बसंत सोरेन के करीबियों का अंडरवर्ल्ड से रिश्ता... हेमंत सोरेन ने फर्जी कंपनियों में किया निवेश... झारखंड हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता का बड़ा आरोप

Hemant Soren controversy झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके करीबियों पर अंडरवर्ल्ड से संबंध होने का आरोप अदालत में लगाया गया है। उधर मुख्यमंत्री के वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि आरोपों से संबंधित कोई भी दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किया गया है।

By M EkhlaqueEdited By: Publish:Thu, 30 Jun 2022 03:17 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jun 2022 03:18 PM (IST)
बसंत सोरेन के करीबियों का अंडरवर्ल्ड से रिश्ता... हेमंत सोरेन ने फर्जी कंपनियों में किया निवेश... झारखंड हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता का बड़ा आरोप
Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन पर बड़ा आरोप लगा है।

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लीज आवंटित करने और शेल कंपनियों के मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई। प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ओर से बहस की गई। जिसमें उनकी ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, प्रेस एडवाइजर अभिषेक उर्फ पिंटू, हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, व्यवसाय अमित अग्रवाल और सुरेश नागरे का नाम लेते हुए बताया गया कि यह सभी लोग अवैध खनन से पैसे की उगाही कर शेल कंपनियों में निवेश करते हैं और उसके जरिए देश के अन्य भागों में संपत्ति खरीदी जाती है।

आरोप, सुरेश नागरे का संबंध अबू आजमी के बेटे से

प्रार्थी की ओर से सुरेश नागरे का संबंध बसंत सोरेन से बताते हए कहा गया कि अवैध बालू खनन और स्टोन चिप्स का किंगपिन है। सुरेश नागरे का संबंध मुंबई के अबू आजमी के बेटे से है। इस बात की ज्यादा संभावना है कि इनके तार अंडरवर्ल्ड से भी जुड़े हो सकते हैं। इस दौरान प्रार्थी की ओर से शराब व्यवसाय का भी मुद्दा उठाते हुए योगेंद्र तिवारी, अमरेंद्र तिवारी और राज्य के कुछ आइएएस का भी नाम कोर्ट में लिया गया। कहा गया कि इनकी मिलीभगत से मनमाने तरीके से शराब का ठेका दिया गया। उनकी ओर से कई ऐसी शेल कंपनियों का जिक्र किया गया जिसके जरिए शराब ठेका में पैसे का निवेश किया गया है। इसका डिटेल भी दिया गया।

पूजा सिंघल को क्लीनचिट देने का मामला भी उठा

इस दौरान प्रार्थी की ओर से खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले में बहस करते हुए कहा गया कि मनरेगा एक्ट के तहत उपायुक्त ही मनरेगा स्कीम को लागू करने में हुई गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार होते हैं। तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल ने वित्तीय अनियमितता की। लेकिन उन्हें विभागीय जांच में क्लीन चिट दे दिया गया। जबकि इस मामले में जेई राम विनोद सिन्हा पर 16 प्राथमिकी दर्ज करा दी गई।

आरोप से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं : कपिल सिब्बल

प्रार्थी की ओर से बहस पूरी होने के बाद अब राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। उन्होंने बिंदुवार कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि प्रार्थी की ओर से सिर्फ आरोप लगाए गए हैं। उससे संबंधित कोई भी दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किए गए हैं और न ही आरोपों का आधार बताया गया है। प्रार्थी ने प्रथम दृष्टया अभी कोई ऐसा दस्तावेज या आधार कोर्ट में पेश नहीं किया गया है, जिससे आरोप को माना जाए। ऐसे में सभी आरोप बिल्कुल निराधार हैं। 

सुबह से शाम तक कोर्ट में हुई जोरदार बहस

इस मामले में राज्य सरकार की ओर से आज जोरदार बहस हुई। अब इस मामले में 5 जुलाई को सुनवाई होगी। उस दिन राज्य सरकार अपनी बहस पूरी कर लेगी। बता दें कि इस मामले की सुनवाई सुबह 10:30 बजे से शुरू हुई है जो शाम करीब 4:00 बजे तक चली।

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