तीन माह में शुरू हो जाएगा रिम्स का ट्रॉमा सेंटर

रांची : तीन माह में रिम्स के ट्रॉमा सेंटर की सेवा शुरू हो जाएगी। इसके लिए रिम्स ने तैयारी शुरू कर दी ै। शीघ्र नए पउदों पर बीसली शुरू होगी। डॉक्टरेा की नई टीम का गठन होगा। इससे मरीजों को विशेष सुविधाएं मिलेंगी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Jun 2018 06:25 PM (IST) Updated:Tue, 19 Jun 2018 06:25 PM (IST)
तीन माह में शुरू हो जाएगा रिम्स का ट्रॉमा सेंटर
तीन माह में शुरू हो जाएगा रिम्स का ट्रॉमा सेंटर

रांची : तीन माह में रिम्स के ट्रॉमा सेंटर की सेवा शुरू हो जाएगी। इसके लिए रिम्स ने तैयारी शुरू कर दी है। नए ट्रॉमा सेंटर का काम अब पूरा होने को है। जल्द ही नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू होगी। सेंटर को चलाने के लिए 125 कर्मियों की आवश्यकता पड़ेगी। पद सृजन का कार्य पूरा हो गया है। जल्द ही विज्ञापन निकाला जाएगा। विज्ञापन के आधार पर नर्स, पारामेडिकल चिकित्सक सहित चिकित्सकों की बहाली करनी है।

बनाई जाएगी विशेष टीम

ट्रॉमा सेंटर की टीम ही बिलकुल अलग होगी। टीम में न्यूरो सर्जन, फिजिशियन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, एनेस्थीसिया सहित अन्य चिकित्सकों की टीम होगी, जो हरदम अलर्ट की मुद्रा में होगी, ताकि किसी भी परिस्थिति से निपटा जा सके और मरीजों का एक ही छत के बीच बेहतर इलाज हो सके।

एम्स की तर्ज पर किया जाएगा विकसित

रिम्स के ट्रॉमा सेंटर को एम्स की तर्ज पर विकसित करने की योजना है। सड़क दुर्घटना में घायल मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। कई और सुविधाएं भी मिलेंगी। इसे अत्याधुनिक तकनीक लैस किया जा रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर एक साथ दर्जनों मरीज का इलाज हो सके।

50 बेड ट्रॉमा के और 50 इमरजेंसी वार्ड के

ट्रॉमा सेंटर में कुल 100 बेड होंगे। इनमें 50 बेड ट्रॉमा के मरीजों के लिए होंगे और 50 बेड इमरजेंसी वार्ड के लिए। चार तल्ले हैं। पहले तल्ले पर इमरजेंसी के मरीजों का इलाज होगा। जरूरत पड़ने पर उन्हें भर्ती किया जाएगा। भर्ती ऊपर के तल्ले पर किया जाएगा। मरीजों की सर्जरी के लिए ओटी की व्यवस्था होगी। जल्द ही उपकरणों की खरीदारी होगी, उसके बाद उन्हें ट्रॉमा सेंटर में इंस्टॉल किया जाएगा।

निर्माणाधीन भवन जुड़ा है मुख्य भवन से

रिम्स में निर्माणाधीन ट्रामा सेंटर भवन को रिम्स के मुख्य भवन से जोड़ा गया है, ताकि मरीजों को भर्ती करने एवं अन्य जांच के लिए मरीज ले जाया जा सके। मरीजों की सुविधा को देखते हुए एक ओवरब्रिज का निर्माण किया गया है। दरअसल दोनों भवनों के बीच 40 फीट की सड़क है। ऐसे में ट्रॉमा सेंटर में आनेवाले मरीजों को रिम्स के मुख्य भवन से होते हुए आने में परेशानी होगी। इसे देखते हुए रिम्स प्रबंधन ने दोनों भवनों को ब्रिज के माध्यम से जोड़ने का निर्णय लिया था। एक भी आदर्श ट्रामा सेंटर नहीं

आज भी सड़क दुर्घटना में घायल कई लोगों का समय पर इलाज नहीं होने के कारण उनकी मौत हो जाती है। इसका कारण है कि दुर्घटना स्थल से अस्पताल की दूरी अधिक होना है। इस वजह से मरीजों का उचित उपचार नहीं हो पाता है। बुंडू में भी ट्रॉमा सेंटर बनने की योजना थी, लेकिन योजना फाइनल में ही उलझ कर रह गई। वर्तमान में राजधानी में एक भी आदर्श ट्रॉमा सेंटर नहीं है, जो है वह भी रिम्स में वह भी नाम का है। 'उम्मीद है कि अगले तीन माह में ट्रॉमा सेंटर की सेवा शुरू हो जाएगी। इसके लिए जल्द ही चिकित्सकों की नियुक्ति होगी। 100 बेड के इस भवन में कई अत्याधुनिक सुविधाएं मरीजों के लिए उपलब्ध होंगी।'

- डॉ.विवेक कश्यप, अधीक्षक, रिम्स

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