MV Rao IPS Jharkhand: बढ़ सकती हैं पूर्व डीजीपी एमवी राव की मुश्किलें, हाई कोर्ट में दिया झूठा हलफनामा

MV Rao IPS Jharkhand हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद गृह रक्षा वाहिनी में 24 कंपनी कमांडर बहाल नहीं किए जा सके। बावजूद 4 जनवरी 2021 को तत्कालीन डीजीपी एमवी राव ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर बता दिया कि हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन हो चुका है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 06:31 AM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 09:24 PM (IST)
MV Rao IPS Jharkhand: बढ़ सकती हैं पूर्व डीजीपी एमवी राव की मुश्किलें, हाई कोर्ट में दिया झूठा हलफनामा
MV Rao IPS Jharkhand झारखंड के पूर्व डीजीपी एमवी राव।

रांची, [दिलीप कुमार]। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद गृह रक्षा वाहिनी में 24 कंपनी कमांडर को बहाल नहीं किया जा सका। इसके बावजूद गत माह चार जनवरी 2021 को ही तत्कालीन डीजीपी एमवी राव ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर बता दिया कि हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन हो चुका है। जबकि हकीकत यह है कि सभी कंपनी कमांडर अब भी सड़क पर हैं और पुन: बहाली की सुगबुगाहट तक नहीं है। हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने के बजाय गृह रक्षा वाहिनी वरिष्ठ पदाधिकारियों से मार्गदर्शन ही मांग रही है। बिना बहाल किए अदालत को यह बता देना कि आदेश का अनुपालन हो गया, चर्चा का विषय बना हुआ है।

बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बनने के बाद पहली बार 2008 में विज्ञापन प्रकाशित कर दारोगा, कंपनी कमांडर व सार्जेंट के पद पर बहाली हुई थी। वर्ष 2012 में कुल 384 अभ्यर्थियों की बहाली हुई थी। सभी चयनित अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण पूरा किया और नौकरी में बहाल भी हो गए। वर्ष 2014 में कुल 24 कंपनी कमांडर व 15 सार्जेंट की नियुक्ति को नियम विरुद्ध बताते हुए बर्खास्त कर दिया गया था। बताया गया था कि जिनका प्राप्तांक अधिक था, वे प्राथमिकता के आधार पर मेधा सूची में नीचे आ गए थे।

विवाद होने पर सेवा से हटाए गए सफल अभ्यर्थियों ने सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने उनके तर्क को सही पाया, जिसके बाद सरकार को आदेश दिया कि इन्हें नौकरी पर बहाल करें। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद सभी 42 अभ्यर्थी जब बहाल नहीं किए गए तो हाई कोर्ट में पीड़ित पक्ष ने अवमानना का केस किया। अवमानना मामले में हाई कोर्ट की सख्ती के बाद डीजीपी ने सभी 42 अभ्यर्थियों को बहाल करने पर सहमति दी थी। आदेश के आलोक में सशर्त सभी 15 सार्जेंट बहाल हो गए, लेकिन कंपनी कमांडर की बहाली अब तक नहीं हो सकी। अलबत्ता इसी बीच तत्कालीन डीजीपी ने हाई कोर्ट को बता दिया कि सभी बहाल कर दिए गए।

सुप्रीम कोर्ट में भी खारिज हो चुका है सरकार का एसएलपी

सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार ने एसएलपी दायर कर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। तीन दिन पहले ही 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देकर हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट को भी यही बताया गया कि हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में 39 बर्खास्त अभ्यर्थी को पुन: बहाल कर लिया गया है। जिसमें 15 सार्जेंट व 24 कंपनी कमांडर शामिल हैं। जबकि, हकीकत यह है कि कंपनी कमांडर अब तक बहाल नहीं किए जा सके हैं।

कब क्या हुआ वर्ष 2008 : दारोगा, कंपनी कमांडर व सार्जेंट के पद पर बहाली के लिए विज्ञापन निकला। वर्ष 2012 : तीनों श्रेणी में कुल 384 अभ्यर्थी बहाल हो गए। वर्ष 2014 : 24 कंपनी कमांडर व 15 सार्जेंट की बहाली को नियम विरुद्ध बताते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्त पदाधिकारियों ने सरकार के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी। वर्ष 2016 : हाई कोर्ट में सिंगल बेंच ने बर्खास्त पदाधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाया और सरकार को इन्हें पुन: बहाल करने का आदेश दिया। सरकार अपील में गई। वर्ष 2019 : हाई कोर्ट में डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा और सरकार से सभी बर्खास्त पदाधिकारियों को बहाल करने का आदेश दिया। बर्खास्त पदाधिकारियों को बहाल नहीं किया गया तो वे अवमानना वाद दायर कर दिए। नवंबर 2020 : अवमानना वाद की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की सख्ती के बाद पुलिस मुख्यालय रेस। दिसंबर 2020 : डीजीपी एमवी राव ने गृह रक्षा वाहिनी को दिया सभी 42 बर्खास्त पदाधिकारियों को बहाल करने का आदेश। सिर्फ 15 सार्जेंट ही बहाल किए गए। तीन सार्जेंट अयोग्य मिले थे। 24 कंपनी कमांडर अब तक बहाल नहीं। 04 जनवरी 2021 : तत्कालीन डीजीपी एमवी राव ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर बताया कि हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन हो गया है। 18 फरवरी 2021 : सुप्रीम कोर्ट ने भी एसएलपी पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। बहाल करने का आदेश दिया।

chat bot
आपका साथी