विचारक एवं कर्मशील लोगों के बीच सेतु बांधने का प्रयास है लोक मंथन

प्रज्ञा प्रवाह की ओर से 27 से 30 सितंबर तक लोक मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 Sep 2018 01:32 AM (IST) Updated:Mon, 17 Sep 2018 01:32 AM (IST)
विचारक एवं कर्मशील लोगों के बीच सेतु बांधने का प्रयास है लोक मंथन
विचारक एवं कर्मशील लोगों के बीच सेतु बांधने का प्रयास है लोक मंथन

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संजय कुमार, रांची

प्रज्ञा प्रवाह की ओर से 27 से 30 सितंबर तक लोक मंथन कार्यक्रम रांची के खेलगांव स्थित टाना भगत स्टेडियम में आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम में राष्ट्र सर्वोपरि है को मानने वाले देश भर के 1500 साहित्यकार, कलाकार, शिल्पकार एवं जनजातीय समाज के प्रतिनिधि भाग लेंगे और आपस में संवाद करेंगे। चार दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन 27 सितंबर को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू अपराह्न करेंगे। वहीं 30 सितंबर को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन समापन करेंगी। प्रत्येक दो वर्ष पर होने वाले इस कार्यक्रम का प्रथम आयोजन 2016 में इसका भोपाल में हुआ था।

इस बार के कार्यक्रम के संबंध में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंद कुमार ने दैनिक जागरण से विस्तृत बातचीत की। जे नंदकुमार आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक भी हैं और केरल से आते हैं। उन्होंने बातचीत में कहा कि भारत की प्राचीन परंपरा संवाद की रही है। रचनात्मक संवाद द्वारा ज्ञान बढ़ाने का काम चलता रहता था। बीच के कालखंड में विदेशी आक्रमण एवं वर्षो की गुलामी के कारण ज्ञान की इस भूमि भारत में संवाद की परंपरा खो गई। लोगों की सोच बदलने लगी। वर्तमान समय में उसे फिर से स्थापित करने की जरूरत महसूस की जाने लगी। उसी संवाद को स्थापित करने का काम प्रज्ञा प्रवाह कर रहा है। उसमें एक लोक मंथन भी है। यह संगठन उच्च शैक्षणिक संस्थानों में बुद्धिजीवियों के बीच काम करता है।

कार्यक्रम में विविध कलाकृतियों के नृत्य संगीत के द्वारा वैचारिक दार्शनिक विषयों की प्रस्तुति होगी। प्राचीन काल से भारत के संबंध में विश्व की दृष्टि और विश्व के संबंध में भारत की दृष्टि क्या है इसकी प्रस्तुति नृत्य नाटिका के माध्यम से की जाएगी। बाबा मौर्य की आरती होगी तो कुंभ मेला से संबंधित सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, धार्मिक चलचित्र का प्रदर्शन भी होगा। पूरे देश में निवास करने वाले सामान्य समाज जो विभिन्न तरह के धार्मिक अनुष्ठान एवं रीति रिवाज का पालन करते हैं, आपस में एकात्मता दर्शाते हैं, उसकी भी प्रस्तुति होगी। झारखंड से लेकर केरल तक निवास करने वाले जनजातीय समाज के रहन-सहन को दिखाया जाएगा।

इस कार्यक्रम में झारखंड एवं असम के मुख्यमंत्री, डेविड फॉली, रंगाहरी, राकेश सिन्हा, सोनल मानसिंह, विनय सहस्त्रबुद्धे, पद्मश्री अशोक भगत, पर्यावरणविद वंदना शिवा, हृदयनारायण दीक्षित सहित कई प्रमुख लोग भाग लेंगे।

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