डाक टिकट से होगा राज्य की संस्कृति का प्रसार

रांची : राज्य की संस्कृति को दर्शाने वाले प्रकृति पर्व करमा के अवसर पर डाक टिकट का विमोचन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 07:30 AM (IST) Updated:Wed, 19 Sep 2018 07:30 AM (IST)
डाक टिकट से होगा राज्य की संस्कृति का प्रसार
डाक टिकट से होगा राज्य की संस्कृति का प्रसार

रांची : राज्य की संस्कृति को दर्शाने वाले प्रकृति पर्व करमा के अवसर पर डाक टिकट का विमोचन किया गया। मोरहाबादी स्थित रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान में डाक विभाग और कल्याण विभाग के प्रयास से यह आयोजन हुआ। राज्य मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्रालय, सुदर्शन भगत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। मौके पर कल्याण विभाग की सचिव हिमानी पांडेय, डाक महाध्यक्ष शशि शालिनी कुजूर, डॉ. श्यामा प्रसाद विवि के कुलपति डॉ. सत्यनारायण मुंडा व पद्मश्री मुकुंद नायक भी मौजूद रहे।

डाक टिकट के विमोचन के बाद मंत्री सुदर्शन भगत ने डाक विभाग और कल्याण विभाग का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि करमा के अवसर पर डाक टिकट का विमोचन बेहद खुशी का विषय है। राज्य की संस्कृति के बारे में उन्होंने कहा कि यहां के लोग प्रकृति के सबसे करीब हैं इसलिए हमारी पूजा पद्धति भी प्रकृति से जुड़ी है। वर्तमान में पर्यावरण की स्थिति से दुनियां चिंतित है। सब जहां प्रकृति का दोहन करने में लगे हैं, हमारी संस्कृति पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही है। उन्होंने कहा कि यही संदेश डाक टिकट के द्वारा दुनिया भर में फैलेगा और लोग करमा पर्व के बारे में जान पाएंगे।

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प्रकृति से जुड़ना सिखाता है करमा -

डाक महाध्यक्ष शशि शालिनी कुजूर ने अपने संबोधन में कहा कि करमा का पर्व हमें प्रकृति से जुड़े रहने की सीख देता है। भाई-बहन के अलावा यह फसलों के पकने का भी त्योहार है। उन्होंने बताया कि डाक टिकट में करमा पूजा की संक्षिप्त जानकारी भी है जो कि जन-जन तक पहुंचेगा। इस प्रकार टिकट पढ़ कर लोग करमा पर्व के बारे में जान सकेंगे। अंत में उन्होंने सभी को करमा पूजा की बधाइयां दी।

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विकास के पथ पर चलने के लिए प्रकृति का साथ जरूरी

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कुलपति डॉ. सत्यनारायण मुंडा ने कहा कि विकास के पथ पर चलने के लिए प्रकृति का साथ जरूरी है। इस बात की सीख हमें करमा के पर्व से मिलता है। उन्होंने बताया कि करमा का पर्व राज्य की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। हमें करमा के उद्देश्यों को नहीं भूलना चाहिए। -----------

भादो की एकादशी करम गड़ाए ...

डाक टिकट के विमोचन के मौके पर कुड़ुख भाषा के जानकार शरण उरांव ने कथा वाचन किया। करमा के पीछे की कहानी को बताते हुए उन्होंने कई बातों का जिक्र किया। इसी संदर्भ में उन्होंने भादो की एकादशी करम गड़ाए गीत गाया।

कार्यक्रम में पद्मश्री मुकुंद नायक ने भी करमा पर्व के महत्व को बताया और सबको पर्व की शुभकामनाएं दी। क्षेत्रीय भाषाओं में उन्होंने भी गीत की प्रस्तुति दी। इसके अलावा बंदे उरांव की टीम ने भी मौके पर गीत और नृत्य के माध्यम से दर्शकों को लुभाने का काम किया।

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