Lockdown Effect: लॉकडाउन ने बदले जिंदगी के मायने, कुछ अच्‍छा तो कुछ खराब

Side Effects of Lockdown. कुछ बदलाव अच्‍छे हैं तो कुछ बदलाव ने लोगों को परेशान कर दिया है। बाजार से सामान लाने के बाद उसे भी अच्‍छे से साफ किया जा रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 13 Apr 2020 02:27 PM (IST) Updated:Mon, 13 Apr 2020 03:18 PM (IST)
Lockdown Effect: लॉकडाउन ने बदले जिंदगी के मायने, कुछ अच्‍छा तो कुछ खराब
Lockdown Effect: लॉकडाउन ने बदले जिंदगी के मायने, कुछ अच्‍छा तो कुछ खराब

रांची, जेएनएन। कोरोना वायरस और इसके बाद उत्‍पन्‍न लॉकडाउन की स्थिति ने लोगों के जीवन को बदल कर रख दिया है। कुछ बदलाव अच्‍छे हैं तो कुछ बदलाव ने लोगों को परेशान कर दिया है। पीएम मोदी के बाद कोरोना वायरस ने लोगाें को स्‍वच्‍छ रहने और अपने आसपास स्‍वच्‍छता रखने के लिए मजबूर कर दिया है। यह अच्‍छा भी है। कोरोना वायरस के डर से लोग खुद से लेकर अपने घरों तक को हर वक्‍त साफ करते देखे जा रहे हैं। घरों में सफाई बढ़ गई है। वैसी चीजें, जिसे ज्‍यादा लोग छूते हैं, उसे हर वक्‍त साफ किया जा रहा है। बाजार से सामान लाने के बाद उसे भी अच्‍छे से साफ किया जा रहा है।

लॉकडाउन में घर में रहकर लोग खाली समय में अपने मनपसंद काम कर रहे हैं। कोई अपनी फेवरेट किताबें पढ़ रहा है तो पेंटिंग कर रहा है। ऑफिस का काम घर से करने से प्रोडक्टिविटी भी बढ़ गई है। इससे लोगों का समय गुजर जा रहा है। हालांकि लाॅकडाउन की इस स्थिति ने लोगों में तनाव भी उत्‍पन्‍न कर दिया है। लोग चिंतित हैं। महिलाएं घर पर नई-नई रेसिपी बना रही हैं। विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए ऑनलाइन क्‍लासेस चल रहे हैं। यहां तक कि व्‍हाट्सएप पर पढ़ाई हो रही है। मदद के हाथ बढ़ रहे हैं। लॉकडाउन में जो भोजन का प्रबंध करने में असमर्थ हैं, उन्‍हें खाना भी नसीब हो जा रहा है।

लॉकडाउन में मिला बच्चों की शिकायत दूर करने का वक्त

कोरोना महामारी से बचाव के लिए सरकार के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन चल रहा है। हाल के दिनों में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले को देखते हुए इसे शायद आगे भी बढ़ाया जा सकता है। सरकार के द्वारा लोकहित में लगाए गए लॉकडाउन में सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में ताला लटका हुआ है। ऐसे में दिनचर्या में बदलाव होना लाजिमी है। आम दिनों में कोर्ट के कामकाज में व्यस्त रहने वाले डालसा सचिव अभिषेक कुमार बताते हैं कि कोर्ट के दिनों में अपने लिए और घर के बच्चों के लिए चाह कर भी वक्त नहीं निकाल पाता था। बच्चों को हमेशा शिकायत रहती थी कि मैं उन्हें वक्त नहीं देता हूं।

मगर लॉकडाउन में मुझे अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने का समय मिला। मेरा पूरा परिवार लॉकडाउन का सख्ती से पालन करते हैं। ऐसे में सारा दिन घर पर ही रहते हैं। बच्चों के साथ कई तरह के गेम खेलता हूं और उनके पसंद के टीवी शो देखता हूं। इसके साथ ही कुछ वक्त निकालकर ऐसे केस के बारे में स्टडी करता हूं जिनके बारे में आमदिनों में वक्त के कमी के कारण नहीं पढ़ पाता था। ये स्वज्ञान वर्धन के लिए जरुरी है। इसके साथ ही शाम के वक्त थोड़ा समय निकालकर पेड़-पौधों की सेवा भी करता हूं। शाम सात बजे के बाद फोन से दोस्तों की खोज-खबर भी जरुर लेता हूं।

प्राणायाम कर रहें लॉकडाउन में निरोग

हटिया के रहने वाले जगन्नाथ सुरेखा कहते हैं, कोरोना के बढ़ते प्रकोप को लेकर देश व दुनिया का बच्चा-बच्चा सहमा हुआ है तथा लॉकडाउन के कारण लोग घरों में कैद हो रखे हैं। ऐसे वक्त में सबसे अधिक अगर कोई चिंतित है तो वह बुजुर्ग ही हैं। वे अपने पहले से ही अपनी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। अब कोरोना वायरस संकट में रोगप्रतिरोधी क्षमता कमजोर होने के कारण अधिक प्रभावित बुजुर्ग ही हो रहे हैं।

ऐसे वक्त में अपने घर में बुजुर्गों को भावनात्मक संबल दें। अच्छा होगा आप उन्हें योग और प्राणायाम जैसे चीजों के लिए प्रेरित करें। यह शारीरिक और मानसिक दोनों के लिए अच्छा है। इन्हें अपने बच्चों के साथ ऑनलाइन गेम खेलना सीखाएं इससे उनका मन भी बहला करेगा। सुबह शाम सारा परिवार एकजुट होकर धार्मिक कार्यक्रम देखा करें इससे उनके मन मस्तिष्क को शांति मिलेगी।

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