JPSC: छठी जेपीएससी के साक्षात्कार का रास्ता साफ, हाई कोर्ट ने रोक लगाने से किया इन्‍कार

Jharkhand. प्रार्थी राहुल कुमार व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर छठी जेपीएससी की मुख्य परीक्षा रद्द करने और इंटरव्यू पर रोक लगाने की मांग की थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 02:18 PM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2020 07:17 PM (IST)
JPSC: छठी जेपीएससी के साक्षात्कार का रास्ता साफ, हाई कोर्ट ने रोक लगाने से किया इन्‍कार
JPSC: छठी जेपीएससी के साक्षात्कार का रास्ता साफ, हाई कोर्ट ने रोक लगाने से किया इन्‍कार

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। छठी जेपीएससी के लिए 24 फरवरी से होने वाले साक्षात्कार का रास्ता साफ हो गया है। जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने छठी जेपीएससी की मुख्य परीक्षा के परिणाम को रद कर साक्षात्कार पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। अदालत ने इस मामले में जेपीएससी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

दरअसल, इस संबंध में राहुल कुमार व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर छठी जेपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के बाद सरकार द्वारा जारी पहले संकल्प को चुनौती दी है। कहा गया है कि 19 अप्रैल 2017 को सरकार द्वारा जारी संकल्प के चलते ही प्रारंभिक परीक्षा में पास हुए 5138 अभ्यर्थियों की संख्या बढ़कर 6103 हो गई। नियमानुसार यह 15 गुना से 965 अधिक है।

इसलिए सरकार के उस संकल्प को रद कर देना चाहिए। उनके अधिवक्ता शुभाशीष रसिक सोरेन ने अदालत को बताया कि पिछले दिनों इस मामले में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सरकार के दूसरे संकल्प (12 फरवरी 2018) को खारिज कर दिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई है। दूसरे संकल्प के चलते मुख्य परीक्षा में 34 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए। इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों की परीक्षा लेने में कई प्रकार की गलतियां हुई हैं। इसलिए मुख्य परीक्षा रद कर इसे दोबारा कराने और साक्षात्कार पर रोक लगा देनी चाहिए।

जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि सरकार के अधियाचना के आलोक में वर्ष 2016 में विज्ञापन निकाला गया था। देव कुमार के मामले में हाई कोर्ट के पहले आदेश के तहत प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी किया था। वहीं, खंडपीठ के आदेश के तहत ही मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी किया गया है। इसके लिए 24 फरवरी से इंटरव्यू होना निर्धारित किया गया है, इसलिए प्रार्थी की मांग गलत है।

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