झारखंड में एक बार फिर आदिवासी चेहरे पर दांव लगा सकती है कांग्रेस, रामेश्वर उरांव-सुखदेव भगत चर्चा में

Jharkhand Congress. सोनिया गांधी के अंतिरम अध्‍यक्ष बनने के बाद झारखंड में कांग्रेस की कमान देने के लिए मुस्लिम-आदिवासी फॉर्मूले पर मंथन चल रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 11 Aug 2019 09:07 PM (IST) Updated:Mon, 12 Aug 2019 10:35 AM (IST)
झारखंड में एक बार फिर आदिवासी चेहरे पर दांव लगा सकती है कांग्रेस, रामेश्वर उरांव-सुखदेव भगत चर्चा में
झारखंड में एक बार फिर आदिवासी चेहरे पर दांव लगा सकती है कांग्रेस, रामेश्वर उरांव-सुखदेव भगत चर्चा में

रांची, राज्य ब्यूरो। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष का जिम्मा मिलने के बाद झारखंड में कांग्रेस का समीकरण एक बार फिर से बदलता दिख रहा है। पार्टी पुराने ढर्रे पर मुस्लिम-आदिवासी फॉर्मूले को जारी रख सकती है और ऐसे में जब विधायक दल के नेता मुस्लिम हैं तो प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी आदिवासी को दी जा सकती है। लंबे कार्यकाल का अनुभव सोनिया गांधी की खासियत है और इस दौरान उन्होंने लगातार आदिवासी चेहरे को प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व दिया।

इस बात से कांग्रेस के आदिवासी नेता गदगद हैं। अलग राज्य बनने के बाद पहली बार गैर आदिवासी के हाथ में नेतृत्व देकर कांग्रेस ने नई चुनौती स्वीकार की थी, लेकिन कुछ ही दिनों में डॉ. अजय के लिए माहौल अनुकूल नहीं रहा। सुबोधकांत सहाय के गुट ने उनके खिलाफ ऐसी लॉबी बनाई कि अध्यक्ष इस्तीफा देकर चलते बने। हालांकि, अब इसका लाभ सुबोधकांत सहाय को मिले, इसकी संभावना कम हुई है। अभी दो दिन पहले तक सुबोधकांत सहाय अध्यक्ष के रेस में सबसे प्रबल दावेदार थे।

एक बार गैर आदिवासी के हाथ में कमान आने के बाद विरोध की संभावना भी कम थी, लेकिन अब फिर से नए समीकरण बनने लगे हैं। नए अध्यक्ष को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह की भूमिका तो महत्वपूर्ण होगी ही, सोनिया के केंद्र में पहुंच जाने से अहमद पटेल सरीखे नेताओं की भी चलती होगी। पिछले चार-पांच साल में अहमद पटेल से बेहतर संपर्क रखनेवाले कांग्रेसी संभावनाएं तलाश रहे हैं।

कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अहमद पटेल तक सुबोधकांत की भी पहुंच है। हालांकि, सोनिया गांधी के लंबे कार्यकाल में सभी आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष होने की बात कांग्रेस के आदिवासी नेताओं के लिए बड़ी बात है। वे इस माहौल का फायदा उठाने में जुट गए हैं। देखना होगा कि रामेश्वर उरांव, सुखदेव भगत जैसे नेताओं का रुख कैसा रहता है।

ददई का संकट कम नहीं
प्रदेश अध्यक्ष के हटने के बाद ददई दुबे खुश तो नजर आ रहे थे, लेकिन उनका संकट कम नहीं हुआ है। कांग्रेस के सीनियर नेताओं में वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जो सोनिया गांधी पर अच्छा-खराब टिप्पणी कर पार्टी छोड़कर गए थे। उनके खिलाफ यह बात प्रमुखता से पार्टी मुख्यालय में रखी जाएगी।

एक-पांच का फॉर्मूला भी तैयार
प्रदेश कांग्रेस में एक अंतरिम अध्यक्ष और पांच प्रमंडलों के लिए पांच कार्यकारी अध्यक्ष का फॉर्मूला भी तैयार है। ऐसे में छह चेहरों की तलाश हो रही है। इससे आदिवासी, गैर आदिवासी, अगड़े-पिछड़े और मुस्लिम को भी साधने का मौका मिलेगा।

अब तक झारखंड के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
थॉमस हांसदा, इंद्रनाथ भगत, सुशीला केरकेट्टा, प्रदीप कुमार बलमुचु, सुखदेव भगत, डॉ. अजय कुमार।

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