स्वच्छ व निर्मल गंगा के लिए युवाओं को दें जिम्मेदारी

संवाद सहयोगी, उधवा (साहिबगंज) : पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत भूगर्भशास्त्री डॉ. रंजीत कुम

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Nov 2018 04:44 PM (IST) Updated:Sat, 03 Nov 2018 04:44 PM (IST)
स्वच्छ व निर्मल गंगा के लिए युवाओं को दें जिम्मेदारी
स्वच्छ व निर्मल गंगा के लिए युवाओं को दें जिम्मेदारी

संवाद सहयोगी, उधवा (साहिबगंज) : पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत भूगर्भशास्त्री डॉ. रंजीत कुमार ¨सह का कहना है कि जीवनदायिनी गंगा को स्वच्छ व निर्मल रखने के लिए सिर्फ सरकारी प्रयास से काम नहीं चलेगा। इसके लिए देश के युवाओं को भी आगे आना होगा। कहा कि गंगा जीवनदायिनी है क्योंकि गंगा के बाहर संतान के समान मनुष्य सहित अन्य जीव गंगा की कृपा पर निर्भर है वहीं गंगा के अंदर भी जलीय जीव भी गंगा मां की संतान हैं। गंगा की स्वच्छता दोनों के लिए आवश्यक है। गंगा स्वच्छ व निर्मल रहे इसके लिए जनजागरूकता की जरूरत है। स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं की भी सहभागिता तय करनी होगी। आज जिस तरह से गंगा का जल प्रदूषित हो चुका है, उसमें राष्ट्रीय स्तर पर 40 प्रतिशत लोगों को शुद्ध पानी पीने को मिल सकता है। गंगा नदी पर फरक्का में बांध बनाकर इसके प्रवाह को रोका गया है। इससे गंगा निर्मल नहीं रह गई है।

कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि कृषि क्षेत्र गंगा नदी से ¨सचाई के लिए जो पानी का उपयोग कर रहे हैं, वह बर्बाद नहीं हो। वर्षा जल को संरक्षित करें, इसे बर्बाद नहीं होने दें। शहरों की नालियों तथा औद्योगिक कचरा गंगा को प्रदूषित कर रहा है। झारखंड में 15 स्नान घाट बनना है, लेकिन वेदों में गंगा में 14 कार्य करना वर्जित है। जैसे शौच नहीं करना, बाल नहीं धोना, पूजन सामग्री को नहीं डालना, कपड़े नहीं धोना, मृत जानवर का शव नहीं डालना, साबुन शैम्पू का उपयोग पूर्णत: मना है। प्लास्टिक पॉलीथिन थर्मोकोल आदि गंगा में नहीं डाला है, शहर के नाले नाली आदि का प्रदूषित गंदे पानी का प्रवाह गंगा में नहीं हो। इसके लिए युवाओं को ही आगे आना होगा ताकि गंगा पवित्र और निर्मल रह सके।

chat bot
आपका साथी