आम के पेड़ के तने को अंदर से खोखला कर रहा कीड़ा, ऐसे पाएं नियंत्रण

Ranchi Jharkhand News बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह कीड़ा नए आम के पेड़ के मुख्य तने में रात के समय प्रवेश करता है। फिर दीमक की तरह तने का रस चूसकर अपशिष्ट को धीरे-धीरे बाहर गिराता रहता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 10 Jan 2021 04:48 PM (IST) Updated:Sun, 10 Jan 2021 05:11 PM (IST)
आम के पेड़ के तने को अंदर से खोखला कर रहा कीड़ा, ऐसे पाएं नियंत्रण
कीड़े की वजह से पेड़ का तना इस तरह खोखला हाे जाता है।

रांची, जासं। कोरोना महामारी के कारण मानव जाति के समक्ष पैदा हुए खतरे के बीच अब आम के पेड़ पर हमला करने वाले कीड़े सामने आ रहे हैं। ये कीड़े आम के नए पेड़ के मुख्य तना पर हमला कर रहे हैं। यह पेड़ में एक छोटा छेद कर मुख्य तने के अंदर प्रवेश करते हैं। उसके बाद उसे अंदर से खोखला कर देते हैं। इससे हल्की हवा चलने से भी पेड़ टूटकर गिर जाता है। हाल के दिनों में झारखंड के ओरमांझी, अंगड़ा, बेड़ो, रामगढ़, हजारीबाग, चाईबासा आदि जगहों से इस कीड़े के बारे में किसान शिकायत कर रहे हैं। इन इलाकों में कई पेड़ रातों रात टूट कर गिर गए। पहले किसानों को लगा कि यह किसी की शरारत है। मगर बाद में कीड़े की बात सामाने आई।

रात में सक्रिय होता है ये कीड़ा

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कीट विभाग के अध्यक्ष प्रो डॉ. पीके सिंह बताते हैं कि यह कीड़ा नए आम के पेड़ के मुख्य तने में रात के समय प्रवेश करता है। फिर दीमक की तरह तने का रस चूसकर अपशिष्ट को धीरे-धीरे तने के बाहर गिराता रहता है। यह कीट रात में सक्रिय होता है इसलिए किसान इसे देख नहीं पाते हैं। इससे पेड़ को हो रहे नुकसान का पता नहीं चल पाता है। यह कीड़ा मुख्य रूप से मोलस्कन ग्रुप का है और माथ प्रजाति है। हालांकि यह एक आम कीट से ही विकसित प्रजाति है। कीटों में यह बदलाव एक दशक में एक बार आता है। इस बदलाव से कई बार कीट विकसित नहीं हो पाते हैं और मर जाते हैं।

कैसे करें कीट का प्रबंधन

प्रो डॉ. पीके सिंह बताते हैं कि इस कीट से नए पेड़ के बचाव के लिए दीमक और कीट प्रबंधन को मिलकर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए किसान को सबसे पहले पेड़ को चूने से पेंट कर देना चाहिए। इस कीड़े की शरीर का चमड़ा काफी कड़ा होता है। ऐसे में इस कीट को मारने के लिए जहरीले गंध का इस्तेमाल किया जाता है। एक दवा क्लोरोपाइरीफास को रुई में भिगोकर कीट के द्वारा बनाए छेद में डाल दें। इसके साथ ही तालाब की गीली मिट्टी को ऊपर से लगा दें। इसके साथ ही इस घोल को पेड़ के जड़ में भी डालें। इससे मिट्टी जहरीली हो जाएगी और मिट्टी से चलकर भी यह कीड़ा पेड़ में प्रवेश नहीं कर पाएगा। इस जहर का असर 40 दिनों तक रहता है।

'अचानक तीन पेड़ एक के बाद एक टूट गए। शुरू में लगा कि किसी ने बदमाशी से पेड़ काट दिया। मगर फिर बाद में कीट के बारे में पता चला। गांव के कई लोगों के साथ ऐसा हुआ है। बड़ा नकसान हुआ है।' -रोहित बेदिया, ओरमांझी।

'शुरू में समझ में ही नहीं आया कि पेड़ कैसे खराब हो रहे हैं। मगर बाद में कीट के लक्षण दिखने लगे। गांव में कई लोगों के पेड़ में यह कीट लगा था। बाद में दवाई के इस्तेमाल से गांव में कीट को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।' -कुयला साव, अनगड़ा।

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