किसानों को बोनस देने पर सरकार की चुप्पी पर सरयू के तेवर तल्ख

रांची, राज्य ब्यूरो। किसानों से धान की खरीद पर प्रति क्िवटल 200 रुपये बोनस देने पर सरकार की चुप्पी पर खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री सरयू राय के तेवर तल्ख हैं। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री को कड़ा पत्र लिखा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Jan 2019 01:58 PM (IST) Updated:Sat, 05 Jan 2019 01:58 PM (IST)
किसानों को बोनस देने पर सरकार की चुप्पी पर सरयू के तेवर तल्ख
किसानों को बोनस देने पर सरकार की चुप्पी पर सरयू के तेवर तल्ख

रांची, राज्य ब्यूरो। किसानों से धान की खरीद पर प्रति क्िवटल 200 रुपये बोनस देने पर सरकार की चुप्पी पर खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री सरयू राय के तेवर तल्ख हैं। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री को कड़ा पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री योजना एवं वित्त विभाग के भी मंत्री हैं और इससे संबंधित फाइल कई दिनों से उनके पास पड़ी है। यह भी कहा है कि कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्रियों ने बोनस देने के प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई थी। इससे इतर योजना सचिव ने इस मद में राशि उपलब्ध कराए जाने में अपनी असमर्थता जताई है। सरयू राय ने पत्र के माध्यम से दो टूक कहा है कि बोनस देने की योजना कोई नई नहीं है। 2016-17 में 130 रुपये, जबकि 2017-18 में 150 रुपये इस मद में दिए गए थे। इसके बावजूद अगर मुख्यमंत्री को 200 रुपये प्रति क्िवटल बोनस देना अधिक लगता है तो वे एक सम्मानजनक राशि की स्वीकृति दें ताकि ऊहापोह समाप्त हो। उन्होंने यह भी लिखा है कि अगर सरकार सक्षम नहीं है तो खाद्य आपूर्ति विभाग सरेंडर की जानेवाली राशि से स्वयं यह कार्य कर सकता है।

सरयू राय ने लिखा है कि लगभग दो सप्ताह पूर्व हुई कैबिनेट की बैठक में नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री सीपी सिंह द्वारा इस मसौदे पर असहमति जताने की बात सामने आई है। जब इस मसले पर उन्होंने स्वयं नगर विकास मंत्री से बात कि तो पता चला कि मुख्यमंत्री 200 रुपये की जगह 50 रुपये बोनस देना चाहते थे, इसपर सीपी सिंह की यह टिप्पणी थी कि इससे बेहतर तो यह होगा कि बोनस देने की बात ही न की जाए। खाद्य आपूर्ति मंत्री ने कहा है कि सीपी सिंह की इस प्रतिक्रिया से वह भी सहमत हैं, कोई भी संवेदनशील व्यक्तिभले ही वह मंत्री ही क्यों न हो, नगर विकास मंत्री की बातों से सहमत होगा।

सरकार ने नहीं दिया 300 करोड़ का रिवॉल्विंग फंड :

सरयू राय ने कहा कि किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग को 300 करोड़ रुपये के रिवाल्विंग फंड की जरूरत थी। ऐसा इसलिए क्योंकि पलामू प्रमंडल में एफसीआइ को छोड़कर अन्य एक भी निजी एजेंसियां झारखंड में धान क्रय के लिए सामने नहीं आई। नतीजन धान की खरीद के लिए एफसीआइ को सहकारी संस्थाओं के सहारे धान खरीद के लिए आगे आना पड़ा। इससे इतर राज्य सरकार के वित्त प्रभाग ने यह निधि भी उपलब्ध नहीं कराई। नतीजतन आपूर्ति विभाग को अन्य योजनाओं की सरेंडर होने वाली रांची से 200 करोड़ रुपये का इंतजाम करना पड़ा। इस वजह से विगत वर्र्षो की तुलना में पर्याप्त संख्या में धान खरीद केंद्र तक नहीं खोले जा सके।

किसानों को खरीद केंद्र आने में तय करनी पड़ती है लंबी दूरी :

मंत्री सरयू राय ने लिखा है कि विगत दो वर्षो में किसानों को बोनस देने पर क्रमश: 28.50 करोड़ तथा 23.84 करोड़ रुपये व्यय हुए। रुपये कि यह स्थिति तब थी, जबकि पूर्व के इन दो वषरें में मानसून की स्थिति अच्छी थी। इस वर्ष सूखा का प्रभाव धान की उपज पर स्पष्ट है। इस खरीफ में सरकार की क्रय क्षमता को देखते हुए बोनस भुगतान पर अधिकतम 40 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सरकार को इससे संबंधित प्रस्ताव भेजा गया है। किसान सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं।

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