बांस कला से समृद्ध बनेंगे ग्रामीण

साहिबगंज लॉकडाउन से लोगों को आजीविका छीन गई है। रोजी-रोजगार के अभाव में लोग परेश

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 May 2020 07:06 PM (IST) Updated:Tue, 12 May 2020 06:24 AM (IST)
बांस कला से समृद्ध बनेंगे ग्रामीण
बांस कला से समृद्ध बनेंगे ग्रामीण

साहिबगंज : लॉकडाउन से लोगों को आजीविका छीन गई है। रोजी-रोजगार के अभाव में लोग परेशान हैं। वहीं जिला मुख्यालय से 70 व बरहेट प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर कुसमा मोहलीटोला व बोन टोला गांव के लिए लॉकडाउन में आजीविका की उम्मीद लेकर आया है। यहां मोहली व आदिवासी समाज के 55 परिवार रहते हैं। ये सरकारी अनाज के सहारे परिवार चला रहे हैं। अब कृषि विज्ञान केंद्र कीे ओर इन्हें प्रशिक्षण देकर बांस की सामग्री बनाने में निपुण किया जाएगी, ताकि ये आर्थिक रूप से समृद्ध बन सकें। इसको लेकर केवीके के प्रधान वैज्ञानिक ने इस गांव का दौरान निरीक्षण किया। लॉकडाउन के दौरान उनको इस काम को और बेहतर तरीके से करने के लिए प्रशिक्षण देने की तैयारी है।

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बेकारी ने बढ़ा दी परेशानी

मोहली टोला गांव के बड़का हेंब्रम बताते हैं कि अभी तो परेशानी है। काम नहीं चल रहा है। मोदी सरकार व हेमंत सरकार की ओर से प्राप्त अनाज का सहारा है। गांव में केवल धान की खेती होती है। इससे सटे गांव बोन टोला के बेटका मुर्मू की समस्या भी कए है। धान की बेहतर फसल होती है। इसके बाद रोजगार का अभाव रहता है। लॉकडाउन ने परेशानी बढ़ा दी है। गांव में इस बात को लेकर जागरूकता है कि लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है।

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बांस की सामग्री बचे होता गुजारा

बरहेट के मोहलीटोला गांव के 18 परिवार के लोग बांस से बने सामान टोकरी, डलिया व सूप आदि बनाकर आजीविका चलाते हैं। इस समय इसकी बिक्री नहीं होने से उन्होंने इसे बनाना छोड़ दिया है। बोन टोला के 37 परिवार की आजीविका भी खेती के अलावा बांस के सामान बनाकर चलती है। गांव में लॉकडाउन के दौरान पहुंचने पर सलोनी हेंब्रम, होपोनमय हेम्ब्रम, एलिजाबेथ बास्की ने बताया कि वे जब लॉकडाउन के दौरान गांव में सुविधाओं का जायजा लेने पहुंचे प्रधान वैज्ञानिक से मिले तो बताया कि उनके लिए बांस की कारीगरी का प्रशिक्षण देने की तैयारी की गई है। बांस बने उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार की भी व्यवस्था की जाएगी।

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कोट

जिला के कृषि विज्ञान केंद्र ने बरहेट प्रखंड के मोहली टोला व बोन टोला गांव का चयन बंबू क्राफ्ट का प्रशिक्षण देकर मोहली समाज के लोगों को आत्म निर्भर बनाने के लिए किया है। लॉकउाउन लंबा चलेगा तो इसी दौरान दोनों टोला के लोगों को प्रशिक्षण देकर बांस के कलात्मक सामान बनवाकर बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। इससे आदिवासी गांव की तरक्की हो सकेगी।

डॉ. अमृत कुमार झा, प्रधान वैज्ञानिक केवीके, साहिबगंज

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