हांफ रहा हटिया का रेलवे अस्‍पताल, टेक्‍नीशियन के अभाव में धूल खा रहा वेंटीलेटर Ranchi News

Ranchi Jharkhand News अस्‍पताल में सात बेड में स्टैंड ऑक्सीजन सिलेंडर रखे गए हैं। कोरोना के लिए आरक्षित सभी बेड भरे हुए हैं। अस्पताल के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं है। टेक्नीशियन के अभाव में वेंटीलेटर का उपयोग नहीं हो पा रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 26 Apr 2021 02:55 PM (IST) Updated:Mon, 26 Apr 2021 02:59 PM (IST)
हांफ रहा हटिया का रेलवे अस्‍पताल, टेक्‍नीशियन के अभाव में धूल खा रहा वेंटीलेटर Ranchi News
Ranchi Jharkhand News टेक्नीशियन के अभाव में वेंटीलेटर का उपयोग नहीं हो पा रहा है।

रांची, जासं। हटिया स्थित रेलवे अस्पताल कोरोना काल में हांफ रहा है। रेलवे अस्पताल में दो वेंटीलेटर मौजूद हैं। लेकिन टेक्नीशियन के अभाव में इन वेंटीलेटरों का प्रयोग नहीं हो पा रहा है। रेलवे ने वेंटिलेटर को चलाने के लिए टेक्नीशियन भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन उसे टेक्नीशियन नहीं मिले। यही नहीं डॉक्टरों की भी इस अस्पताल में कमी है। इसके चलते कोरोना के गंभीर मरीजों का यहां इलाज नहीं हो पा रहा है। रेलवे अस्पताल में कुल 40 बेड हैं।

कोरोना से लड़ने के लिए हटिया स्थित इस रेलवे अस्पताल में 20 बेड कोरोना के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 13 बेड ऑक्सीजन युक्त हैं। सात बेड में स्टैंड ऑक्सीजन सिलेंडर रखे गए हैं। कोरोना के लिए आरक्षित सभी बेड भरे हुए हैं। अस्पताल के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं है। रेमडेसिविर इंजेक्शन मंगाने की रेलवे ने काफी कोशिश की। लेकिन उसे यह इंजेक्शन नहीं मिला। रेलवे के अधिकारियों ने कोलकाता से भी संपर्क कर यह इंजेक्शन खरीदने का प्रयास किया था।

रेलवे के इस अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी और दवाओं के अभाव के चलते मरीजों के गंभीर होने पर उन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जाता है। लेकिन इन दिनों रेल कर्मियों की यह दिक्कत है कि राजधानी रांची के तकरीबन सभी बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड भरे हुए हैं। ऑक्सीजन बेड नहीं मिल रहे हैं। इस वजह से रेल कर्मचारियों को रिम्स में भी भर्ती कराना पड़ रहा है। यहां इलाज के दौरान रेलकर्मी दम तोड़ रहे हैं।

रेलवे अस्पताल में डॉक्टर की भी कमी

अस्पताल में विशेषज्ञ डाॅक्टरों की कमी है। अस्पताल में डॉक्टरों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू है। 7 डॉक्टर, 10 नर्स और चार अटेंडेंट भर्ती किए जाने हैं। इसके लिए रेलवे ने आवेदन मांगे हैं। लेकिन अभी तक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।

आइसोलेशन कोच का खुद इंतजाम नहीं कर पा रहा रेलवे

रेलवे ने पिछले साल 30 आइसोलेशन कोच वाली ट्रेन बनाई थी। इसमें से 30 कोच निकालकर पैसेंजर ट्रेन में लगा दिए गए हैं। लेकिन बाकी 30 कोच की आइसोलेशन ट्रेन अभी भी हटिया में खड़ी है। रेल कर्मियों को राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड नहीं मिल रहा है। कहा जा रहा है कि अगर रेलवे खुद अपने इस आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल करना शुरू कर दे तो उसकी काफी समस्या हल हो सकती है। उसके कई कोरोना पाॅजिटिव मरीज  इन आइसोलेशन कोच में भर्ती किए जा सकते हैं। सूत्रों की मानें तो रेलवे डाॅक्टरों की भर्ती कर रहा है और वह इस आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल करेगा। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

ब्रेक वैन को नहीं किया जा रहा सैनिटाइज

रांची रेल मंडल में सबसे ज्यादा गार्ड कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। इस पर गार्डों ने डीआरएम से मिलकर मांग की थी कि ब्रेक वैन को सैनिटाइज करने का अभियान चलाया जाए। डीआरएम ने ऐसा करने के निर्देश भी दिए थे। लेकिन अभी तक ब्रेक वैन को सैनिटाइज करने का अभियान शुरू नहीं हो पाया है।

नहीं बन पाया 50 बेड का अस्पताल

रेलवे ने रेल कर्मियों के लिए हटिया में 50 बेड का अस्पताल बनाने की योजना को मंजूरी दी थी। लेकिन अभी तक इस मामले में रत्ती भर काम नहीं हो पाया। रेल कर्मियों का मानना है कि अगर 50 बेड का अस्पताल बन जाता तो आज इसका फायदा रेलकर्मी उठा सकते थे।

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