झारखंड के इस व्यंजन की बात ही कुछ अलग है, इसके बिना रसोई नहीं बन पाती खास

Jharkhand Dishes धुसका का स्वाद कुछ ऐसा है कि हर कोई धुसका खाकर कायल हो जाता है। शादी हो या फिर श्राद्ध कार्यक्रम हर अवसर पर यह खास व्यंजन मिलता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 14 Sep 2020 12:35 PM (IST) Updated:Mon, 14 Sep 2020 12:45 PM (IST)
झारखंड के इस व्यंजन की बात ही कुछ अलग है, इसके बिना रसोई नहीं बन पाती खास
झारखंड के इस व्यंजन की बात ही कुछ अलग है, इसके बिना रसोई नहीं बन पाती खास

लोहरदगा, [राकेश कुमार सिन्हा]। झारखंड, यहां की संस्कृति, यहां की सभ्यता, यहां की वेशभूषा, यहां के लोग और यहां के व्यंजन खास तौर पर जाने जाते हैं। यहां के खानपान का, यहां की संस्कृति से खास लगाव है। मूल रूप से झारखंड के लोग चावल से बने उत्पादों को ज्यादा पसंद करते हैं। झारखंड में कुछ व्यंजन ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी अलग पहचान बना ली है। उसमें से एक व्यंजन का नाम धुसका है, जिसका नाम लेते ही झारखंड का स्मरण खुद से ही हो जाता है।

लोहरदगा जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में इस व्यंजन को लेकर हमेशा ही चर्चा होती है। शादी-ब्याह हो या फिर श्राद्ध कर्म, हर अवसर पर झारखंड के विशेष व्यंजन और पकवान के बिना सब कुछ अधूरा सा नजर आता है। इसमें प्रमुख है धुसका। झारखंड में धुसका एक ऐसा आइटम है, जिसे खाए बिना यहां के व्यंजनों के स्वाद को महसूस नहीं किया जा सकता है।

चावल से बने उत्पादों की प्रमुखता

झारखंड के अमूमन हर जिले में एक अलग प्रकार के व्यंजन की पहचान है, लेकिन दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल में खासकर लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, खूंटी, रांची आदि जिलों में चावल से बने उत्पादों को विशेष तौर पर पसंद किया जाता है। इसमें धुसका, छिलका, कत्थू रोटी, पत्ता रोटी, ढकनी रोटी आदि कई उत्पाद शामिल हैं। धुसका की तो बात ही अलग है।

इसे घरों से लेकर होटल तक में पसंद किया जाता है। शाम के समय की बात हो और किसी होटल या ठेला में धुसका का आनंद मिल जाए तो फिर क्या कहना। यही कारण है कि जो झारखंड की संस्कृति और यहां के व्यंजनों को जानता है, वह जब झारखंड के इस क्षेत्र से होकर गुजरता है तो यहां के धुसका का स्वाद लिए बिना नहीं रह पाता है।

चावल उत्पादन में बढ़ोतरी से मिली है प्रसिद्धि

झारखंड में चावल का उत्पादन काफी बड़े पैमाने पर होता है। खरीफ की फसल में मूल रूप से धान की पैदावार की जाती है। धुसका से तैयार होने वाला चावल, झारखंड के प्रमुख व्यंजनों को तैयार करने में उपयोग में लाया जाता है। यहां पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग चावल ही ज्यादा पसंद करते हैं। यही कारण है कि दोपहर के भोजन की बात को या रात के भोजन की। हर आइटम में चावल को सम्मिलित जरूर किया जाता है। भले ही उसका चेहरा बदल जाता है, पर चावल तो चावल ही है। उसके साथ चने की दाल, उड़द की दाल आदि मिलाकर अलग-अलग व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

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