Jivitputrika Vrat 2020: इस तारीख को है जिउतिया, संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करेंगी महिलाएं

Jivitputrika Vrat 2020 इस बार 32 घंटे से अधिक का आयोजन होगा। 9 सितंबर की रात से मुर्हूत शुरू होगा। 11 सितंबर को 12 बजे से पहले पारण करना होगा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 30 Aug 2020 10:21 AM (IST) Updated:Mon, 31 Aug 2020 09:52 AM (IST)
Jivitputrika Vrat 2020: इस तारीख को है जिउतिया, संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करेंगी महिलाएं
Jivitputrika Vrat 2020: इस तारीख को है जिउतिया, संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करेंगी महिलाएं

रांची, जासं। Jivitputrika Vrat 2020 इस वर्ष जिउतिया अथवा जीवित पुत्रिका (जीमूत वाहन) का व्रत 10 सितंबर को है। वंश वृद्धि व संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं, आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को यह व्रत करतीं हैं। इसमें महिलाएं करीब 24 घंटे निर्जला और निराहार रहती हैं। सनातन धर्मावलंबियों में इस व्रत का विशेष महत्व है। पंडित राजेश उपाध्याय के अनुसार जीवित पुत्रिका व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है।

महाभारत युद्ध के बाद अपने पिता की मृत्यु के बाद अश्व्थामा बहुत नाराज था और उसके अन्दर बदले की आग तीव्र थी। इस कारण उसने पांडवों के शिविर में घुस कर द्रौपदी के पांचों संतान को सोते हुए अवस्‍था में, पांच पांडव समझकर मार डाला था। इस अपराध के कारण अर्जुन ने उसे बंदी बना लिया और उसकी दिव्य मणि छीन ली।

इसके फलस्वरूप अश्व्थामा ने उत्तरा की अजन्मी संतान को गर्भ में मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया। इसे निष्फल करना नामुमकिन था। उत्तरा की संतान का जन्म लेना आवश्यक था। इस कारण भगवान कृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसको गर्भ में ही पुनः जीवित किया। गर्भ में मरकर जीवित होने के कारण उसका नाम जीवित पुत्रिका पड़ा। आगे जाकर यही, राजा परीक्षित बना। तब ही से इस व्रत को किया जाता है।

कुछ ऐसा है शुभ मुहूर्त

इस बार आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि आगामी 9 सितंबर की रात में 9 बजकर 46 मिनट पर प्रारंभ होगी और 10 सितंबर की रात 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। आगामी 10 सितंबर को अष्टमी में चंद्रोदय का अभाव है। इसी दिन जिउतिया पर्व मनाया जाएगा। व्रत से एक दिन पहले सप्तमी (9 सितंबर) की रात महिलाएं नहाय-खाए करेंगी। गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद मंड़ुआ रोटी, नोनी का साग, कंदा, झिमनी आदि का सेवन करेंगी। व्रती स्नान-भोजन के बाद पितरों की पूजा भी करेंगी।

नहाय-खाय की सभी प्रक्रिया 9 सितंबर की रात 9 बजकर 47 मिनट से पहले ही करनी होगी। 9 बजकर 47 मिनट के बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। सूर्योदय से पहले सरगही-ओठगन करके इस कठिन व्रत का संकल्प लिया जाएगा। जिउतिया व्रत का पारण करने का शुभ समय 11 सितंबर की सुबह सूर्योदय से लेकर दोपहर 12 बजे तक रहेगा। व्रती महिलाओं को जिउतिया व्रत के अगले दिन (11 सितंबर को) 12 बजे से पहले पारण करना होगा।

कुछ ऐसे होगी शुरुआत

इस दिन जीवित पुत्रिका व्रत का पहला दिन कहलाता है, इस दिन से व्रत शुरू होता हैं। इस दिन महिलाएं नहाने के बाद एक बार भोजन करती हैं। इस व्रत को करते समय केवल सूर्योदय से पहले ही खाया-पीया जाता है। सूर्योदय के बाद आपको कुछ भी खाने-पीने की सख्त मनाही होती है। इस व्रत से पहले केवल मीठा भोजन ही किया जाता है, तीखा भोजन करना अच्छा नहीं होता। इस दिन कई लोग बहुत सी चीजे खाते हैं, लेकिन खासतौर पर इस दिन झोर भात, नोनी का साग एवं मंडुआ की रोटी अथवा मंडुआ की रोटी दिन के पहले भोजन में ली जाती है। फिर दिन भर कुछ नहीं खाती।

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