DVC के 5608 करोड़ बकाए के समाधान में जुटी झारखंड सरकार, केंद्र सरकार ने दिया है नोटिस

झारखंड सरकार के समक्ष वि‍त्‍तीय संकट उत्‍पन्‍न हो गया है। वित्त विभाग से समन्वय करने और बकाया नहीं देने पर केंद्र सरकार ने अनुदान में कटौती का अल्टीमेटम दिया है। पहली किश्त के लिए केवल 15 दिनों की मोहलत मिली है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 09:12 AM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 03:59 PM (IST)
DVC के 5608 करोड़ बकाए के समाधान में जुटी झारखंड सरकार, केंद्र सरकार ने दिया है नोटिस
पांच सौ और दो हजार रुपये के नोटों का बंडल। फाइल फोटो

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार ने डीवीसी से बिजली खरीद के मद में बकाए के भुगतान को चुकाने की दिशा में कार्रवाई तेज कर दी है। इस बाबत वित्त विभाग से समन्वय स्थापित कर राज्य सरकार का पक्ष मजबूती से केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के समक्ष रखने की तैयारी की जा रही है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि केंद्र सरकार ने 5608.32 करोड़ रुपये की बकाया राशि चुकाने के लिए महज 15 दिनों की मोहलत दी है। यह अवधि 26 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगी।

ऊर्जा मंत्रालय ने राज्य सरकार को स्पष्ट किया है कि यदि बकाया भुगतान नहीं किया गया तो वर्ष 2017 में हुए त्रिपक्षीय समझौते की शर्तों के तहत राज्य सरकार के आरबीआइ खाते से चार किस्तों में वसूला जाएगा। यानी एक किस्त में एकमुश्त 1417.50 करोड़ की राशि वसूल ली जाएगी। केंद्र सरकार ने यह भी सुझाव दिया है कि आत्मनिर्भर भारत के तहत पावर सेक्टर के लिए 90 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

राज्य सरकार अगर चाहे तो बिजली वितरण कंपनी के माध्यम से केंद्र सरकार के उपक्रम रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन या पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन से ऋण लेकर डीवीसी की देनदारी चुका सकती है। हालांकि इसपर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। राज्य सरकार का तर्क है कि एक लोन चुकाने के लिए दूसरा ऋण लेना ठीक नहीं होगा।

यही वजह है कि बकाया भुगतान के लिए वक्त मांगने के अलावा कोई अन्य विकल्प फिलहाल नहीं दिखता। फिलहाल मुख्य सचिव के स्तर से पूरे मामले के समाधान की दिशा में भी प्रयास तेज कर दिया गया है।

'डीवीसी के साथ त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। इसमें राज्य सरकार, केंद्र सरकार और बिजली उत्पादक कंपनी समेत तीन पक्ष हैं। क्रय की गई बिजली का भुगतान किया जाना है। इसी समझौते के तहत केंद्र सरकार ने नोटिस दिया है। बकाया नहीं चुकाये जाने पर विभिन्न योजना में राशि से कटौती की जा सकती है। इस मसले का जल्द हल निकाल लिया जाएगा।' -अविनाश कुमार, प्रधान सचिव, ऊर्जा विभाग सह सीएमडी, ऊर्जा विकास निगम।

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