New Year 2020: नए साल पर पर्यटकों को बुला रहीं झारखंड की हसीन वादियां Jharkhand Picnic Spots

New Year 2020 इस बार नए साल के मौके पर नेतरहाट बेतला पतरातू जैसे स्थलों को देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचेंगे।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Mon, 30 Dec 2019 12:12 PM (IST) Updated:Mon, 30 Dec 2019 01:31 PM (IST)
New Year 2020: नए साल पर पर्यटकों को बुला रहीं झारखंड की हसीन वादियां Jharkhand Picnic Spots
New Year 2020: नए साल पर पर्यटकों को बुला रहीं झारखंड की हसीन वादियां Jharkhand Picnic Spots

रांची, जासं। New Year 2020 नए साल पर लोगों के स्वागत के लिए रांची के आसपास के पर्यटन स्थल तैयार हैं। यूं तो झारखंड अपने प्राकृतिक खनिज संसाधनों के लिए विश्व विख्यात है, लेकिन यह प्रदेश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती से संपन्न होने के लिए भी जाना जाता है। यहां काफी संख्या में पर्यटन स्थल मौजूद हैं जो अपने अनूठे प्राकृतिक सौंदर्य से पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। इस बार नए साल के मौके पर नेतरहाट, बेतला, पतरातू जैसे स्थलों को देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचेंगे। 

उगते व ढलते सूरज को देखने के लिए बेहद प्रसिद्ध है नेतरहाट

रांची से 144 किमी दूर स्थित नेतरहाट अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र तल से 3622 फीट की उंचाई पर स्थित जंगलों से घिरा नेतरहाट हाल के दिनों में पर्यटकों के लिए पसंदीदा स्थल बनता जा रहा है। यहां सनसेट प्वाइंट, मंगोलिया प्वाइंट, घाघरा झरना जैसे स्थल पर्यटकों को खूूब लुभाते हैं।

उगते सूरज के साथ-साथ डूबते सूरज को देखने के लिए नेतरहाट का सनराइज प्वांट सबसे मुफीद जगह है। यहां उगते सूरज का नजारा ऐसा होता है, मानो आंखों के सामने आकर सूरज ठहर गया हो। ढलते सूरज का दृश्य देखने के लिए मंगोलिया प्वांइट काफी प्रसिद्ध है। यहां गोधूलि के बीच डूबते सूरज को देखना बेहद सकून भरा होता है। नेतरहाट से चार किमी दूर उपरी घाघरा झरना में लोग नए साल पर काफी संख्या में पिकनिक मनाने पहुंचते हैं। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती के बीच पिकनिक मनाना जीवन भर याद रखे जाने लायक लम्हा होता है।

घुमावदार सड़क के लिए लोकप्रिय है पतरातू

झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित पतरातू एक खूबसूरत घाटी है। यह अपने मनमोहक नजारे, पहाड़ी सौंदर्य के लिए जाना जाता है। समुद्र तल से 1300 फीट की उंचाई पर स्थित यह जगह नए साल का आनंद लेने के लिए बेहद उपयुक्त है। यह पहाड़ी घाटी हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है। यहां की घुमावदार सड़क इस जगह को और आकर्षक बनाती है। एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए यहां बहुत रोमांच उपलब्ध है। यहां ट्रेकिंग, हाइकिंग का रोमांच भरा अनुभव लिया जा सकता है। यहां अक्टूबर से फरवरी तक आया जा सकता है।

सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है बेतला राष्ट्रीय उद्यान

पलामू जिले में बसा बेतला राष्ट्रीय उद्यान अपने समृद्ध जैव विविधता के कारण पर्यटकों को यहां आने पर मजबूर करता है। 979 वर्ग एकड़ इलाके में फैला यह यह उद्यान भारत के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। वैसे तो यहां सालों भर आया जा सकता है लेकिन नवंबर से मार्च तक यहां आना अधिक बेहतर है। यहां विभिन्न प्रजातियों के असंख्य जीव बाघ, तेंदुआ, सियार, हाथी, चितल, चिंकारा जैसे जंगली जानवर जैसे बाघ, तेंदुआ, सियार, हाथी, चितल, चिंकारा जैसे जंगली जंतुओं को आसानी से देखा जा सकता है। 

कुंभ मेले की तरह कॉटेज की व्यवस्था

पर्यटन विभाग के डिप्टी जीएम आलोक प्रसाद ने बताया कि इस वर्ष नेतरहाट पर्यटकों के लिए कुंभ मेले की तरह कॉटेज की भी व्यवस्था की गयी है। कुल 30 कॉटेज में से 20 कॉटेज स्थायी हैं तथा 10 अस्थायी हैं। ये कॉटेज बीते दो महीने से फुल हैं। यहां उनके लिए स्थानीय कलाकारों द्वारा गीत-संगीत तथा बोनफायर का कार्यक्रम आयोजित करवाया जा रहा है। इसके अलावा पतरातू में पर्यटकों के लिए सारी व्यवस्थाएं दुरूस्त हैं। उनके मनोरंजन के लिए प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा जिससे पर्यटक झारखंड की संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे। यह कार्यक्रम 14 जनवरी तक चलेगा। उनकी सुरक्षा के लिए लाइफ जैकेट उपलब्ध कराए गए हैं। वह बताते हैं कि अधिकांश पर्यटक प. बंगाल तथा गुजरात से आते हैं। हाल-फिलहाल दक्षिण भारत से पर्यटकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। अगर विदेशों से आने वाले पर्यटकों की बात की जाए तो अमेरिका, ब्रिटेन, श्रीलंका तथा बेल्जियम जैसे देशों से बड़ी संख्या में पर्यटक झारखंड आ रहे हैं। 

बढ़ेगी सैलानियों की संख्या 

वर्ष 2018 में विदेशों से 175801 पर्यटक झारखंड की खूबसूरती देखने आए थे। ऐसा अनुमान है कि इस बार इनकी संख्या बीस से तीस फीसद बढ़ सकती है। 

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