नशे का काला कारोबार जहां नक्सलियों को फंड मुहैया करा रहा वहीं युवाओं को नशे के दलदल में धकेल रहा

यदि समय रहते अफीम पर रोक नहीं लगी तो इसके दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों को झेलने होंगे। अफीम के खेती करने वालों पर भी नकेल कसी जाए। ग्रामीणों में इसे लेकर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि वह इसके स्याह पक्ष से भी अवगत हो सकें।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 12:26 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 12:35 PM (IST)
नशे का काला कारोबार जहां नक्सलियों को फंड मुहैया करा रहा वहीं युवाओं को नशे के दलदल में धकेल रहा
झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मादक पदार्थो की खेती को तस्कर दे रहे बढ़ावा। प्रतीकात्मक

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में तस्करों ने नशे के कारोबार का बड़ा साम्राज्य खड़ा कर रखा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इन तस्करों ने नक्सलियों का संरक्षण प्राप्त है। राज्य के कई जिलों में लंबे समय से मादक पदार्थो की खेती की जा रही है। अफीम की खेती करने वाले तस्कर पड़ोसी राज्यों से लेकर दूसरे देशों तक डोडा, अफीम और ब्राउन शुगर का काला करोबार कर रहे हैं।

झारखंड से हर साल अरबों रुपये का नशे का कारोबार होता है। कई बार पुलिस छापेमारी कर अफीम, डोडा व ब्राउन शुगर जब्त करती है, लेकिन नशे के इस काले कारोबार पर पूरी तरह रोक नहीं लग पा रही है। करोड़ों रुपये के इस काले कारोबार से नक्सलियों और आतंकवादियों की फंडिंग हो रही, जिससे वह हथियार खरीद कर समाज में अशांति और दहशत फैलाते हैं। युवाओं का नशे के दलदल में फंसकर अपना भविष्य चौपट कर लेना इस कारोबार का एक और स्याह व खतरनाक पक्ष है।

झारखंड में सिर्फ चतरा जिले की ही बात करें तो पिछले छह माह में करोड़ों रुपये की अफीम, डोडा व ब्राउन शुगर पुलिस ने जब्त की है। नक्सली जंगल की जमीन में अफीम की खेती करवा रहे हैं। वहीं कुछ इलाकों में ग्रामीणों को प्रलोभन देकर व बंदूक की नोक पर डरा-धमका कर अफीम की खेती करने को बाध्य किया जा रहा है। तस्कर इसे बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में भेजते हैं। चतरा के साथ ही रांची, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, लातेहार, गढ़वा, जामताड़ा समेत कई जिलों में अफीम के तस्कर सक्रिय हैं।

रांची, जमशेदपुर, धनबाद समेत बड़े शहरों के साथ गढ़वा, रामगढ़ जैसे शहरों में भी चोरी-छिपे इसे बेचने का धंधा चल रहा है। आसानी से मिल जाने के कारण स्कूल और कालेज के युवा इसके आदी हो रहे हैं। लगातार प्रभावी अभियान चलाकर इस काले कारोबार को रोकना जरूरी है। 

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