बच्चों ने दिखाई जल संरक्षण की राह, 2020 तक पचास फीसद आबादी तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य
जून-जुलाई 2019 में शुरू हुए इस अभियान में बच्चों ने जल संरक्षण को लेकर जो राह दिखाई है सरकार और स्वयं सेवी संस्थाओं एवं संगठनों के माध्यम से उसे आगे बढ़ाया जाएगा।
खास बातें
रांची, राज्य ब्यूरो। किसी भी अभियान की कमान जब बच्चे संभालते हैं तो उसका सार्थक परिणाम सामने आने से कोई नहीं रोक सकता। दैनिक जागरण ने 13 हजार से अधिक स्कूलों के करीब डेढ़ लाख बच्चों को साथ लेकर झारखंड में 'कितना-कितना पानी' अभियान शुरू किया तो राज्य सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया। जून-जुलाई 2019 में शुरू हुए इस अभियान में बच्चों ने जल संरक्षण को लेकर जो राह दिखाई है, सरकार और स्वयं सेवी संस्थाओं एवं संगठनों के माध्यम से उसे आगे बढ़ाया जाएगा।
स्कूलों के बच्चों ने प्रभात फेरी, चित्रांकन प्रतियोगिता के मध्यम से जल संरक्षण की गंभीरता को दर्शाया। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को लेकर घर-घर जाकर जागरूकता संदेश भी पहुंचाया। लाखों पौधे लगाए। बच्चों के साथ मिलकर शुरू की गई जागरण की यह मुहिम निरंतर जारी है। जनवरी से इसका दूसरा चरण शुरू होगा और चरणबद्ध तरीके से इसे चार साल तक चलाया जाएगा। जागरण की इस मुहिम को सरकार के स्तर पर भी सराहा गया है। राज्य सरकार के स्तर से भी जल संरक्षण के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं।
जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए बेहतर परिणाम देने वाले जिलों के साथ-साथ प्रखंडों को भी पुरस्कृत करने की घोषणा की गई है। राज्य के सभी सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाने का निर्देश दिया गया है। इसकी शुरुआत समाहरणालय भवन से हो भी चुकी है। इसके अलावा तमाम जलाशयों की कंक्रीट से घेराबंदी पर रोक लगाई गई है। जहां पूर्व से ही चारदीवारी मौजूद है, वहां उसके नीचे सुरंग बनाकर पानी को जलाशयों तक पहुंचाने का रास्ता देने बनाने को कहा। उम्मीद है बच्चों ने जो रहा दिखाई है उसके परिणाम 2020 से दिखने शुरू हो जाएंगे।
2020 तक पचास फीसद आबादी तक शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का है लक्ष्य
झारखंड में पेयजल की स्थिति संतोषजनक नहीं है। राज्य की महज 32 फीसद आबादी को ही पाइप लाइन से पेयजल मुहैया हो पा रहा है। जाहिर है 68 फीसद आबादी अब भी कुओं, हैंडपंप और अन्य स्रोतों पर निर्भर है। राज्य सरकार ने वर्ष 2020 के अंत तक तक पचास फीसद आबादी तक शुद्ध पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
सरकार का रोड मैप
वर्ष हासिल लक्ष्य
अप्रैल 2015 12.64 फीसद
अप्रैल 2016 22.34 फीसद
अप्रैल 2017 26.00 प्रतिशत
अप्रैल 2018 29.80 प्रतिशत
अप्रैल 2019 32.00 प्रतिशत
अप्रैल 2020 50.00 प्रतिशत
अप्रैल 2021 70.00 प्रतिशत
अप्रैल 2022 80.00 प्रतिशत
अप्रैल 2023 90.00 प्रतिशत
अप्रैल 2024 95.00 प्रतिशत
दिसंबर 2024 100.00 प्रतिशत
खेतों को पानी की दरकार
झारखंड में सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। खेतों को पानी न मिलने से रबी फसल सीधे तौर पर प्रभावित होती है। हालांकि, सिंचाई के हालिया आंकड़ों में सुधार आया है पांच वर्ष पूर्व जहां महज 16 फीसद खेतों तक पानी पहुंचा था, अब यह बढ़कर 37 फीसद पहुंच गया है। जल संरक्षण की पहल से खेतों को भी पानी मिलने की आस जगी है।
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