Jharkhand: 2022 तक खत्म हो जाएगी पारा शिक्षकों की व्यवस्था

Jharkhand. वर्ष 2022 तक स्कूली शिक्षा में पारा शिक्षकों की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इसकी वजह यह है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक पूरे तरीके से अपने काम के प्रति समर्पित रहें।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 02 Jun 2019 11:16 AM (IST) Updated:Sun, 02 Jun 2019 11:31 AM (IST)
Jharkhand: 2022 तक खत्म हो जाएगी पारा शिक्षकों की व्यवस्था
Jharkhand: 2022 तक खत्म हो जाएगी पारा शिक्षकों की व्यवस्था

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। वर्ष 2022 तक स्कूली शिक्षा में पारा शिक्षकों की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। यह इस वजह से किया जाएगा ताकि सरकारी स्कूलों के शिक्षक पूरे तरीके से अपने काम के प्रति समर्पित रहें और वे समुदाय के साथ लंबे समय तक गहरे संबंध बना सकें। केंद्र सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप में इसका जिक्र किया गया है।

एक दिन पूर्व जारी नीति का प्रारूप राज्य के शिक्षकों और पारा शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। अभी तक सर्व शिक्षा अभियान (अब समग्र शिक्षा अभियान) के तहत नियुक्त सभी पारा शिक्षक संविदा पर काम कर रहे हैं। प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्तमान प्रारूप के अनुसार ही लागू हुई तो स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति में अब साक्षात्कार भी होगा। साथ ही बच्चों को पढ़ाने की योग्यता की भी जांच होगी।

नियुक्ति में शिक्षक पात्रता परीक्षा व लिखित परीक्षा पास करने के बाद इस प्रक्रिया से गुजरना होगा। साक्षात्कार के माध्यम से स्थानीय भाषा में शिक्षण में सहजता और दक्षता की जांच की जाएगी। विशेष रूप से दूरस्थ, ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्ति में यह अत्यंत जरूरी होगा। नीति के प्रारूप के अनुसार, अब विशेष परिस्थिति में ही शिक्षकों का तबादला होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थापित शिक्षकों के लिए स्कूल परिसर के निकट स्थानीय आवास उपलब्ध कराया जाएगा।

तीन साल होगा प्रोबेशन का समय

सभी स्तर पर शिक्षकों को नियुक्त करने के लिए एक टेन्योर ट्रैक सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इस सिस्टम में शिक्षकों को नियुक्ति के बाद तीन वर्ष के लिए प्रोबेशन पर रखा जाएगा। इसके बाद उनके कार्य प्रदर्शन के आधार पर उनका स्थायीकरण किया जाएगा।

ये भी हैं प्रावधान

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप में शिक्षण व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन कर शिक्षणक्रम में बदलाव तथा स्कूली शिक्षा में सेमेस्टर लागू करने की भी बात कही गई है। कम से कम कक्षा पांच तथा जरूरत हो तो आठ तक स्थानीय भाषा में पढ़ाई हो। निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम का विस्तार किया जाएगा। अब इसके दायरे में न्यूनतम तीन तथा अधिकतम 18 वर्ष के बच्चे आएंगे। अभी तक इसके दायरे में छह से 14 वर्ष के बच्चे आते हैं। मिड डे मील में भोजन के अलावा नाश्ते में दूध, केला या अंडा का भी प्रावधान किया गया है। एक राष्ट्रीय ट्यूटर्स कार्यक्रम स्थापित किया जाएगा जिसके तहत प्रत्येक स्कूलों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करनेवाले विद्यार्थी ट्यूटर्स के रूप में सप्ताह में पांच घंटे निचली कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाएंगे। ऐसे ट्यूटर्स को एक प्रमाणपत्र भी मिलेगा कि कितने समय स्कूल स्तर पर सेवा दी। स्थानीय समुदायों से अनुदेशकों खासकर महिलाओं की पहचान की जाएगी जो पढ़ाई में पीछे रह गए बच्चों की मदद करेंगे।

नीति स्वागत योग्य है। बच्चों के बोझ को कम करने के लिए बहुप्रतीक्षित मांग पूरी की गई है। डिग्री से अधिक लर्निंग आउटकम पर जोर दिया गया है। इसमें शिक्षकों के सभी रिक्त पदों को भरने व अकारण स्थानांतरण नहीं करने की व्यवस्था की गई है जो सराहनीय है। -राममूर्ति ठाकुर, महासचिव, अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ।

सरकार सभी पारा शिक्षकों का स्थायी शिक्षक के पद पर समायोजन कर पारा शिक्षकों की व्यवस्था खत्म हो तो यह अच्छी पहल है। फिलहाल 7 जून को होनेवाली बैठक में हम इस नीति के प्रावधानों पर चर्चा कर अपनी मांगें सरकार के समक्ष उठाएंगे। -ह्रषिकेश पाठक, एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा।

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