12 फरवरी से शुरु हो रहा गुप्त नवरात्र, 16 फरवरी को मां सरस्वती की होगा पूजा-अर्चना

हिदू धर्म में नवरात्र के नौ दिन काफी महत्वपूर्ण माने गए हैं। ़16 फरवरी को देवी सरस्वती की पूजा की जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Feb 2021 09:04 AM (IST) Updated:Sat, 06 Feb 2021 09:04 AM (IST)
12 फरवरी से शुरु हो रहा गुप्त नवरात्र, 16 फरवरी को मां सरस्वती की होगा पूजा-अर्चना
12 फरवरी से शुरु हो रहा गुप्त नवरात्र, 16 फरवरी को मां सरस्वती की होगा पूजा-अर्चना

जागरण संवाददाता, रांची : हिदू धर्म में नवरात्र के नौ दिन काफी महत्वपूर्ण माने गए हैं। नवरात्र के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना होती है। खासकर जप, तप के लिए बेहद शुभ दिन माना जाता है। सामान्य तौर पर चैत्र और शरद नवरात्रि की प्रसिद्धि है जबकि हिदू धर्म ग्रंथों में चार नवरात्रि का विधान है। चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि, शरद नवरात्रि और माघ नवरात्रि। इसमें आषाढ़ और माघ नवरात्रि को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि में मुख्यरूप से किसी विशेष साधना के लिए पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त पूजा होने के कारण दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। माघ मास के गुप्त नवरात्र के पांचवें दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां दुर्गा के पंचम रूप स्कंदमाता से देवी सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था। उत्तर भारत में सरस्वती पूजा धूमधाम से मनाई जाती है। इस बार गुप्त नवरात्र 12 फरवरी से आरंभ होगा वहीं 16 फरवरी को सरस्वती पूजा मनायी जाएगी। वहीं, 21 फरवरी को नवमी एवं 22 फरवरी को दशमी पूजा और विसर्जन होगा।

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सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त:::

15 फरवरी को दोपहर 2.45 बजे से बसंत पंचमी

16 फरवरी को सायं 4.34 बजे तक बसंत पंचमी रहेगा

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मां सरस्वती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

प्रात: काल 5 बजे से संध्या 4.34 बजे तक पूजा के लिए उत्तम समय

अभिजीत मुहूर्त 11.10 बजे से दोपहर 1.07 बजे तक

-विद्यारंभ मुहूर्त: छोटे बच्चे जो विद्यारंभ करने वाले हैं उनके लिए सुबह 09.28 बजे से 1.03 बजे का समय विशेष शुभ है।

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माघ गुप्त नवरात्र प्रतिपदा 12 फरवरी, नवमी 21 फरवरी

-गुप्त नवरात्र में दो षष्ठी गृहस्थों के लिए विशेष सौभाग्यकारी : पंडित बिपिन--------

12 फरवरी बसंत प्रतिपदा के दिन से माघ मास का गुप्त नवरात्रि आरंभ होगा। षष्ठी तिथि दो दिन पड़ने के कारण इस बार नवरात्रि 11 दिनों की होगी। पंडित बिपिन के अनुसार माघ मास के गृप्त नवरात्रि में दो दिनों की षष्ठी गृहस्थों के लिए सौभाग्यदायी माना गया है। इस बार 17 और 18 फरवरी को षष्ठी पूजा होगी। जातक वृहद पूजा न कर सके तो सुबह स्नान के बाद मन में ही माता की आराधना जरूर करें। सर्वार्थसिद्धिदायी माता की असीम कृपा प्राप्त होगी।

20 फरवरी को अष्टमी श्रृंगार पूजा

पंडित बिपिन के अनुसार 20 फरवरी को सुबह 10.49 बजे तक अष्टमी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है। इससे पूर्व ही माता का श्रृंगार, पूजा, दर्शन कर लें। वहीं, नवमी पूजा, हवन आदि के लिए उत्तम मुहूर्त 22 फरवरी को दोपहर 12.36 बजे तक का है। वहीं, 22 फरवरी को दशमी पूजन, विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 2.4 बजे तक है।

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श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र शिवरात्रि पर बना रहा विशेष शिव योग, रात 12 बजे शुभ विवाहोत्सव

फाल्गुण कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। इसी दिन देवाधिदेव शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह हुआ था। इस बार शिवरात्रि 11 मार्च को है। शिवरात्रि को निराकार रूप को साकार करके शिवलिग के रूप में प्रकाट्य होने का दिन भी माना जाता है। शिव रात्रि के दिन भगवान शिव प्रसन्नचित्त मुद्रा में नंदी पर वास करते हैं। अत: इस दिन जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, पूजन आदि से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं। भक्तों की सभी प्रकार की अभीष्ट मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पंडित बिपिन के अनुसार शिवरात्रि के दिन सुबह 8.25 बजे से 9.29 बजे तक विशेष शिव योग रहेगा। शिव योग में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, पूजन, महाआरती आदि विशेष फलदायी माना जाता है।

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13 मार्च को शनि अमावस्या

शनि अमावस्या 13 मार्च को है। ऐसे जातक जिसके राशि में शनि की ढैया, साढ़े साती या शनि की महादशा चल रही है इस दिन प्रात: काल भगवान शनि की पूजा से कष्टों से निवारण होता है। शनि अमावस्या के दिन सुबह-सुबह पीपल पेड़ के नीचे शनि देव का पूजन उत्तम फलदायी होता है। गुड़ का रस विशेष रूप से चढ़ाएं। साथ ही, तिल के तेल का दीपक जलाने के बाद शनिदेव की आराधना करने से महादशा से उत्पन्न परेशानी का नाश होता है।

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