इलेक्शन ट्रैवल : जाम के बीच जमी राजनीतिक चौपाल, घोषणापत्र पर घमासान

चुनावी चौपाल में आपस मे ही लोग लड़ने लगे। कोई मोदी की तारीफ कर रहे थे तो कोई कह रहा था कि काम नहीं हुआ।

By Edited By: Publish:Thu, 11 Apr 2019 05:00 AM (IST) Updated:Thu, 11 Apr 2019 08:45 AM (IST)
इलेक्शन ट्रैवल : जाम के बीच जमी राजनीतिक चौपाल, घोषणापत्र पर घमासान
इलेक्शन ट्रैवल : जाम के बीच जमी राजनीतिक चौपाल, घोषणापत्र पर घमासान

रांची मांडर रोड से विवेक आर्यन । जाम में खड़ी ऑफिस की वैन जब 15 मिनट बाद भी नहीं हिली तो मजबूरन हमें वैन से बाहर निकलना पड़ा। दोपहर 2 बजे की तेज घूप में तपती वैन से बाहर आते ही ठंडी हवाएं अच्छी लगी, इसलिए कुछ देर बाहर ही छाव में खड़े होने का निर्णय किया। नजर दौड़ाई तो रांची मांडर रोड पर दूर तक वाहनों की कतार दिखी। एक भी चल नहीं रही थी। फोटो जर्नलिस्ट मनोरंजन ने कैमरा संभाला और दो-तीन तस्वीरें ली। आदतन उन्होंने कैमरे के एलसीडी स्क्रीन को मेरी ओर किया और मैंने तस्वीर देख कर बढि़या है कहा। वैन की तरफ देखा तो ड्राइवर ने इत्मीनान से खड़े रहने का इशारा किया।

पास में ही कुछ लोग तरबूज खाते हुए बात कर रहे थे। कोई किसी को नहीं जान रहा था, तभी तो अलग विचार होने के बावजूद नर्म थे। अधेड़ उम्र का एक व्यक्ति सरकार के तारीफों के पुल बांध रहा था, कारनामें गिना रहा था। मैंने भी पूछ लिया कि कौन सी योजनाएं अच्छी लगी और कितना काम हुआ है? नाम दिनेश था, घर ब्रांबे। कहा सड़क बन रही है, देखिए सामने। वाकई बन रही थी, इसी के कारण जाम था।

आगे कहने लगे कि घरों में चूल्हा नहीं अब गैस पर खाना बनता है। इतना कहते हुए उसने तरबूज के छिलके को पास पड़ी टोकरी में डाला। नई सड़क पर बच्चों से ऑटो चलवाने का मेरा कोई विचार नहीं है। यह कहकर दूसरे ने एंट्री मारी। अनिल नाम था, उम्र 30 की होगी, फॉर्मल शर्ट और पैंट में था। कुछ लोग मुस्कुराए। मैं भी मुस्कुराया। अनिल ने आगे कहा रोजगार कहां है? कुछ देर दोनों में बहस हुई। अब तक मैं भी अपनी तरबूज खत्म कर चुका था। मुझे प्लेट में मिला था इसलिए छिलका नहीं, प्लेट डस्टबिन में डाल दिया। मैंने औरों को भी डिस्क्शन में शामिल करने की कोशिश की। किसी ने बिजली की संकट बताई और किसी ने आयुष्मान भारत को ब्रह्मास्त्र कहा। इन सबके बीच तरबूज बेच रहे शख्स ने नाली, पानी और स्कूल की बात छेड़ी।

आंकड़ा दिया कि कहां क्या जरूरत है, कितना काम होना है। यह भी बताया कि सांसद कितनी बार आए हैं। मनोरंजन अभी भी तस्वीरें लेने में व्यस्त थे। देखा तो ऑफिस की वैन काफी आगे जा कर खड़ी थी। अंतिम में बीजेपी के घोषणापत्र पर सवाल किया। कांग्रेस के घोषणा पत्र पर सवाल खुद ब खुद उठ गए। बहस तीखी हुई और मामला बिगड़ गया। हां-ना में ऐसा हुआ कि राय उग्र हो गए और एक दो अपशब्द भी सुनने को मिले। गाड़ियां बढ़ने लगी थी, आसपास लोग कम हो गए। बोलने वालों को दर्शक नहीं मिले तो वे भी चुप हो गए। मैं भी अपनी वैन की ओर बढ़ा। वैन में बैठ कर दरवाजा बंद किया तो नजर स्कूल वैन पर गई। बच्चे गर्मी और धूल से परेशान थे। जो बच्चे ऑटो में थे, वे उतर कर पैदल चलना शुरू कर चुके थे। मनोरंजन ने उनकी भी तस्वीरें ली, पसीने से भरे मासूम चेहरे पर कैमरे की आवाज ने मुस्कान ला दी।

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