Jharkhand: बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के मामले में राजभवन ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजा समन

Jharkhand Political Updates विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो अब राज्यपाल के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे। चुनाव आयोग ने भाजपा विधायक के तौर पर बाबूलाल मरांडी को मान्यता दे दी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sat, 08 Aug 2020 11:20 AM (IST) Updated:Sat, 08 Aug 2020 11:23 AM (IST)
Jharkhand: बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के मामले में राजभवन ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजा समन
Jharkhand: बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के मामले में राजभवन ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजा समन

रांची, [प्रदीप सिंह]। Jharkhand Political Update पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं मिलने का मामला तूल पकड़ रहा है। छह माह पुराने इस विवाद में अब राजभवन का सीधा हस्तक्षेप शुरू हो गया है। राजभवन ने इसपर विधानसभा अध्यक्ष का पक्ष जानने के लिए उन्हें समन भेजा है। दरअसल झाविमो के टिकट पर चुनाव जीते बाबूलाल मरांडी द्वारा अपनी पूरी पार्टी के भाजपा में विलय कर दिये जाने के बाद चुनाव आयोग ने पहले ही मरांडी को बतौर भाजपा विधायक के रूप में मान्यता दे दी है।

उधर, विधानसभा ने उन्हें भाजपा द्वारा विधायक दल का नेता घोषित किये जाने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता नहीं दी है। अब चुनाव आयोग से स्वीकृति मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय पर इस बाबत दबाव है कि मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाए। इससे पूर्व विधानसभा सचिवालय ने तकनीकी पेंच का हवाला देते हुए बाबूलाल मरांडी को झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) का विधायक बताते हुए मान्यता देने से मना कर दिया था।

निर्वाचन आयोग को भेजी गई सूची में उन्हें झाविमो का विधायक बताया गया था। हालांकि चुनाव आयोग से स्वीकृति मिलने के बाद हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा विधायक के तौर पर वोटिंग की, जबकि झाविमो के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल हो चुके दो अन्य विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस का विधायक मानने से इन्कार करते हुए उन्हें निर्दलीय विधायक के तौर पर चिन्हित किया है।

खाली है नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी

ऐसा पहली बार हुआ है जब राज्य में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता की मांग को लेकर भाजपा विधायकों ने कई दिनों तक कामकाज बाधित किया था। बाद में बाबूलाल मरांडी ने स्वयं हस्तक्षेप करते हुए इस मामले पर किसी प्रकार का हंगामा नहीं होने का भरोसा अध्यक्ष को दिलाया। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान इस मामले पर तनातनी के बीच स्पीकर ने कहा था कि वे दबाव में इसपर फैसला नहीं लेंगे।

तमाम कानूनी पहलुओं का अध्ययन कर वे इस बाबत फैसला लेंगे। बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता का मामला विधानसभा सचिवालय के पास विचाराधीन है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने नेता प्रतिपक्ष की मान्यता को लेकर शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात की है। इसके बाद राजभवन ने समन भेजा है।

सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए हैं मरांडी

झाविमो के भाजपा में विलय की कवायद राज्य विधानसभा के चुनाव परिणाम के बाद आरंभ हुई। चुनाव में बहुमत नहीं मिलने के बाद भाजपा को एक कद्दावर नेतृत्वकर्ता की तलाश थी। बाबूलाल मरांडी को मनाने की कोशिश बड़े पैमाने पर हुई। उन्होंने भाजपा में विलय का निर्णय किया और इसका विरोध कर दो विधायकों को निष्कासित कर दिया। विलय समारोह में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शिरकत की। बाबूलाल मरांडी को सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया।

दबाव बढ़ा तो हो सकती है तनातनी

बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता पर राजनीतिक दबाव बढ़ा तो सरकार संग तनातनी भी बढ़ सकती है। कांग्रेस विधायकों को भाजपा द्वारा प्रलोभन दिए जाने संबंधी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. रामेश्वर उरांव के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि ऐसा न हो कि भाजपा नेता प्रतिपक्ष पद के लिए तरस जाए। तब भाजपा ने उनके बयान की तीखी आलोचना की थी।

'राजभवन से समन आया है। राज्यपाल संवैधानिक पद पर हैं। उनसे इस प्रकरण पर बातचीत कर विषय से अवगत कराएंगे।' -रवीन्द्रनाथ महतो, अध्यक्ष, झारखंड विधानसभा।

क्या कहते हैं जानकार

बिहार विधानमंडल (नेता प्रतिपक्ष) एक्ट 1977 की धारा दो के अनुसार स्पीकर को नेता प्रतिपक्ष घोषित करने का अधिकार है। हालांकि इसके लिए कोई निर्धारित अवधि नहीं है, लेकिन किसी भी सरकार को चेक बैलेंस करने के लिए नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति जरूरी होती है। नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति जल्द से जल्द होनी चाहिए, क्योंकि सिर्फ सदन में ही नहीं, बल्कि अन्य कार्य के लिए भी नेता प्रतिपक्ष की जरूरत होती है। -प्रिंस कुमार सिंह, अधिवक्ता, हाई कोर्ट।

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