तालाबों का शहर हो रहा तालाब विहीन

रांची : तालाबों के शहर के रूप में मशहूर रांची अब तालाब विहीन हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Jun 2018 09:15 AM (IST) Updated:Sun, 10 Jun 2018 09:15 AM (IST)
तालाबों का शहर हो रहा तालाब विहीन
तालाबों का शहर हो रहा तालाब विहीन

रांची : तालाबों के शहर के रूप में मशहूर रांची अब तालाब विहीन हो रही है। शहर के कई तालाबों पर भू-माफियाओं ने कब्जा जमा लिया है तो कई तालाब रख-रखाव की कमी के कारण अपना अस्तित्व खो रहे हैं। थड़पखना में 2009-10 में निजी तालाब को भरकर बहुमंजिली इमारत का निर्माण कर दिया गया। कर्बला चौक के समीप स्थित तालाब की जमीन को भू-माफियाओं ने कौड़ी के भाव बेच डाला। अब इस जगह पर बस्ती बस गई है। इसी प्रकार चुटिया क्षेत्र में कालांतर में कई तालाब हुए करते थे। इनमें से कई निजी तालाबों को भरकर भू-माफियाओं ने बेच दिया है। आज तालाब की जमीन पर अनगिनत मकान खड़े हैं। वर्तमान में चुटिया स्थित एक निजी तालाब को मिंट्टी डाल कर भरने का प्रयास जारी है। फिर भी प्रशासनिक अधिकारी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

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कमलू तालाब : चुटिया के कमलू बस्ती स्थित कमलू तालाब खोदाई के अभाव में दिनोंदिन भर रहा है। तालाब का तीन चौथाई हिस्सा मिट्टी व गंदगी से भर चुका है। जबकि तालाब के मात्र एक-तिहाई हिस्से में ही पानी है। स्थानीय लोग इसी पानी के बीच मछली पालन भी करते हैं। लोगों की मानें तो पूर्व में किसी राजा ने इस तालाब का निर्माण कराया था। तालाब के जल से आसपास के खेतों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जाती थी। खासकर गर्मी के दिनों में इस तालाब का जलस्तर बना रहता था। वर्तमान में इस तालाब की स्थिति जर्जर होती जा रही है। प्रतिवर्ष तालाब में मछली का जीरा डाला जाता है, लेकिन सफाई नहीं होने के कारण मछलियों का आकार विकसित नहीं हो पाता। स्थानीय लोगों ने बताया कि तालाब की सफाई के लिए प्रतिवर्ष गांव के प्रत्येक परिवार से चंदा लिया जाता है। लेकिन तालाब का आकार इतना बड़ा है कि सफाई व्यवस्था भी आधी-अधूरी ही हो पाती है।

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महतो तालाब : धुमसा टोली में रैयती भूमि (लगभग 1.5 एकड़) पर बना महतो तालाब वर्तमान में जंगल-झाड़ के रूप में तब्दील हो चुका है। लगभग 12 वर्ष पूर्व इस तालाब के इर्द-गिर्द सालोंभर फूलगोभी की खेती होती थी। खेतों की सिंचाई के लिए इसी तालाब का पानी उपयोग में लाया जाता था। यहां की फूलगोभी का स्वाद शहर में चर्चा का केंद्र हुआ करता था। तालाब की जमीन के मालिक तपेश्वर नारायण महतो ने बताया कि लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व उनके परदादा लक्ष्मी नारायण महतो ने इस तालाब का निर्माण कराया था। लेकिन 2005 में इस तालाब पर भू-माफियाओं की नजर पड़ गई। जेसीबी से तालाब के एक छोर पर मिंट्टी तटाई का काम शुरू कर दिया गया। फिर इस मामले की जानकारी चुटिया पुलिस को दी गई और मिंट्टी कटाई का काम बंद कराया गया। उसके बाद न तो तालाब की सफाई हुई और न ही किसी ने इस तालाब के जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण के प्रति इच्छा जताई। उन्होंने बताया कि तालाब में पानी है, लेकिन घासफूस के कारण जलस्तर दिखाई नहीं दे रहा है। तालाब की जर्जर स्थिति के कारण आसपास के सभी कुएं सूख गए हैं। उन्होंने बताया कि 2013 में तालाब के अस्तित्व को बचाकर लोगों के उपयोग के लायक बनाने के लिए 23.12.2013 को राज्यपाल को स्थानीय लोगों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपा गया था। ज्ञापन में कहा गया था कि तीन सौ वर्ष पूर्व महतो जाति के पूर्वजों ने जनहित के लिए इस तालाब की खोदाई करायी थी। तालाब खोदाई के बाद से ही स्थानीय लोग जैसे, हरिजन, आदिवासी, महतो समाज व सभी जाति-धर्म के लोग इस तालाब का उपयोग करते आ रहे हैं। ज्ञापन में यह भी कहा गया था कि तीन-चार वर्ष पूर्व स्वार्थी तत्वों ने तालाब में बुलडोजर लगाकर इसे समतल करने का प्रयास किया था।

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नया तालाब : धुमसा टोली स्थित तीन सौ वर्ष पुराना नया तालाब का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। तालाब के रैयत मदन केशरी की मानें तो उनके परदादा ने इस तालाब की खोदाई करायी थी। लेकिन, तालाब की सफाई कभी की गई या नहीं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं हैं। बचपन से लेकर आज तक उन्होंने तालाब की सफाई होते कभी नहीं देखा है। तालाब में गंदगी का ढेर है। सफाई के अभाव में तालाब का स्वच्छ जल अब हरा हो गया है। स्थानीय लोग सिर्फ स्नान करने के लिए इस तालाब का उपयोग करते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो एक समय था, जब नया तालाब धुमसा टोली का व चुटिया क्षेत्र के सबसे बड़े तालाब के रूप में जाना जाता था, लेकिन शहरीकरण के दौर में तालाब का आकार धीरे-धीरे घटता गया। तालाब के चारों ओर बहुमंजिली इमारतों का निर्माण हो गया है। कुछ लोगों ने तालाब के किनारे की जमीन को भरकर मकान का निर्माण कर दिया है।

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