लॉकडाउन में डांस के स्टेप्स हुए ऑनलाइन

शहर में कुछ नृत्य शिक्षकों ने घर से ही भारतीय और पाश्चात्य नृत्य की ऑनलाइन ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी है। उनकी कक्षा में कई छात्र नियमित हिस्सा ले रहे हैं।

By Edited By: Publish:Tue, 28 Apr 2020 07:56 PM (IST) Updated:Wed, 29 Apr 2020 04:10 PM (IST)
लॉकडाउन में डांस के स्टेप्स हुए ऑनलाइन
लॉकडाउन में डांस के स्टेप्स हुए ऑनलाइन

रांची, जासं। पूरी दुनिया कोरोना वायरस की वजह से ऐतिहासिक संकट के दौर से गुजर रही है। एक ऐसे दौर में जहा लोग घरों में कैद हैं शहर में कुछ नृत्य शिक्षकों ने घर से ही भारतीय और पाश्चात्य नृत्य की ऑनलाइन ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी है। उनकी कक्षा में कई छात्र नियमित हिस्सा ले रहे हैं। विश्व नृत्य दिवस पर हमने बात की कुछ ऐसे ही नृत्य शिक्षक तथा छात्रों से जो लॉकडाउन में भी अपने जुनून को पूरी तरह निभा रहे हैं। ऑनलाइन सेमी क्लासिकल डास सीखा रही सुदीपिका सुदीपिका ने अपने घर से ही भारतीय और पाश्चात्य नृत्य सिखाने के लिए ऑनलाइन क्लास शुरू की है।

वे फेसबुक, इंस्टागाम और जूम के जरिये शिक्षा देती हैं। सुदीपिका इस दौरान बच्चों को कत्थक तथा भरतनाट्यम की मिक्स डास की ट्रेनिंग करती हैं। इसे नृत्य की भाषा में सेमी क्लासिकल डास कहा जाता है। वे बताती हैं कि ऑनलाइन डास ट्रेनिंग वैसे तो कई वर्षो से चलता आ रहा है मगर लॉकडाउन में यह एकमात्र विकल्प बन चुका है। छात्रों तथा हम शिक्षकों के लिए शुरुआत में यह थोड़ा मुश्किल जरूर था मगर अब सब इसके अभ्यस्त हो चुके हैं।

घर से ही छात्रों को देते हैं ऑनलाइन ट्रेनिंग

नृत्य शिक्षक राहुल राज अपनी साथी हíषता अग्रवाल के साथ मिलकर अपने घर से ही वीडियो बना कर सारे छात्रों को ऑनलाइन ट्रेनिंग देते हैं। इसके साथ ही वे यूट्यूब चैनल पर कई सारे वीडियो अपलोड कर रहे हैं ताकि कोई भी आम लोग उन वीडियो देख कर डास के स्टेप सीख सकते हैं। इसके साथ ही सारे बच्चों को मनोरंजन के लिए टास्क भी दिया जा रहा है। इस दौरान खुद शिक्षक डास कर उन्हें शूट करते हैं तथा उसकी वीडियो क्लिपिंग अपने छात्रों को भेजते हैं। छात्र उन वीडियो क्लिप्स को देख उन मूव्स की प्रैक्टिस करते हैं तथा अपना वीडियो शूट कर अपने टीचर को भेजते हैं। इसके बाद शिक्षक वीडियो को देख उनकी कमियों तथा बेहतर मूव्स की माìकग करते हैं।

1982 से हर वर्ष 29 अप्रैल को मनाया जाता है नृत्य दिवस

प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। 1982 से यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टीयूट की अंतरराष्ट्रीय डास कमेटी ने इसे मनाने की शुरुआत की। जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। बैले नृत्य में पारंगत फ्रास के जीन जॉर्ज नावेरे ने लेटर्स ऑन द डास नाम की एक किताब भी लिखी थी। इसमें उन्होंने नृत्य और उसकी बारीकियों से संबंधित विषयों पर अपने विचार रखे थे। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाए जाने का उद्देश्य पूरे विश्व में नृत्य की महत्ता की अलख जगाना है।

'ऑनलाइन क्लास में पहले तो दिक्कत आई थी मगर अब सब नार्मल हो गया है। सब कुछ अकेले ही करना होता है तो थोड़ा कॉन्फिडेंस भी बढ़ा है।' - व्रतेश चौधरी, डीएवी कपिल देव।

'ऑनलाइन क्लास में थोड़ी दिक्कत तो होती है मगर धीरे-धीरे इसकी आदत होने लगी है। हालाकि मेरी नजर में अब भी पारंपरिक तरीका ही ज्यादा बेहतर है।' - नयोनिका पारीक, शारदा ग्लोबल स्कूल।

'ऑनलाइन डास का तरीका मुझे काफी पसंद आया है। हालाकि इसमें खुद को फोकस रखने की अधिक जरूरत पड़ती है। अभी जैसे हालात हैं दिमाग को शात रखने के लिए डास की बेहद जरूरत है।' - मिताली, डीएवी हेहल।

'जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से ऑनलाइन डास क्लासेस ही हो रही हैं। वीडियो देखकर डास पहले भी सीखती रही हूं, लेकिन अपने शिक्षकों के साथ पहली बार ऐसे ट्रेनिंग ले रही हूं।' - आरुषि, शारदा ग्लोबल स्कूल।

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