लालू की पटना रैली में आकार ले सकता है झारखंड का विपक्षी गठबंधन

लालू प्रसाद चाहते हैं कि झारखंड में विपक्षी दलों का गठबंधन जल्द से जल्द बने।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Tue, 22 Aug 2017 10:07 AM (IST) Updated:Tue, 22 Aug 2017 04:53 PM (IST)
लालू की पटना रैली में आकार ले सकता है झारखंड का विपक्षी गठबंधन
लालू की पटना रैली में आकार ले सकता है झारखंड का विपक्षी गठबंधन

राज्य ब्यूरो, रांची। राजद प्रमुख लालू प्रसाद चाहते हैं कि झारखंड में विपक्षी दलों का गठबंधन जल्द से जल्द बने। इसमें झामुमो, झाविमो, कांग्रेस, राजद और तमाम वामदल शामिल हों ताकि भाजपा को एकजुट होकर टक्कर दी जा सके। अगर यह फॉर्मूला सफल रहा तो झारखंड विधानसभा में भी इसका असर देखने को मिलेगा। संयुक्त विपक्षी गठबंधन में 30 विधायक होंगे।

राजद प्रमुख ने विपक्षी गठबंधन को पुख्ता करने के लिए 27 अगस्त को पटना में हो रही विपक्षी दलों की रैली में झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और झाविमो (झारखंड विकास मोर्चा) अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को न्योता भेजा है। दोनों नेताओं ने रैली में शामिल होने पर सहमति भी दे दी है। झारखंड विधानसभा में झामुमो के 19, कांग्रेस के सात, झाविमो के दो और मा‌र्क्सवादी समन्वय समिति व भाकपा (माले) के एक-एक विधायक हैं। इसके अलावा बसपा के एक विधायक का भी साथ मिल सकता है।

सामान्य मुद्दों पर सभी विपक्षी दल एकजुट अवश्य होते हैं, लेकिन विधानसभा के भीतर उनकी खेमेबंदी नजर आती है। इसकी बानगी भी विधानसभा के मानसून सत्र में देखने को मिली जब सदन को बाधित करने के सवाल पर झामुमो अकेला पड़ गया।

कांग्रेस के एकाध विधायकों ने जरूर झामुमो के सुर में सुर मिलाए, लेकिन ज्यादातर विधायकों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। ऐसे में विपक्षी दलों का संयुक्त गठबंधन सदन में कारगर हो सकता है। सामान्य मुद्दे तय कर गठबंधन सड़क पर भी आंदोलन की रणनीति बना सकता है। हाल ही में कांग्रेस ने विधानसभा घेराव के माध्यम से आंदोलनात्मक कार्यक्रमों की शुरुआत की है।

हेमंत जुटे संगठन की मजबूती में

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की सक्रियता हाल के दिनों में बढ़ी है। वे संगठन को मजबूत करने के लिए पूरे राज्य का दौरा कर रहे हैं। पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में अच्छी भीड़ भी जुट रही है। तमाम जिलों का सम्मेलन समाप्त होने के बाद पार्टी महाधिवेशन की तैयारी में जुटेगी।

झारखंड मुक्ति मोर्चा का लक्ष्य आगामी विधानसभा चुनाव में मजबूती के साथ उतरना है। हेमंत सोरेन का नेतृत्व स्वीकार करने की स्थिति में विपक्षी गठबंधन धरातल पर उतर सकता है। इसमें सफलता नहीं मिली तो झामुमो अकेले राजनीतिक सफर तय करेगा। 

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