विपरित परिस्थितियों में भी सीखें मुस्कुराने की कला

जीवन की भाग दौड़ में हम अपने बारे में सोचना भुल जाते हैं। विपरित परिस्थितियों में भी जीवन जीने की कला सीखे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 19 Mar 2020 08:44 PM (IST) Updated:Thu, 19 Mar 2020 08:44 PM (IST)
विपरित परिस्थितियों में भी सीखें मुस्कुराने की कला
विपरित परिस्थितियों में भी सीखें मुस्कुराने की कला

जागरण संवाददाता, रांची : जीवन की भाग दौड़ में हम अपने बारे में सोचना भुल जाते हैं। अगर ठीक से सोचें तो पाएंगे की आपको याद ही नहीं होगा की आखिरी बार कब आपने दिल खोलकर हंसा होगा या इतनी खुशी हुई हो कि हमारे अंदर से रोमांच हो गया हो। मगर इसका कारण भी हमारे ही अंदर है। कुछ बड़ा पाने के लिए अपने सामने की छोटी-छोटी खुशियों को ठुकरा देते हैं और दुख को पाल लेते हैं। मगर श्री श्री रविशंकर की संस्थान आर्ट ऑफ लिविंग लोगों को जीवन का नया रास्ता दिखा रही है। लालपुर में इसके सेंटर के मोटिवेटर अजातशत्रु ऋषि शाहदेव ने पिछले कुछ सालों में हजारों लोगों को जीवन की नई राह दिखाई है।

ऋषि शाहदेव बताते हैं कि एक छोटा नन्हा बच्चा दिन में 400 बार मुस्कुराता है, यही बच्चा जब बड़ा होने लगता है तो मुस्कुराहट कम होने लगती है। वो धीरे-धीरे गायब ही हो जाती है। अच्छे समय में मुस्कुराना कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन अगर आप विपरीत परिस्थितियों में भी मुस्कुरा सकते हैं तो यह जीवन जीने की कला है। खुशी मन पर निर्भर करता है। मगर ये मन हमारा सबसे बड़ा दुश्मन भी हो सकता है और सबसे अच्छा दोस्त भी। ये इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने मन के वश में कैसे करते हैं। हम लोगों को ये समझाते हैं कि हमें बाहरी दुश्मन की जरूरत नहीं है। आर्ट ऑफ लिविंग के हैप्पीनेस प्रोग्राम में सांस की शक्तिशाली सुदर्शन क्रिया के द्वारा मन को वर्तमान में लाने तथा रखने को सिखाए जाता है। ऐसा होने पर जब मन बिल्कुल वर्तमान में टिक्का है तो हम बहुत शाति और खुशी महसूस करते हैं। इस भाग दौड़ बड़ी जीवन में बहुत जरुरी है कि हम अपने मन के बारे में जाने क्योंकि हमारा जीवन कैसा है, लोगों के साथ हमारे रिश्ते कैसे हैं, हमारा काम कैसा चल रहा है, यह सब कुछ निर्भर करता है कि हमारा मन कैसा है। इसके साथ ही कई प्रकार की योग क्रिया को सिखाया जाता है जिसके तहत हम अपने शरीर में जमा उर्जा के भंडार को खोल सकते हैं। स्वांस का और शरीर की क्रियाओं का काफी गहरा नाता है। जैसे जब मन बेचैन होता है तो सांसे तेज और छोटी हो जाती है। वहीं जब मन शांत होता है तो सांस हल्की और लंबी होती है।

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