कलश यात्रा के साथ तीन दिवसीय गीता जयंती समारोह शुरू

गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत विजय ग्राम स्थित विजय तरण आश्रम में शुक्रवार को कलश स्थापना के साथ तीन दिवसीय वार्षिक गीता जयंती समारोह का शुभारंभ हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 05:55 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 06:18 AM (IST)
कलश यात्रा के साथ तीन दिवसीय गीता जयंती समारोह शुरू
कलश यात्रा के साथ तीन दिवसीय गीता जयंती समारोह शुरू

जासं, सरायकेला : गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत विजय ग्राम स्थित विजय तरण आश्रम में शुक्रवार को कलश स्थापना के साथ तीन दिवसीय वार्षिक गीता जयंती समारोह का शुभारंभ हुआ। जानकारी हो कि विजय तरण आश्रम जो रामबाबा आश्रम के नाम से जाना जाता है, में आश्रम के संस्थापक परमाध्यक्ष परमादर्श त्यागशिरोमणी ब्रह्मालीन श्रीश्री 108 श्री पपरमहंस स्वामी रामानंद सरस्वती जी तथा स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी की प्रेरणा से प्रतिवर्ष गीता जयंती समारोह का आयोजन किया जाता है। शुक्रवार को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रविवार को सुबह जगन्नाथधाम पुरी से आए पूजारी व विद्वान पंडितों की अगुवाई में गाजे-बाजे के साथ महिलाएं घट लेकर संजय नदी घाट गईं, जहां विधि विधान के साथ जल लेकर कलश यात्रा में शामिल महिलाएं आश्रम पहुंची। पूरे आश्रम परिसर का परिभ्रमण करते हुए हवनकुंड तक गईं जहां पुजारियों द्वारा कलश लेकर हवनकुंड में स्थापना कर दी गई। कलश स्थापना के साथ ही आश्रम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी।रविवार को कलश स्थापना व गंधाधिवास के पश्चात गीता पाठ एवं गीता प्रवचन हुआ साथ ही प्रसाद का वितरण, संध्या आरती एवं रात में नामेर माहात्म्य अनुष्ठान का आयोजन किया गया। यज्ञ का शुभारंभ होते ही चारों ओर मंत्रोच्चारण की ध्वनि गूंजने लगी है। शनिवार को सुबह 5.30 बजे से आरती, 6.00 बजे गीता पाठ, 12.00 बजे से प्रसाद सेवनी, तीन बजे से पांच बजे तक गीता प्रवचन, छह बजे से आरती, एवं शिव मोहिम्न स्तोत्रम उसके बाद प्रसाद सेवन व बाउल संगीत का आयोलन होगा। रविवारको प्रात: 5.30 बजे से आरती एवं श्री विष्णु सहस्त्र नाम, 8.30 बजे से गीता पाठ, एक बजे पूर्णाहूति एवं बालक भोजन तथा शाम को मुख्य अतिथियों के द्वारा गीता प्रवचन होगा। आश्रम के संचालक मृत्युंजय बाबा भक्तों के साथ समारोह की व्यवसथा में लगे हुए हैं। अनुष्ठान का संचाल एवं पूजा-अर्चना में पूरी से आए पंडित अनंत गोपाल दास, लिगराज षाड़ंगी, दयानिधि द्विवेदी, काशीनाथ मिश्रा, राजेंद्र चतूर्वेदी, बाबालू लाल आचार्य व धीरेंद्र महापात्र तथा दुगनी के आचार्य ज्ञानानंद ज्येतिषि व विजय आचार्य भूमिका निभा रहे हैं।

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ओडिशा, बंगाल व बिहार से हजारों लोग होते हैं शामिल

गीता जयंती समारोह में पड़ोसी राज्य ओड़िशा, बंगाल व बिहार से भी हजारों श्रद्धालु आते हैं। महाप्रसाद वितरण एवं पूर्णाहुति में भाग लेते हैं। परमहंस स्वामी रामानंद सरस्वती जी जो रामबाबा के नाम पर जाने जाते हैं अब समाधि ले ली है परंतु आज भी उनके भक्त आश्रम में आकर बाबा की समाधि में माथा टेकते हैं। प्रति वर्ष भांति इस वर्ष भी छह से आठ दिसंबर तक त्रिष्टक पूर्ण परायण एवं प्रवचन के साथ तीन दिवसीय गीता जयंती का आयोजन किया गया है।

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