सेमी हाईस्पीड ट्रेन दौड़ाने के लिए झारखंड के कोडरमा में ट्रैकों को किया जा रहा दुरुस्त

ग्रैंड कॉर्ड सेक्सन में 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाने की तैयारी जोरशोर से शुरू हो गई है। रेलवे की योजना 2024 तक हावड़ा से नई दिल्ली तक 160 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनों को चलाने की है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Mon, 05 Jul 2021 12:56 PM (IST) Updated:Mon, 05 Jul 2021 12:56 PM (IST)
सेमी हाईस्पीड ट्रेन दौड़ाने के लिए झारखंड के कोडरमा में ट्रैकों को किया जा रहा दुरुस्त
सेमी हाईस्पीड ट्रेन दौड़ाने के लिए झारखंड के कोडरमा में ट्रैकों को किया जा रहा दुरुस्त। जागरण

झुमरीतिलैया, (कोडरमा), [अरविंद चौधरी]। ग्रैंड कॉर्ड सेक्सन में 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाने की तैयारी जोरशोर से शुरू हो गई है। रेलवे की योजना 2024 तक हावड़ा से नई दिल्ली तक 160 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनों को चलाने की है। इसी के मद्देनजर गझंडी में पिछले कई दिनों से रेल ट्रैक पर से पुराने पत्थरों को हटाकर मशीन के जरिए नए पत्थर लगाए जा रहे हैं, ताकि पटरी दुरुस्त हो सके। इसके लिए प्रतिदिन दोपहर 3 बजे के बाद से तीन घंटे का ब्लॉक लिया जा रहा है। इस समय काफी कम यात्री ट्रेनों के गुजरने का समय है। इसी बात को ध्यान में रखकर इस समय का चयन किया गया है।

हालांकि मेगा ब्लॉक के कारण कई मालगाड़ियां प्रभावित हो रही है। रेलवे अभियंताओं के अनुसार प्रतिदिन 300 मीटर तक ट्रैक को दुरुस्त करने का काम किया जा रहा है। वहीं आनेवाले दिनों में गझंडी स्टेश के पूर्वी व पश्चिमी केबिन में पुराने लीवर पैनल को बदलकर नए केंद्रीयकृत लीवर पैनल लगाए जा रहे हैं। इससे मैन्यूअल काम करनेवाले कर्मी पर निर्भरता भी कम होगी। अभियंताओं के अनुसार गझंडी के पूर्वी व पश्चिमी केबिन में वर्तमान में 8 एसएम तीन शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं। केंद्रीयकृत पैनल व्यवस्था लागू होने के बाद एक स्टेशन मास्टर सीमित कर्मचािरियों के जरिये ट्रेनों का परिचालन करा सकेंगे। वहीं ट्रेनों को मेन लाइन व लूप लाइन में सीधे आवागमन हो सकेगा। इधर कार्य को लेकर गंझंडी में सहायक मंडल अभियंता एनएन दिवाकर, पीडब्ल्यूआइ इंचार्ज राजेश कुमार, आनंद मोहन के अलावा 30 कर्मचारी लगे हैं।

चुनौतीपूर्ण होगा घाट सेक्सन में 160 किमी की रफ्तार से परिचालन

दिलवा से गुरपा तक घाट सेक्सन में 160 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनों का परिचालन करना रेलवे के लिए काफी चुनौती पूर्ण होगा। जंगलों व पहाड़ों के बीच यहां तीन रेलवे सुरंग हैं। बारिश के दिनों में अक्सर यहां चट्टान खिसकने की घटनाएं होती है। इसके लिए रेलवे में मंथन शुरू हो गया है। वर्तमान में यहां ट्रेनों की गतिसीमा कम हो जाती है।

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