झारखंड में बजट सत्र चलेगा या पूर्व जैसे बने रहेंगे हालात

झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 17 जनवरी से आठ फरवरी तक आहूत किया गया है।

By Edited By: Publish:Tue, 15 Jan 2019 05:13 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jan 2019 05:18 AM (IST)
झारखंड में बजट सत्र चलेगा या पूर्व जैसे बने रहेंगे हालात
झारखंड में बजट सत्र चलेगा या पूर्व जैसे बने रहेंगे हालात

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 17 जनवरी से आठ फरवरी तक आहूत किया गया है। इस बीच 22 जनवरी को राज्य सरकार सदन में वित्तीय वर्ष 2019-20 का वार्षिक बजट भी करेगी। लेकिन एक सवाल सभी के दिमाग में कौंध रहा है कि बजट सत्र चलेगा या फिर इसका अंजाम कुछ वैसा ही होगा जैसा पूर्व के सत्रों का होता रहा है।

सत्तापक्ष और विपक्ष के आपसी टकराव के चलते पिछले नौ सत्रों से सदन की कार्यवाही न के बराबर चली है। हो-हंगामे के बीच ही विधायी कार्य निपटाए गए हैं और विधेयकों को शोरगुल के बीच ही मंजूरी मिली है। पिछले वर्ष वार्षिक बजट भी शोरगुल के कारण गिलोटिन के जरिए पास हुआ था और निर्धारित समय से पहले सत्र का अवसान की घोषणा कर दी गई थी। स्पीकर दिनेश उरांव ने मंगलवार को विधानसभा के बजट सत्र को लेकर विधायक दल की बैठक बुलाई है।

जाहिर है बैठक में हमेशा की तरह सदन को सुचारू रूप से चलाने पर ही चर्चा होगी। स्पीकर का प्रयास होगा कि वे सभी दलों को सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सहमत करें। हालांकि पूर्व के सत्रों ने भी विधानसभा अध्यक्ष ने सभी दलों के बीच सहमति बनाने और सदन को सुचारू रूप से चलाने की कोशिश की है। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। शीतसत्र में अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा था कि सदन में अवरोध बरकरार है, ये अच्छी स्थिति नहीं है।

बता दें कि सीएनटी-एसपीटी विधेयक, भूमि अधिग्रहण विधेयक, पारा शिक्षकों के आंदोलन, स्कूलों के मर्जर सहित कई ऐसे मुद्दे रहे हैं जिन पर पिछले सत्रों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर टकराव हुआ है। इस टकराव का नतीजा जनहित में नहीं रहा। पिछले ढाई सालों से प्रश्न काल बाधित है, ध्यानाकर्षण आ नहीं पा रहे हैं, शून्य काल की सूचनाएं लेने की भी बस औपचारिकता ही पूरी की जा रही है। जनता के सवाल सदन में आ नहीं रहे हैं और अधिकारी प्रश्न काल न चलने से खुश हैं। सदन के न चलने का दर्द सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों को भी है, वे अपने क्षेत्र से जुड़े अहम सवालों को उठा नहीं पा रहे हैं लेकिन पार्टी के एजेंडे के कारण इस दर्द को किसी से साझा नहीं कर पा रहे हैं।

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