निश्चितपुर में चाड़री पाट पूजा आज से, तैयारी पूरी

गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बीरबांस पंचायत के निश्चिंतपुर में सार्वजनिक चाड़री पाट पूजा कमेटी की ओर से मकर संक्रांति के अवसर पर प्रतिवर्ष की भांति शनिवार व रविवार को दो दिवसीय चाड़री पाठ पूजा उत्सव का आयोजन होगा। शनिवार को कुमारी पूजा के साथ चाड़री पाट पूजा होगी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Jan 2022 09:00 AM (IST) Updated:Sat, 15 Jan 2022 09:00 AM (IST)
निश्चितपुर में चाड़री पाट पूजा आज से, तैयारी पूरी
निश्चितपुर में चाड़री पाट पूजा आज से, तैयारी पूरी

जागरण संवाददाता, सरायकेला : गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बीरबांस पंचायत के निश्चिंतपुर में सार्वजनिक चाड़री पाट पूजा कमेटी की ओर से मकर संक्रांति के अवसर पर प्रतिवर्ष की भांति शनिवार व रविवार को दो दिवसीय चाड़री पाठ पूजा उत्सव का आयोजन होगा। शनिवार को कुमारी पूजा के साथ चाड़री पाट पूजा होगी। प्रतिवर्ष की भांति मकर सांक्रांति के दूसरे दिन अर्थात शनिवार की सुबह आठ बजे वन कुमारी देवी की पूजा-अर्चना के साथ चाड़री पाट पूजा का शुभारंभ होगा। इसके बाद चाड़री पाट पर पूजा-अर्चना, दर्शन व प्रसाद वितरण होगा। मकर पर्व के दूसरे दिन होती है पूजा : गम्हरिया पंचायत अंतर्गत बीरबांस पंचायत के निश्चिंतपुर में मकर पर्व के दूसरे दिन वार्षिक चाड़री पाट पूजा उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर स्थानीय व दूरदराज के हजारों श्रद्धालु सुख-शांति व मन्नतें पूरी होने की कामना कर पूजा-अर्चना करते हैं। ज्ञात हो कि निश्चिंतपुर में मकर संक्रांति के दूसरे दिन पहला माघ को आस्था व विश्वास के साथ चाड़री पाट पूजा का आयोजन किया जाता है। भगवान शिव, मां पाउड़ी व वन कुमारी देवी की होती है पूजा : इस दौरान तीन अलग-अलग पूजा स्थलों पर पारंपरिक रीति-रिवाज व संस्कृति के अनुसार भोले बाबा के रूप में भगवान शंकर, मां पाउड़ी, चाड़री मां व वन कुमारी की पूजा-अर्चना की जाती है। वन कुमारी की पूजा के साथ उत्सव का शुभारंभ होता है। चाड़री पाट पर स्थानीय व आसपास के लोगों की आस्था है। यहां सत्य भावना के साथ पूजा-अर्चना करने व मन्नतें मांगने पर मनोकामनाएं पूरी होती है। चाड़री पाट में बूढ़ा बाबा के रूप में भगवान शिव की और मां पावड़ी व चाड़री पाट देवी की अलग-अलग पूजा की जाती है। बूढ़ा बाबा के रूप में भगवान शिव की पूजा पुष्प, बेलपत्र व मिठाई के साथ की जाती है, जबकि पाउड़ी देवी व चाड़री पाट देवी की पूजा में बकरे, बतक व मुर्गों की पूजा की जाती है। श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगते है। कुछ श्रद्धालु मन्नत पूरी होने की आस में षाष्टांग दंडवत कर चाड़री पाट की पहाड़ी चढ़कर पूजा स्थल तक पहुंचते हैं। इनमें अधिकांश श्रद्धालु महिलाएं होती हैं। वन कुमारी देवी की पूजा कुंवारी कन्याएं करती हैं। लोगों में आस्था है कि कुमारी देवी की पूजा से कन्याओं को सुयोग्य वर मिलता है। चाड़री पाट के मुख्य पुरोहित गौर सिंह सरदार हैं। इससे पूर्व उनके पिता चाड़री पाट के पुरोहित थे। पहाड़ी की खोह में है चाड़री पाट पूजा स्थल : चाड़री पाट पूजा स्थल लगभग पांच सौ फीट की ऊंचाई पर पहाड़ी की खोह में है, जहां पहुंचने के लिए दुर्गम रास्ता है। वन भूमि पर स्थित व चटानों की पहाड़ी होने के कारण पूजा स्थल तक जाने के लिए सुगम रास्ता नहीं है। पूजा स्थल तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को चट्टान व घने पेड़ों से होकर पथरीली जमीन पर नंगे पांव चलना पड़ता है। विभिन्न क्षेत्र के श्रद्धालु चाड़री पाट पर पूजा-अर्चना कर सुख, शांति व समृद्धि की कामना करते हैं। मकर संक्रांति के दूसरे दिन पहला माघ को आयोजित वार्षिक चाड़री पाट पूजा में स्थानीय व दूरदराज से आए श्रद्धालु पहुंचते हैं। राज्य सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से कई प्राचीन पूजा स्थलों का विकास किया गया, परंतु सरायकेला-कांड्रा मुख्य मार्ग पर स्थित चाड़री पाट के विकास की ओर न तो प्रशासन का ध्यान है और न ही राज्य सरकार का। उन्होंने कहा कि चाड़री पाट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।

- गौर सिंह सरदार, मुख्य पुरोहित, चाड़री पाट।

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