सेहत का संसार

कोरोना काल में सबसे एक्टिव स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों में संक्रमण का खतरा बना हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 02:39 AM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 06:09 AM (IST)
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-अमन मिश्रा

:: तकरार है बरकरार ::

कोरोना काल में सबसे एक्टिव स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों में संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्सक। इसी बीच एक विवाद शुरू हो गया। विभाग के मंत्रीजी से तालमेल सही नहीं बैठने के कारण एकीकृत कोरोना सेंटर बने राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के निदेशक को हटाने की कवायद शुरू कर दी गई। जब पूरा देश, राज्य महामारी की लड़ाई लड़ रहा है, ऐसे में महत्वपूर्ण अस्पताल में महत्वपूर्ण ओहदे पर बैठे निदेशक का इस्तीफा मंत्रीजी ने तुरंत स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री के पास फाइल बढ़ा दी। इस पर भी जमकर राजनीति हुई। कई दल के नेताओं ने मंत्री के सीएम को पत्र लिखने पर सवाल उठाए। अंत में मुख्यमंत्री को आदेश जारी करना पड़ा कि महामारी में निदेशक के इस्तीफे को मंजूर नहीं किया जाएगा। अब विवाद शात है। लेकिन दोनों के बीच तकरार अब भी बरकरार है। -------

:: मेहरबान मंत्रीजी ::

मंत्रीजी के रिम्स से जुड़े किस्से कई हैं। बस थोड़ा चढ़ा देने की देर है, सारे नियम कानूनों को ताक पर रखते हुए मंत्रीजी खुद ही नए-नए नियम काननू बना डालते है। आठ महीने पहले रिम्स निदेशक और अधीक्षक ने रिम्स के ही मेडिसिन विभाग के एक डॉक्टर पर कार्रवाई करते हुए उन्हें यूनिट इंचार्ज के पद से हटा दिया था। आरोप था कि पहचान की दुकान से दवा लाने का दबाव डालते थे। जाच कमेटी बनी, उसने रिपोर्ट भी सौंपी। डॉक्टर पर लगे आरोप सही साबित हुए। कार्रवाई के आठ महीने बाद सिफारिश मंत्रीजी के पास पहुंची। जब उन्हें पता चला कि निदेशक ने कार्रवाई की थी। उन्होंने अधीक्षक को मोहरा बनाते हुए डॉक्टर साहब को उनकी यूनिट में वापस करा दिया। अब मंत्रीजी के खिलाफ कई सवाल खुद ब खुद उठ खड़े हो रहे हैं, जल्दी ही सभी का जवाब उन्हें देना पड़ सकता है। ------

:: नियुक्ति पर पेच ::

कोरोना की लड़ाई में कुछ विभाग के अधिकारी व कर्मचारी दूसरों को सुरक्षित रखने के लिए फ्रंटलाइन में आकर सेवा देने में लगे हैं। शाबासी मिलनी तो दूर, उनकी कोई पूछ तक नहीं है। बात हो रही है कोरोना की जंग में लड़ाकू योद्धाओं की। अस्पताल में काम करने वाले लैब टेक्नीशियन जंग में सबसे आगे हैं। लोग कोरोना का नाम सुनते संदिग्धों से दूरी बनाने लगते हैं, जबकि लैब टेक्नीशियन संक्रमण की परवाह किए बगैर ही संक्रमित मरीजों के मुंह से जाच के लिए सैंपल निकालते हैं। रिम्स प्रबंधन ने लगातार सेवा ली है। बावजूद अब तक ये सभी स्थाई नहीं हो सके। कभी इन्हें मंत्री के पास दौड़ा दिया जाता है तो कभी विभाग के सचिव के पास। ये सभी सिर्फ स्थाई होने की आस में हैं। अगर मंत्रीजी या स्वास्थ्य विभाग के सचिव इनकी पीड़ा देख लें तो शायद उनका भी मन पसीज जाए। ------

:: कोरोना से सामना :: राची में 115 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। 90 फीसद लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं। कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद चेहरे पर जितनी मायूसी होती है, वहीं ठीक होकर अस्पताल से निकलते वक्त दस गुना अधिक चमक चेहरे पर दिखती है। स्वस्थ हो चुके संक्रमित मरीज खिलखिला कर हंस उठते है। तीन-चार नन्हें बच्चे भी इससे पीड़ित हो चुके हैं, लेकिन 14 दिन कोविड वार्ड में भर्ती रहने के बाद जब वे बाहर निकले, उनके चेहरे पर जंग जीत कर आने जैसी खुशी दिखी। हाथ हवा में लहराकर बच्चे डॉक्टर और नर्स को बाय-बाय बोल रहे थे। भले पूरी दुनिया अभी कोरोना से डर रही। लेकिन इस बीमारी से जंग जीतकर बाहर निकले इन बच्चों का आत्मविश्वास देखते बना। इनका कोविड वार्ड के डॉक्टरों और नर्स से भी अद्भुत रिश्ता कायम हो चुका था।

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