संयुक्‍त राष्‍ट्र ने माना, झारखंड के माथे से मिट रहा गरीबी का कलंक; पढ़ें UN की रिपोर्ट

यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड सबसे तेजी से गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम कर रहा है। दस सेक्टर में बेहतर काम का नतीजा दस वर्षों में 28.4 फीसद घटी गरीबी।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sat, 13 Jul 2019 10:52 AM (IST) Updated:Sat, 13 Jul 2019 06:07 PM (IST)
संयुक्‍त राष्‍ट्र ने माना, झारखंड के माथे से मिट रहा गरीबी का कलंक; पढ़ें UN की रिपोर्ट
संयुक्‍त राष्‍ट्र ने माना, झारखंड के माथे से मिट रहा गरीबी का कलंक; पढ़ें UN की रिपोर्ट

रांची, राज्य ब्यूरो। यूनाइटेड नेशन ने गरीबी दूर करने के जिन 10 सूचकांकों पर विश्व के 10 देशों की गतिविधियों को परखा है, उसमें भारत भी शामिल है। अच्छी बात यह कि यूएन ने अपनी रिपोर्ट में गरीबी उन्मूलन की दिशा में भारत के साथ-साथ झारखंड के बढ़ते कदम की तारीफ की है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2005-06 में जहां 74.9 फीसद लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रहे थे, वहीं 2015-16 में उनकी संख्या घटकर 46.5 फीसद रह गई है।

यूनाइटेड नेशन ने गरीबी उन्मूलन के जिन 10 सूचकांकों पोषण, स्वच्छता, बाल मृत्यु दर, शुद्ध पेयजल, स्कूलिंग, बिजली, स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, आवास, कुकिंग ईंधन (गैस) और परिसंपत्तियों को अपनी रिपोर्ट का हिस्सा बनाया है, पिछले 10-12 वर्षों में झारखंड ने उसपर खासा फोकस किया है। गरीबी उन्मूलन की दिशा में झारखंड में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, मध्याह्न भोजन योजना, आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए पोषाहार वितरण आदि कार्यक्रमों से राज्य की लगभग 84 फीसद आबादी जुड़ी है।

मनरेगा के तहत 14.13 लाख योजनाएं धरातल पर उतारी गईं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 25.4 लाख गरीबों को सखी मंडल से जोड़कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें स्वावलंबी बनाया जाना गरीबी उन्मूलन की दिशा में सार्थक कदम रहा। राज्य में 12 हजार तेजस्विनी क्लब गठित कर राज्य की 14 से 18 आयु वर्ग की 10 लाख किशोरियों एवं युवतियों को जोडऩे की तैयारी है।

पोषण

पहली से आठवीं कक्षा में अध्ययनरत राज्य के लगभग 40 लाख स्कूली बच्चों को सरकार ने जहां मध्याह्न भोजन योजना से जोड़ रखा है, वहीं राज्य के 38640 आंगनबाड़ी केंद्रों से छह माह से तीन वर्ष के 18,27,812, तीन वर्ष से छह साल के 13,05,447 बच्चों के अलावा 8,04,613 धातृ और गर्भवती माताओं के बीच पोषाहार का वितरण हो रहा है। राज्य को कुपोषणमुक्त करने के लिए सरकार ने जहां अलग से पोषण मिशन का गठन कर रखा है, वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पोषण वाटिका की अवधारणा को गांव-गांव तक ले जाने के प्रयास हो रहे हैं।

स्वच्छता

स्वच्छता के पैमाने पर झारखंड अक्टूबर 2019 के लक्ष्य के विरुद्ध झारखंड के शहरी क्षेत्र अक्टूबर 2017 में ही ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) घोषित हो चुके हैं। इससे इतर पूरे झारखंड ने इस लक्ष्य को एक साल पूर्व अक्टूबर 2018 में हासिल कर लिया है। झारखंड ने पूरे राज्य में 33 लाख 74 हजार शौचालयों के अलावा शहरी क्षेत्र में 2.17 लाख व्यक्तिगत, 566 सार्वजनिक और 308 मॉड्यूलर शौचालयों का निर्माण कर यह लक्ष्य हासिल किया।

शिशु मृत्यु दर

झारखंड में पूर्ण टीकाकरण 88 फीसद से बढ़कर 100 फीसद हो गया है, वहीं संस्थागत प्रसव 67 से बढ़कर  88 फीसद हो गया है। शिशु मृत्युदर प्रति हजार जन्म पर 29 है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है।

शुद्ध पेयजल

पाइप लाइन के सहारे लगभग 42 फीसद आबादी तक पानी की पहुंच है। सरकार ने गांव-गांव तक पानी पहुंचाने की योजना को अभियान के तौर पर लिया है। राज्य में पाइप लाइन से पानी पहुंचाने की 377 योजनाएं संचालित हैं। 2024 तक पूरे राज्य में पाइप लाइन के सहारे जलापूर्ति का लक्ष्य रखा गया है।

स्कूली शिक्षा

झारखंड में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शिक्षा में ग्रास इनरोलमेंट 100 से ऊपर है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा तैयार इंडेक्स में बच्चों की सीखने की क्षमता में झारखंड को चौथे स्थान पर रखा गया है। बच्चों में सीखने की क्षमता एवं गुणवत्ता में झारखंड को केरल और आंध्र प्रदेश के समान 180 अंकोंं में 154 अंक प्राप्त हुए हैं।

बिजली

झारखंड ने ग्र्रामीण विद्युतीकरण का लक्ष्य 2018 में पूरा कर लिया। इसके तहत 27 हजार से ज्यादा गांवों तक बिजली पहुंचाई गई है। केंद्र की दीनदयाल ग्र्रामीण विद्युतीकरण योजना के अलावा सौभाग्य योजना से बिजली की हाल में क्रांतिकारी सुधार आया। बिजली बोर्ड का विखंडन कर इसे चार स्वतंत्र कंपनियों में विभक्त किया गया। संसाधनों को दुरुस्त करने की दिशा में तेजी से प्रयास हुए। पांच हजार सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण हुआ। इसके अलावा अलग-अलग क्षमता के चार दर्जन से ज्यादा सबस्टेशन और ग्र्रिड स्थापित किए गए। इसमें ज्यादातर का निर्माण पूरा हो चुका है।

आवास

ग्रामीण क्षेत्रों में 8.50 लाख आवासों के निर्माण की स्वीकृति केंद्र ने दे रखी है। इससे इतर आवास के लिए 3.22 लाख नए लाभुकों का निबंधन हुआ है। शहरी क्षेत्रों में एक लाख 80 हजार 78 आवासों की स्वीकृति मिली। इनमें से 48567 आवास बन चुके हैं, जबकि 44333 निर्माणाधीन है। जुलाई अंत तक 18792 आवासों के निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी होगी।

घरेलू ईंधन

घरेलू ईंधन के मामले में झारखंड पूरे देश में पहला ऐसा राज्य है, जिसने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत न सिर्फ मुफ्त घरेलू गैस कनेक्शन, बल्कि चूल्हा देने का भी काम किया है। अब तक 2901059 परिवारों को इस योजना से जोड़ा जा चुका है। सितंबर तक 14 लाख और परिवारों को जोड़े जाने की तैयारी है। कुल कनेक्शन की बात करें तो राज्य के 6254781 परिवारों में से 82.59 फीसद परिवारों तक इसकी उपलब्धता है।

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