदवार, प्रबंधक, साईं स्पंज, झींकपानी।

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